Chandrayaan-3 Pragyaan Rover Captured 3D Lunar Image: चंद्रमा हमें पृथ्वी से कैसा दिखाई देता है? इसका जवाब तो आप सभी जानते होंगे। हाल ही में जब चंद्रयान-3 के लैंडर प्रज्ञान ने चंद्रमा की सतह पर लैंड किया तो तस्वीर काली दिखी। तब हमें एहसास हुआ कि दूर से दिखने वाला चमकता चांद सफेद ही नहीं बल्कि रंगीन भी है। मंगलवार को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने विक्रम लैंडर की 3D इमेज जारी की है। जिसे देखने का असली मजा रेड और सयान थ्रीडी चश्मे से आएगा।
15 मीटर की दूरी से ली इमेज
इसरो ने विक्रम लैंडर के आसपास की सतह को थ्रीडी इमेज के तौर पर जारी किया है। इसे इसरो ने एनाग्लिफ नाम दिया है। फोटो को रोवर प्रज्ञान में लगे NavCam ने लिया था। इस तकनीकी का इजाद इसरो में इलेक्ट्रो-ऑप्टिक सिस्टम (LEOS) लैब ने किया है। इस फोटो को प्रज्ञान रोवर ने हाल ही में 15 मीटर की दूरी से ली है।
Chandrayaan-3 Mission:
Anaglyph is a simple visualization of the object or terrain in three dimensions from stereo or multi-view images.
---विज्ञापन---The Anaglyph presented here is created using NavCam Stereo Images, which consist of both a left and right image captured onboard the Pragyan… pic.twitter.com/T8ksnvrovA
— ISRO (@isro) September 5, 2023
लाल, नीला और हरे रंग में दिखा चांद
थ्रीडी इमेज में प्रज्ञान रोवर ने लैंडर विक्रम के बाईं और दाईं दोनों छोर की फोटो को कैप्चर किया है। इसमें दो चैनल के रंग हैं। एक रेड चैनल और दूसरा ब्लू और ग्रीन चैनल पर था। दोनों को मिलाने के बाद यह तस्वीर बनी है। जब आप थ्रीडी चश्मे से देखेंगे तो आप लगेगा कि आप चंद्रमा पर खड़े होकर विक्रम को निहार रहे हैं।
इसरो के लिए एक बड़ी उपलब्धि
फोटोज के लिए डेटा प्रोसेसिंग इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) द्वारा की जाती है। इमेजिंग तकनीक में यह सफलता अंतरिक्ष अन्वेषण और अनुसंधान के लिए बड़ी उपलब्धि है। इससे वैज्ञानिकों को पहले से कहीं अधिक विस्तार से आकाशीय पिंडों का अध्ययन करने में मदद मिलेगी।
स्लीप मोड में है लैंडर और रोवर
14 जुलाई को इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया था। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर लैंड किया। उस वक्त चंद्रमा पर सूर्योदय हुआ था। चंद्रमा पर पृथ्वी के 14 दिन के बराबर एक दिन होता है। 4 सितंबर को चंद्रमा पर सूर्यास्त होने से पहले लैंडर और विक्रम को स्लीप मोड में भेज दिया गया है। 14 दिन बाद लैंडर और रोवर फिर से काम करना शुरू कर सकता है।
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