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Tula Sankranti 2024: 16 या 17 अक्टूबर, कब है तुला संक्रांति? नोट करें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और योग

Tula Sankranti 2024: सूर्य देव की उपासना करने के लिए तुला संक्रांति का दिन बेहद शुभ माना जाता है। हालांकि इस बार तुला संक्रांति के दिन की तिथि और शुभ मुहूर्त को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं इस साल 16 अक्टूबर या 17 अक्टूबर, किस दिन तुला संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Sep 28, 2024 10:10
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Tula Sankranti 2024: नवग्रहों में ग्रहों के राजा सूर्य का खास स्थान है, जिसे आत्मा का कारक ग्रह भी माना जाता है। सूर्य देव के आशीर्वाद से साधक को हर तरह की परेशानी से छुटकारा मिलता है। खासतौर पर रिश्तों में गहराई आती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव जब भी राशि परिवर्तन करते हैं, तो उस तिथि पर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। चलिए जानते हैं अक्टूबर में किस दिन सूर्य का तुला राशि में गोचर होगा, जिस तिथि पर तुला संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा।

तुला संक्रांति कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, आत्मा के कारक ग्रह सूर्य देव 17 अक्टूबर 2024 को प्रात: काल 07:42 मिनट पर तुला राशि में गोचर यानी प्रवेश करेंगे। इस समय सूर्य देव कन्या राशि में मौजूद हैं। उदयतिथि के आधार पर तुला संक्रान्ति का पर्व 17 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।

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तुला संक्रांति की पूजा का शुभ मुहूर्त

तुला संक्रांति के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: काल 06 बजकर 23 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 47 मिनट तक है। इस दौरान सूर्य देव की उपासना करने के साथ-साथ किसी पवित्र नदी में स्नान करना भी शुभ रहेगा। इसके अलावा जरूरतमंद लोगों को दान करना भी अच्छा रहता है।

कौन-कौन से शुभ योग बन रहे हैं?

तुला संक्रांति के शुभ दिन हर्षण योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग का निर्माण हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग 17 अक्टूबर 2024 को पूरे दिन रहेगा। हर्षण योग 17 अक्टूबर को प्रात: काल से लेकर देर रात 01:42 मिनट तक रहेगा। शिववास योग 17 अक्टूबर को शाम 04:56 मिनट से लेकर देर रात तक रहेगा।

तुला संक्रांति की पूजा विधि

  • प्रात: काल जल्दी उठें। स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध कपड़े पहनें।
  • सूर्य देव की पूजा करें और उन्हें जल चढ़ाएं।
  • देवी लक्ष्मी और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें।
  • देवी को चावल, गेहूं, सुपारी के पत्ते, चंदन और कराई पौधों की शाखाओं का भोग लगाएं।
  • इस दौरान मंत्रों का उच्चारण करें।
  • अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Written By

Nidhi Jain

First published on: Sep 28, 2024 10:10 AM

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