Sawan 2025: सावन, जिसको श्रावण माह भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महीना विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह पांचवां महीना होता है और आमतौर पर जुलाई-अगस्त के महीनों में पड़ता है। इस दौरान शिव भक्त विशेष भक्ति और उत्साह के साथ भगवान शिव की आराधना करते हैं। सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार, जिन्हें ‘श्रावण सोमवार’ कहा जाता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। आइए जानते हैं कि यह महीना भगवान शिव को प्रिय और समर्पित क्यों होता है? इसके पीछे का धार्मिक कारण क्या है।
समुद्र मंथन और विषपान
पुराणों के अनुसार, सावन माह का भगवान शिव से संबंध समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा है। शिव पुराण और विष्णु पुराण में बताई गई समुद्र मंथन की घटना में देवताओं और असुरों ने मिलकर क्षीर सागर का मंथन किया था। इस मंथन से कई रत्न प्राप्त हुए, लेकिन साथ ही हलाहल नामक घातक विष भी निकला था। यह विष इतना शक्तिशाली था कि यह समस्त सृष्टि को नष्ट करने की क्षमता रखता था।
इस कारण देवताओं और असुरों की प्रार्थना पर भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में धारण किया था, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वे ‘नीलकंठ’ कहलाए। मान्यता है कि यह घटना सावन माह में हुई थी। विष के प्रभाव से भगवान शिव के शरीर में ताप बढ़ने लगा था। इस ताप को कम करने के लिए सभी देवताओं ने उनपर जल अर्पित किया था। इससे उनके शरीर का तापमान कम हुआ था। माना जाता है कि इसी कारण भगवान शिव को सावन में जल अर्पित किया जाता है।
सावन और प्रकृति का संतुलन
सावन माह में वर्षा ऋतु अपने चरम पर होती है और यह समय प्रकृति के पुनर्जनन और हरियाली का प्रतीक है। भगवान शिव को प्रकृति का नियंत्रक और संहारक माना जाता है। वर्षा के जल को शिव का आशीर्वाद माना जाता है, जो पृथ्वी को जीवन प्रदान करता है। इस कारण सावन में शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है।
माता पार्वती ने की थी तपस्या
लिंग पुराण और शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए सावन माह में कठोर तपस्या की थी। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोकामना पूर्ण की। इस घटना के कारण सावन माह को भक्ति और तपस्या का महीना माना जाता है। अविवाहित लोगों के लिए यह महीना बेहद ही खास माना जाता है। इस महीने में पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से मनपसंद जीवनसाथी मिलता है।
सोमवार और शिव का संबंध
शास्त्रों में सोमवार को भगवान शिव का दिन माना गया है। पद्म पुराण के अनुसार, सोम (चंद्रमा) भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान हैं। इसी कारण सावन माह के सोमवार विशेष रूप से पवित्र माने जाते हैं, क्योंकि इस समय शिव की पूजा और व्रत करने से चंद्रमा की कृपा भी प्राप्त होती है, जो मन और बुद्धि को शांत रखता है।
सावन में किए जाते हैं ये काम
सावन में शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित करने की परंपरा है। शिव पुराण के अनुसार जलाभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। सावन माह में लाखों भक्त कांवड़ यात्रा करते हैं, जिसमें वे पवित्र नदियों जैसे गंगा से जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। सावन के सोमवार को व्रत रखने और शिव मंत्रों जैसे ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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