---विज्ञापन---

साइंस

Land of Immortals: पृथ्वी पर है एक ऐसी जगह, जहां इंसान जीते हैं हजारों साल!

डॉ. आशीष कुमार। आपसे कहा जाए कि पृथ्वी (earth) पर एक ऐसी भी जगह है, जहां इंसानों (human live) की उम्र हजारों साल होती है, तो आप आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सकते हैं। इस स्थान के रहस्यों (mysteries) के बारे में कई किताबें भी लिखी गई हैं। यहां होकर आने का दावा करने वाले […]

Author Published By : News24 हिंदी Updated: May 3, 2023 13:04
Mysterious Gyanganj

डॉ. आशीष कुमार। आपसे कहा जाए कि पृथ्वी (earth) पर एक ऐसी भी जगह है, जहां इंसानों (human live) की उम्र हजारों साल होती है, तो आप आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सकते हैं। इस स्थान के रहस्यों (mysteries) के बारे में कई किताबें भी लिखी गई हैं। यहां होकर आने का दावा करने वाले लोगों ने अपने अनुभवों को साझा किया है। अध्यात्म (spirituality) के रहस्यों के प्रति जिज्ञासु लोग इस स्थान के बारे अधिक से अधिक जानना भी चाहते हैं।

इस स्थान को सनातन और बौद्व धर्म के लोग ज्ञानगंज, सिद्धाश्रम, सांगरिला, संभाला आदि नामों से जानते हैं। इसे ‘लैंड ऑफ इमोर्टल्स’ (Land of Immortals) भी कहा जाता है। ज्ञानगंज (Gyanganj) के बारे में क्रिया योग को प्रचारित करने वाले श्यामाचरण लाहिड़ी महाशय, सूर्य विज्ञान के जानकार स्वामी विशुद्धानंद, बनारस के प्रसिद्ध संत तैलंग स्वामी, युक्तेश्वर गिरि, योगदा सत्संग सोसाइटी के परमहंस योगानन्द, गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के साथ और भी सनातन तथा बौद्ध परंपरा के संतों ने इस स्थान के बारे में विस्तृत वर्णन किया है।

---विज्ञापन---

गुप्त भारत की खोज
बीसवीं सदी के आध्यात्मिक जिज्ञासु और पत्रकार पॉल ब्रटन ने अपनी पुस्तक ‘ए सर्च इन सीक्रेट इंडिया’ (A Search in Secret India) जिसका हिंदी संस्करण ‘गुप्त भारत की खोज’ नाम से प्रकाशित हुआ। इस पुस्तक में पॉल ब्रटन ने भारत के महान योगियों से मुलाकात और उनकी आध्यात्मिक शक्तियों का वर्णन किया। उन्होंने अपनी पुस्तक में ज्ञानगंज और वहां के निवासियों के बारे में भी लिखा है। ज्ञानगंज (Gyanganj) से सूर्य विज्ञान सीखने वाले बनारसी संत स्वामी विशुद्धानंद महाराज के बारे में भी लिखा है। स्वामी विशुद्धानंद सूर्य की रश्मियों का प्रयोग करके वस्तु प्रकट करना, मनचाही सुगंध पैदा करना, मरे हुए छोटे जीवों को जिंदा कर देते थे। स्वामी विशुद्धानंद कहते थे यह कोई सिद्धि या चमत्कार नहीं है, बल्कि ज्ञानगंज का विज्ञान है, जोकि भविष्य में सभी के लिए उपलब्ध होगा। योगानंद परमहंस की पुस्तक ‘योगी कथामृत’ में भी ज्ञानगंज का जिक्र मिलता है।

सुनसान के सहचर
गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने अपनी पुस्तक ‘सुनसान के सहचर’ में ज्ञानगंज यात्रा के बारे में लिखा है। उन्होंने लिखा है कि उनके गुरु स्वामी सर्वेश्वरानंद ज्ञानगंज ले गए थे। स्वामी सर्वेश्वरानंद ज्ञानगंज के ही साधक निवासी थे। पुस्तक में सर्वेश्वरानंद की आयु सैकड़ों वर्ष बतायी गई है। श्रीराम शर्मा आचार्य ने ज्ञानगंज के बारे में लिखा है कि वहां हजारों की संख्या में योग तपस्वी रहते हैं। वहां सैकड़ों वर्षों की आयु से लेकर हजारों वर्ष की आयु के संन्यासी रहते हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि सैकड़ों-हजारों साल की उम्र वाले अधिकांश व्यक्ति देखने में नौजवान ही दिखाई देते हैं। वहां से वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के प्रयोग संचालित होना लिखा।

---विज्ञापन---

तिब्बत का रहस्मयी योग व अलौकिक ज्ञानगंज
संत श्रीमत शंकर स्वामी ने अपनी किताब ‘तिब्बत का रहस्मयी योग व अलौकिक ज्ञानगंज’ में अपने अनुभवों के बारे में लिखा है। वे लिखते हैं कि ज्ञानगंज पृथ्वी पर मौजूद एक अन्य आयाम है। वहां जीवन के दुनियावी नियम लागू नहीं होते हैं। विज्ञान की पराकाष्ठा है। वहां कभी रात नहीं होती है। हर समय सूर्य के समान तेज और चांद के समान ठंडा प्रकाश रहता है। मौसम सदैव एक जैसा रहता है। वहां महिला और पुरुष योगी रहते हैं। वहां अलग अलग विभाग हैं। सभी के अलग अलग प्रमुख हैं। विभागों में योग, विज्ञान और अध्यात्म से संबंधित अध्ययन और प्रयोग होते रहते हैं। ज्ञानगंज के प्रमुख महातपा नाम के योगी हैं, जिनकी आयु हजारों वर्ष बतायी जाती है। ज्ञानगंज में महावतार बाबा भी रहते हैं। उनके साथ उनकी महायोगिनी बहन भी रहती हैं। महावतार बाबा की आयु लगभग ढाई हजार वर्ष बतायी जाती है, लेकिन उनका शरीर 21-22 वर्ष का ही लगता है। ज्ञानगंज के अस्तित्व पर विश्वास करने वाले व्यक्ति दावा करते हैं कि समय-समय पर महावतार बाबा योग साधना करने वाले व्यक्तियों मार्गदर्शन करते रहते हैं। महावतार बाबा श्यामचरण लाहिड़ी महाशय के आध्यात्मिक गुरु रहे। महावतार बाबा ने ही श्यामाचरण लाहिड़ी महाशय को क्रिया योग की दीक्षा दी थी।

रामायण और महाभारत में ज्ञानगंज का जिक्र
बाल्मिकी रामायण और वेदव्यास रचित महाभारत में भी ज्ञानगंज का जिक्र किया गया है। इसे रामायण और महाभारत में सिद्धाश्रम कहा गया है। बौद्ध धर्म से संबंधित कालचक्र में ज्ञानगंज को संभाला या संगरिला के नाम से जाना जाता है। बौद्ध धर्म के मानने वालों का विश्वास है कि भगवान बुद्ध ने यहां कालचक्र का ज्ञान प्राप्त किया था। बौद्धों का मानना है कि अध्यात्मक के गुप्त ज्ञान को यहां सुरक्षित रखा जाता है। ज्ञानगंज पर विश्वास करने वाला लोगों का मानना है कि कल्कि पुराण में जिस संभाल का जिक्र किया गया है वह ज्ञानगंज ही है। धार्मिक दावों के अनुसार सनातन धर्म के दशम अवतार कल्कि कलियुग के अंत में इसी संभाला में जन्म लेंगे।

कैलाश पर्वत के उत्तर पश्चिम में स्थित होने का दावा
हालांकि ज्ञानगंज की लोकेशन के बारे में किसी को पता नहीं है। यह न तो किसी मैप पर मौजूद है और न ही किसी सैटेलाइट तस्वीरों में कैद होती है। लेकिन दावा करने वालों का मानना है कि यह भारत-तिब्बत बार्डर पर कैलाश पर्वत के उत्तर पश्चिम में स्थित है। उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में तिब्बत सीमा पर स्थित लिपुलेख दर्रे से होकर उत्तर की ओर बढ़ने पर यहां तक पहुंचा जा सकता है। लेकिन यह भी कहा जाता है कि ज्ञानगंज के निवासियों की मर्जी के बिना कोई व्यक्ति न तो इसे देख सकता है और न ही यहां पहुंच सकता है। यहां केवल आध्यात्मिक सिद्ध पुरुष ही जा सकते हैं। यह दुनिया में प्रचलित तीन आयामों से अलग एक अन्य आयाम में स्थित जगह बतायी जाती है। इस रहस्यलोक के दावों पर अनुसंधान और वैज्ञानिक पड़ताल की आवश्यकता है, जिसके लिए आध्यात्मिक जगत के सूत्रों की भी मदद ली जा सकती है। सही मायने में विज्ञान और अध्यात्म एक सिक्के के दो पहलू हैं।

(लेखक इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्टडीज (ISOMES) में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)

First published on: Apr 29, 2023 12:18 PM

संबंधित खबरें

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.