Vaikunth Chaturdashi 2025: वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन स्वयं भगवान विष्णु ने शिज जी की पूजा की थी. आइए जानते हैं, वैकुंठ चतुर्दशी की रोचक कथा जो बताती है कि सच्ची भक्ति के अहंकार और स्वार्थ को त्याग देना चाहिए. साथ ही यह भी जानते हैं कि इस रात में कौन-से उपाय करने से बंद किस्मत के दरवाजे भी खुल जाते हैं?
वैकुंठ चतुर्दशी की कथा
शिव पुराण की एक प्रसिद्ध कथा में वर्णित है कि एक समय भगवान विष्णु ने भगवान शिव की पूजा करने का निश्चय किया. वे अपनी पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ शिवलिंग की आराधना करने लगे. विष्णु जी ने तय किया कि वे शिवजी को एक हजार कमल अर्पित करेंगे. उन्होंने कमलों की व्यवस्था की और एक-एक कर के उन्हें शिवलिंग के सामने रख दिया.
लेकिन जब उन्होंने 999 कमल अर्पित किए, तो देखा कि आखिरी एक कमल रह गया है, अर्थात 1000 कमल पूरे नहीं हुए. विष्णु जी अपनी भक्ति में इतने मग्न थे कि वे यह कमल भी अधूरा नहीं छोड़ना चाहते थे.
तब भगवान विष्णु ने अपनी भक्ति और प्रेम का अनोखा प्रमाण देते हुए अपना नेत्र शिवजी को अर्पित कर दिया, क्योंकि उनके नेत्र को ‘कमलनयन’ कहा जाता था. उनकी यह आत्म-समर्पण भक्ति देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए.
भगवान शिव ने उनकी भक्ति को देखकर प्रकट होकर कहा: ‘हे विष्णु! आपकी भक्ति अत्यंत महान है. आपका नेत्र तो आपको लौटाया जाएगा और साथ ही मैं आपको एक दिव्य वरदान दूंगा.” तब भगवान शिव ने उनके नेत्र को वापस कर दिया और साथ ही उन्हें दिव्य सुदर्शन चक्र प्रदान किया. इस चक्र ने भगवान विष्णु को न केवल दिव्य शक्ति प्रदान की बल्कि यह भक्ति महान प्रतीक भी बन गया.
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यह कथा सिखाती है कि सच्ची भक्ति में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए, भले ही इसके लिए बड़े त्याग की आवश्यकता पड़े. वहीं, भगवान विष्णु का नेत्र अर्पित करना दर्शाता है कि भगवान की भक्ति में अपने अहंकार और स्वार्थ को त्याग देना चाहिए.
वैकुंठ चतुर्दशी की रात करें ये उपाय
वैकुंठ चतुर्दशी की रात भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए बहुत खास मानी जाती है. इस रात किए गए उपाय सरल, प्रभावशाली और परिणामकारी माने जाते हैं. आइए जानते हैं, इस रात में किए जाने वाले कुछ उपाय, जिसे करने से बंद किस्मत के दरवाजे भी खुल जाते हैं.
एकसाथ करें विष्णु-शिव पूजन
वैकुंठ चतुर्दशी की रात भगवान विष्णु और शिव का एक साथ पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है. इस अवसर पर शिवलिंग और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को सजाएं, दीपक जलाएं और वैकुंठ चतुर्दशी स्तोत्र या शिव मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें, जिससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और मन को शांति मिलती है.
1000 दाने वाली उपाय
इसके साथ ही 1,000 दाने वाली भक्ति करना भी बहुत प्रभावशाली उपाय है. यदि संभव हो तो 1,000 छोटी वस्तुएं जैसे चावल, फूल या दाने भगवान विष्णु को अर्पित करें और कम से कम 108 बार ‘ॐ नमो नारायणाय’ का जप करें, जिससे कर्मफल शुद्ध होता है और किस्मत के दरवाजे खुलते हैं.
दीप आह्वान करें
वैकुंठ चतुर्दशी की रात घर में विशेष रूप से 4 या 8 दीपक जलाएं और प्रत्येक दीपक के सामने अपनी मनोकामना का संकल्प करें. यह उपाय अवरोध हटाने के साथ-साथ घर में सुख-समृद्धि और शांति लाता है, और पूरे दिन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है.
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