Rajasthan Pali Unique Wedding Rituals: देश में अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोगों की संख्या कम नहीं हैं। हर एक धर्म की अपनी परंपरा होती है, जिसका वो लोग सख्ती से पालन करते हैं। हालांकि कुछ परंपराएं तो ऐसी भी हैं, जिनके बारे में जानकर लोग हैरान हो जाते हैं। आज हम आपको ऐसी अनोखी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट की पूजा की जाती है। इसी के साथ शादी में आए बाराती और घरातियों को संबंध से जुड़ी जानकारी दी जाती है।
आइए अब जानते हैं देश में कहां पर लोग इस अनोखी परंपरा को निभाते हैं।
शिव जी और मां पार्वती से जुड़ी है मान्यता
राजस्थान के पाली से करीब 25 किलोमीटर दूर बूसी कस्बा है। जहां पर मौजीराम जी और मौजनी देवी का मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि यहां पर मौजनी देवी और मौजीराम जी की पूजा शिव जी और माता पार्वती के रूप में की जाती है। मंदिर में भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करने के लिए हर साल यहां पर बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
बता दें कि जब भी गांव में किसी की शादी होती है, तो सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती की ही पूजा की जाती है। उन्हें रंग, मेहंगी और इत्र से सजाया जाता है। साथी ही उनकी पूरे रीति रिवाज से शादी कराई जाती है। इसके बाद दूल्हा-दुल्हन सात फेरे लेते हैं।
दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट की होती है पूजा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां पर दूल्हा-दुल्हन की शादी से पहले एक अनोखी रस्म निभाई जाती है। दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट्स की पूजा की जाती है। साथ ही उन्हें और शादी में आए लोगों को संबंध से जुड़ी जानकारी दी जाती है। माना जाता है कि अगर कोई दूल्हा-दुल्हन शादी की इस रस्म को निभाता है, तो उसके दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इसके अलावा उसके घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
शादी में लोग एक दूसरे को देते हैं गालियां
यहां पर शादी से जुड़ी एक ओर अनोखी परंपरा निभाई जाती है। शादी के दौरान यहां पर बिंदौरी निकाली जाती है। बिंदौरी भी शादी से जुड़ी एक अहम रस्म होती है, जिसमें दूल्हा या दुल्हन की बारात निकाली जाती है। आमतौर पर बारात निकालते समय गाने बजाए जाते हैं। लेकिन यहां पर गाने की जगह लोग एक दूसरे को जोर-जोर से गालियां देते हैं, जिस पर लोग डांस करते हैं।
इस रस्म को पूरा करने के बाद ही पूरे रीति रिवाज से दूल्हा-दुल्हन की शादी की जाती है। शादी के बाद सुहागरात की रस्म निभाई जाती है। लेकिन सुहागरात के तुरंत बाद लगभग एक साल के लिए दूल्हा-दुल्हन को अलग रहना होता है। उन्हें एक दूसरे से मिलने की इजाजत नहीं होती है।
संतान सुख के लिए भी की जाती है पूजा
इस जगह से जुड़ी एक ओर मान्यता प्रचलित है। कहा जाता है कि जिन दंपती को बच्चा नहीं हो रहा होता है। अगर वह यहां पर आकर मौजीराम जी और मौजनी देवी की आराधना करते हैं। जल्द ही उनके घर में किलकारियां गूंजने लगती हैं।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।