Basant Panchami 2026 Date: बसंत पंचमी भारतीय संस्कृति का वह पर्व है, जो प्रकृति के रंग, उल्लास और जीवन के मधुर भावों से जुड़ा है. यह पर्व ऋतुओं के परिवर्तन और नई ऊर्जा की शुरुआत का संकेत देता है. माघ मास की शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाए जाने वाले इस त्योहार को वसंत ऋतु का पहला त्यौहार भी कहा जाता है. खेतों में लहलहाती सरसों, मधुर हवा और खिलखिलाती प्रकृति इस दिन की सुंदरता को और बढ़ा देती है. आइए जानते हैं, हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी का महत्व क्या है, साल 2026 में यह कब है और इस दिन सरस्वती पूजा क्यों होती है?
हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी का महत्व
हिन्दू मान्यता के अनुसार, इस दिन माँ सरस्वती का प्राकट्य (उत्पत्ति) हुआ था. वे ज्ञान, कला, संगीत, साहित्य और विद्या की अधिष्ठात्री देवी हैं. इसलिए बसंत पंचमी को शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है. इस दिन छात्र, कलाकार, संगीतकार और लेखक नई शुरुआत करते हैं. ऐसा विश्वास है कि इस दिन की पूजा साधक के भीतर ज्ञान का प्रकाश जगाती है.
यह है विद्यारंभ का शुभ दिन
बसंत पंचमी केवल धार्मिक त्योहार नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति का जीवंत उत्सव है. इस दिन पीले वस्त्र पहनने, पीले फूल चढ़ाने और पीले व्यंजन बनाने की परंपरा है. पीला रंग सरसों के फूलों का प्रतीक है जो समृद्धि, उम्मीद और उत्साह का द्योतक माना जाता है. कई क्षेत्रों में बच्चों को इस दिन पहली बार लिखने यानी विद्यारंभ की परंपरा भी निभाई जाती है. विद्यालयों और कला संस्थानों में सरस्वती पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
2026 में बसंत पंचमी कब है?
साल 2026 में बसंत पंचमी का पावन त्योहार शुक्रवार, 23 जनवरी 2026 को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार पंचमी तिथि का आरंभ 23 जनवरी को सुबह 02:28 बजे होगा और इसका समापन 24 जनवरी को सुबह 01:46 बजे होगा.
सरस्वती पूजा 2026 मुहूर्त: सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 23 जनवरी की सुबह 07:13 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक रहेगा. इस प्रकार भक्तों को माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना करने के लिए कुल 5 घंटे 20 मिनट का उत्तम समय प्राप्त होगा.
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बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा क्यों?
बसंत पंचमी को मां सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी. यह दिन ज्ञान और विद्या की देवी को समर्पित है. माना जाता है कि इस दिन की पूजा से बुद्धि, स्मरण शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है. विद्यार्थियों के लिए यह दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है. पठन-पाठन के साधन जैसे पुस्तकें, पेन, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट आदि की पूजा भी इस दिन किए जाते हैं.
सरस्वती पूजा के मंत्र
विद्यारंभ मंत्र
‘सरस्वति नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणि.
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥’
इसका अर्थ है- ‘मैं विद्या की देवी से सफलता का आशीर्वाद मांगता हूँ.’ उसे पढ़ाई शुरू करने या किसी नई शुरुआत से पहले जप किया जाता है.
ज्ञान-वृद्धि बीज मंत्र
‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः॥’
इसका अर्थ है- ‘माँ सरस्वती को समर्पित पवित्र प्रणाम.’ मान्यता है कि एकाग्रता बढ़ाने हेतु इस मंत्र का 108 बार जप अत्यंत लाभकारी है.
वाणी-शुद्धि मंत्र
‘ॐ वाग्देव्यै नमः॥’
इसका अर्थ है- ‘वाणी को मधुर, प्रभावी और सत्य मार्ग पर चलने की शक्ति मिलती है.’ यह मंत्र वक्ताओं, कलाकारों और छात्रों के लिए उपयोगी है.
बुद्धि और कला-सिद्धि मंत्र
‘या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥’
इसका अर्थ है- ‘जो देवी सभी प्राणियों में बुद्धि के रूप में स्थित हैं, मैं उन्हें बार-बार नमस्कार करता हूं.’ यह मंत्र कला, संगीत, नृत्य और साहित्य से जुड़े लोगों को शक्ति प्रदान करता है.
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