Vastu Tips: वास्तु शास्त्र भारतीय संस्कृति में घर को सकारात्मक ऊर्जा से भरने का एक प्राचीन विज्ञान माना जाता है, जो हर स्थान और दिशा के महत्व को बताता है। वास्तु शास्त्र में बाथरूम को अपवित्र स्थान माना जाता है, क्योंकि यहां गंदगी, अपशिष्ट और नमी होती है। माना जाता है कि अगर बाथरूम का दरवाजा खुला रहता है तो यहां की नकारात्मक ऊर्जा पूरे घर में फैल सकती है, जो परिवार के सदस्यों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बाथरूम का खुला दरवाजा जल तत्व की असंतुलित ऊर्जा को घर के अन्य हिस्सों में ले जाता है, जो वास्तु दोष पैदा करता है। इससे पारिवारिक सुख-शांति में कमी और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस कारण वास्तु सलाहकार हमेशा सुझाव देते हैं कि बाथरूम का दरवाजा बंद रखना चाहिए ताकि नकारात्मकता को नियंत्रित किया जा सके। आइए जानते हैं कि इससे क्या समस्याएं हो सकती हैं?
क्या होती हैं समस्याएं?
वास्तु एक्सपर्ट्स की मानें तो बाथरूम की नकारात्मक ऊर्जा मानसिक तनाव, बीमारियां और धन हानि ला सकती है। बाथरूम का दरवाजा खुला रखने से आर्थिक तंगी होती है। इसके साथ ही घर में धन भी नहीं टिकता है। मान्यता है कि इससे कर्ज भी बढ़ने लगता है। बाथरूम का दरवाजा खुला रखने से राहु दोष भी बढ़ता है। इससे नकारात्मकता फैलती है।
जल तत्व का असंतुलन
वास्तु शास्त्र में पांच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के संतुलन को महत्व दिया जाता है। बाथरूम जल तत्व का प्रतीक है, और इसका दरवाजा खुला रखने से यह ऊर्जा अनियंत्रित होकर घर के अन्य क्षेत्रों में प्रवेश कर सकती है। यह असंतुलन घर के मुख्य स्थानों, जैसे पूजा कक्ष या रसोई में सकारात्मक ऊर्जा को कमजोर करता है। वास्तु के नियमों के अनुसार, जल तत्व को बाथरूम तक सीमित रखना चाहिए और इसके लिए दरवाजा बंद रखना आवश्यक है। इससे घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
स्वास्थ्य और समृद्धि पर पड़ता है प्रभाव
वास्तु शास्त्र में यह भी माना जाता है कि बाथरूम से फैलने वाली नकारात्मक ऊर्जा आर्थिक हानि और बीमारियों को आकर्षित कर सकती है। यहां का खुला दरवाजा नमी और गंदगी को घर में लाता है, जो वास्तु दोष को बढ़ाता है। इससे परिवार के सदस्यों में तनाव, बीमारी और धन की कमी हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार बाथरूम का दरवाजा बंद रखकर इसके नकारात्मक प्रभाव को रोका जा सकता है, जिससे घर में सकारात्मक वातावरण बना रहे और समृद्धि बढ़े।
दिशा और स्थान का भी है महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, बाथरूम की दिशा और उसका स्थान भी इस नियम को प्रभावित करता है। बाथरूम उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए। अगर बाथरूम का दरवाजा इन दिशाओं में खुला रहता है, तो नकारात्मक ऊर्जा सीधे घर के शुभ क्षेत्रों में प्रवेश कर सकती है। अगर दरवाजा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) की ओर खुला है, तो यह घर की समृद्धि और शांति को नष्ट कर सकता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी वास्तु शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
ये भी पढ़ें-5 या 6 सितंबर, जानिए कब है इस महीने का पहला और भाद्रपद माह का आखिरी प्रदोष?