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Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री के दिन सौभाग्यवती का वरदान पाने के लिए करें ये चमत्कारी उपाय, मिलेगा फल

Vat Savitri Vrat Upay 2024: वट सावित्री के दिन कुछ ऐसे उपाय होते हैं जिन्हें करने से सौभाग्यवती का वरदान मिलता है। साथ ही वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि वट सावित्री का व्रत कब है। साथ ही पूजा विधि और उपाय क्या है।

Edited By : Raghvendra Tiwari | Updated: May 25, 2024 10:32
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Vat Savitri Vrat 2024

Vat Savitri Vrat Upay 2024: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का बहुत ही विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री के दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-शांति के लिए व्रत रखती हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, वट सावित्री व्रत के दिन विधि-विधान से पूजा करने से घर के सभी लोगों को सौभाग्य का वरदान मिलता है। साथ ही वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री व्रत का महत्व करवा चौथ के व्रत के बराबर होता है। पंचांग के अनुसार, वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। इस बार वट सावित्री का व्रत 6 जून को रखा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन शनि देव की उत्पत्ति भी हुई थी। तो आज इस खबर में जानेंगे कि वट सावित्री व्रत की पूजा विधि क्या है साथ ही सौभाग्यवती का वरदान पाने के लिए कौन-कौन सा उपाय कर सकते हैं।

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वट सावित्री की पूजा विधि

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वट सावित्री के दिन सुबह उठकर स्नान करना चाहिए। साथ ही मंदिर में जाकर दीप प्रज्वलित करें। साथ ही बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति रखें। उसके बाद मूर्ति और वृक्ष पर जल अर्पित करें। वट सावित्री व्रत के दिन बरगद वृक्ष के सात फेरे लगाएं। उसके बाद पेड़ के नीचे बैठ कर कथा सुनें। साथ ही साथ भगवान का ध्यान करें।

वट सावित्री व्रत के उपाय

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वट सावित्री का व्रत बहुत ही चमत्कारी माना गया है। मान्यता है कि यदि सुहागिन महिलाएं इस व्रत को रखती हैं, तो उसे सौभाग्यवती का वरदान मिलता है। साथ ही पति की लंबी आयु भी होती है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री व्रत के दिन रात को किसी रोगी के तकिए के नीचे वट वृक्ष की जड़ रखने से बीमारी दूर हो जाती है। साथ ही व्यक्ति धीरे-धीरे स्वास्थ्य होने लगता है।

वट सावित्री व्रत के दिन पीपल के पेड़ की जड़ में दूध और गंगाजल अर्पित करें। साथ ही 11 बार ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें। उसके बाद वृक्ष की परिक्रमा भी करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Written By

Raghvendra Tiwari

First published on: May 25, 2024 10:32 AM

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