Sawan 2025: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा बेहद ही फलदायी होती है। इस माह में भोलेनाथ के स्वरूप शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, फल और मिठाइयों जैसे प्रसाद अर्पित किए जाते हैं लेकिन एक प्रचलित मान्यता है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए।
दरअसल इसके पीछे शास्त्रों में कुछ कारण बताए गए हैं। माना जाता है कि शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद को ग्रहण करने से जीवन में दुख, दरिद्रता और अशांति आती है। इसके साथ ही व्यक्ति को कष्ट भोगना पड़ता है।
शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद क्यों नहीं खाना चाहिए?
शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद भगवान शिव के गण चण्डेश्वर को समर्पित होता है। एक कथा के अनुसार भगवान शिव के मुख से चण्डेश्वर नामक गण प्रकट हुए थे, जिन्हें भूत-प्रेतों और शिवगणों का अधिपति नियुक्त किया गया था। इसी कारण शिवलिंग पर अर्पित भोग को चण्डेश्वर का हिस्सा माना जाता है। शिवपुराण में एक श्लोक है, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है।
‘लिंगस्योपरि दत्तं यत्, नैवेद्यं भूतभावनम्। तद् भुक्त्वा चण्डिकेशस्य, गणस्य च भवेत् पदम्।’
इसका अर्थ है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया भोग चण्डेश्वर को समर्पित होता है और इसे ग्रहण करने वाला व्यक्ति प्रेत योनि को प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा प्रसाद खाने से नकारात्मकता, मानसिक तनाव या अन्य परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं। इस कारण पत्थर, मिट्टी, या चीनी मिट्टी से बने शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को खाने की मनाही है।
शास्त्रों में के अनुसार ऐसे प्रसाद को नदी या जलाशय में प्रवाहित करना या पशुओं को खिला देना चाहिए, क्योंकि यह धार्मिक दृष्टिकोण से पुण्यकारी माना जाता है।
कौन सा प्रसाद किया जा सकता है ग्रहण?
सामान्य नियम के अनुसार शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में शास्त्र इसकी अनुमति देते हैं। धार्मिक ग्रंथों और विद्वानों के मतानुसार, कुछ प्रकार शिवलिंगों पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण किया जा सकता है।
धातु से बने शिवलिंग: तांबा, चांदी, सोना, या पीतल जैसे धातुओं से बने शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद चण्डेश्वर का हिस्सा नहीं माना जाता है। इसे भगवान शिव का अंश माना जाता है और इसे खाने से कोई दोष नहीं लगता है। धातु के शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद को भक्त श्रद्धापूर्वक ग्रहण कर सकते हैं और इसे घर भी ले जा सकते हैं।
पारद का शिवलिंग: पारद शिवलिंग को अत्यंत पवित्र और सिद्ध माना जाता है। इस पर चढ़ाया गया प्रसाद भी दोषरहित होता है और इसे ग्रहण करने की अनुमति है। शास्त्रों के अनुसार, पारद शिवलिंग का प्रसाद खाने से पापों का नाश होता है और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
शालिग्राम के साथ पूजित शिवलिंग: यदि शिवलिंग के साथ भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है, तो उस शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद खाने योग्य हो जाता है, भले ही वह किसी भी सामग्री से बना हो। शालिग्राम भगवान विष्णु का स्वरूप हैं और उनकी उपस्थिति प्रसाद को शुद्ध करती है।
सिद्ध संतों द्वारा स्थापित शिवलिंग: कुछ विद्वानों का मानना है कि किसी संत या सिद्ध पुरुष द्वारा स्थापित शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद भी ग्रहण करने योग्य होता है, क्योंकि ऐसी पूजा में विशेष आध्यात्मिक शक्ति होती है।
भगवान शिव की मूर्ति पर अर्पित प्रसाद: शास्त्रों में यह स्पष्ट है कि भगवान शिव की मूर्ति (प्रतिमा) पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण करना शुभ माना जाता है। यह शिवलिंग के प्रसाद से भिन्न होता है और इसे खाने से पापों का नाश होता है।
शिव को प्रसाद अर्पित करते समय करें ये काम
- भगवान शिव को हमेशा सात्विक चीजें जैसे फल, मिठाई, दूध, या बेलपत्र अर्पित करने चाहिए। तामसिक भोजन (जैसे मांस या शराब) शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित है।
- यदि प्रसाद ग्रहण नहीं करना है, तो उसे नदी या जलाशय में प्रवाहित करना चाहिए। इसे फेंकना या अपमान करना अशुभ माना जाता है।
- शिवलिंग की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। जलाभिषेक, बेलपत्र, और अन्य सामग्री चढ़ाते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
- शिवलिंग पर जल या प्रसाद चढ़ाते समय भक्त का मुंह पूर्व, उत्तर, या पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं भगवान शिव के लिए विशेष मानी जाती हैं।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
ये भी पढ़ें-क्यों भगवान शिव को समर्पित है सावन माह, क्या है इसके पीछे का कारण?