डॉ. आशीष कुमार। ग्लोबल वार्मिंग (global warming) से पृथ्वी को बचाने के लिए अक्षय ऊर्जा पर निर्भरता को बढ़ाना होगा, यह बात एक रिपोर्ट में कही गई है। अध्ययन के आधार पर कहा गया कि यदि पृथ्वी की तापमान वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी तक सीमित रखना है, तो सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के उत्पादन को 2030 तक 1.5 टेरावाट तक करना होगा। यह सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के मौजूदा उत्पादन से पांच गुना अधिक होगा।
‘क्लाइमेट एनालिटिक्स’ की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक ग्लोबल वार्मिंग (global warming) के प्रभावों और बढ़ोतरी को कम करने के लिए अक्षय ऊर्जा (Renewable energy) पर निर्भरता को योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाना होगा।
क्या करना होगा?
अक्षय ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के उत्पादन को डेढ़ टेरावाट तक करना होगा। नवीनीकरण ऊर्जा के उपयोग को दुनिया भर में 70 फीसदी तक लाना होगा। ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार उत्सर्जन को 2030 तक प्रत्येक वर्ष आठ फीसदी की कटौती करनी होगी। मीथेन के उत्सर्जन में 34 फीसदी की कटौती और ऊर्जा क्षेत्र में मीथेन के उपयोग को 66 फीसदी तक कम करना होगा।
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समुद्र का जलस्तर
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को 40 फीसदी तक कम करना होगा। क्लामेट एनालिटिक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि ग्लोबल वार्मिंग के कारणों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले समय में इसके कारण ग्लेशियर पिघलेंगे और समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा।
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हिंसा, अस्थिरता और अराजकता
पूरी दुनिया में समुद्र तटीय शहर डूब जाएंगे। दुनिया की एक बड़ी आबादी को विस्थापित होना पड़ेगा। ग्लोबल वार्मिंग के कारण फसलों की पैदावार पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। खाद्यान्न संकट से जुझना पड़ेगा। पानी के लिए देशों में युद्ध हो सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग हिंसा, अस्थिरता और अराजकता को भी जन्म दे सकती है।
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अक्षय ऊर्जा क्या है?
अक्षय उर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable energy) प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा है, जो उपभोग की तुलना में उच्च दर पर पुनःपूर्ति की जाती है। उदाहरण के लिए, सूर्य का प्रकाश और वायु ऐसे स्रोत हैं जिनकी लगतार पूर्ति होती रहती है। अक्षय ऊर्जा स्रोत बहुतायत से और हमारे चारों ओर हैं।
जीवाश्म ईंधन- कोयला, तेल और गैस – दूसरी ओर गैर-नवीकरणीय संसाधन हैं, जिन्हें बनने में करोड़ों साल लगते हैं। जीवाश्म ईंधन, जब ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जलाया जाता है, तो कार्बन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का कारण बनता है।
अक्षय ऊर्जा उत्पन्न करने से जीवाश्म ईंधन को जलाने की तुलना में बहुत कम उत्सर्जन होता है। जीवाश्म ईंधन से संक्रमण, जो वर्तमान में उत्सर्जन के शेर के हिस्से के लिए अक्षय ऊर्जा के लिए जिम्मेदार है, जलवायु संकट को संबोधित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
अक्षय ऊर्जा अब अधिकांश देशों में सस्ती है और जीवाश्म ईंधन की तुलना में तीन गुना अधिक रोजगार सृजित करती है।