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Religion

वृंदावन में भूलकर भी न करें ये 5 काम, लाभ की जगह हो सकता है नुकसान

Vrindavan Rules: अगर आप वृंदावन जा रहे हैं तो आपको कुछ बातों का अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए। मान्यता है कि इन नियमों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको दर्शन का फल प्राप्त नहीं होता है। आइए जानते हैं कि वृंदावन में किन कार्यों को नहीं करना चाहिए?

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Aug 12, 2025 15:12
Vrindavan
credit- news 24 gfx

Vrindavan Rules: वृंदावन, भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की पावन लीला-भूमि है। यह हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां की माटी, वृक्ष और हर जीव भगवान के प्रेम और कृपा का जीवंत उदाहरण है। शास्त्रों और संतों के प्रवचनों के अनुसार, वृंदावन में कुछ कार्यों से बचना चाहिए ताकि इस पवित्र धाम की मर्यादा बनी रहे और भक्तों को भगवान की कृपा प्राप्त हो। प्रेमानंद महाराज ने भी बताया है कि वृंदावन में कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं कि वृंदावन में किन कार्यों को नहीं करना चाहिए?

ब्रजवासियों का अनादर

शास्त्रों के अनुसार, ब्रजवासी भगवान श्रीकृष्ण के परम पार्षद हैं। उनकी भाषा या व्यवहार यदि कठोर लगे तो भी उनका अनादर या उनकी निंदा नहीं करनी चाहिए। प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि ब्रजवासियों की गाली भी आशीर्वाद के समान है, जो भक्त के पापों का नाश करती है। यदि कोई ब्रजवासी आपसे अधिक पैसे मांगे या व्यवहार में रूखापन दिखे तो उसमें दोष न देखें। उनकी सेवा और उदारता को समझें, क्योंकि वे संतों की सेवा में अपनी कमाई लगाते हैं।

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भोग-विलास में न हों लिप्त

वृंदावन भक्ति और तप का स्थान है, यह जगह सांसारिक सुखों का भोग करने के लिए नहीं है। यहां गृहस्थ जीवन की विलासिता और भोग-वासना से बचना चाहिए। यहां आने वाले भक्तों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, भले ही वे कुछ ही दिनों के लिए आए हों। इस दौरान सात्विक भोजन, जैसे चना-गुड़ या फलाहार ग्रहण करें। यहां भंडारे का भोजन न लें, जब तक कि आप उसके बदले दान न दे सकें।

ब्रज रज, लताओं, और जीवों का न करें अपमान

वृंदावन की माटी (ब्रज रज), वृक्ष, और लताएं पवित्र मानी जाती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि इनका सम्मान करना अनिवार्य है। ब्रज की लताओं को काटना, वृक्षों को नुकसान पहुंचाना या यहां के जीवों (जैसे बंदर, मोर, या कबूतर) को पीड़ा देना पाप का कारण बनता है। यहां के पशु-पक्षी भगवान के सखा और परमहंस स्वरूप माने जाते हैं।

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पिकनिक मनाने न जाएं

प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट कहा है कि वृंदावन पिकनिक या पर्यटन स्थल नहीं है। यहां भगवद् भक्ति, भजन, और कीर्तन के लिए आना चाहिए। यदि कोई सांसारिक या बुरे विचारों के साथ यहां आता है, तो उसका धाम आना व्यर्थ हो सकता है। यहां आने से पहले मन को शुद्ध करें और भगवान के नाम-स्मरण में लीन रहें।

न करें अनावश्यक दान

वृंदावन में हर जगह दान मांगने वाले साधु या पुजारी मिल सकते हैं, लेकिन शास्त्रों के अनुसार, बिना श्रद्धा के दान देना या हर जगह दान करना उचित नहीं है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार मंदिर की दानपेटी में दान करें। इसके साथ ही, यहां से कुछ चीजें, जैसे गिरिराज पर्वत की मूर्ति, तुलसी, या पशु-पक्षी, घर ले जाना अशुभ माना जाता है, क्योंकि ब्रज में निवास करना अखंड सौभाग्य की बात होती है। अगर आप उन्हें इससे दूर करते हैं तो आपको पाप लगता है।

अनजाने में किए गए पापों के लिए क्षमा मांगें

वृंदावन में प्रवेश और प्रस्थान करते समय साष्टांग या पंचांग प्रणाम कर भगवान से क्षमा याचना करें। प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि यदि अनजाने में कोई पाप हो जाए, तो वृंदावन को प्रणाम कर क्षमा मांगने से श्रीकृष्ण सभी दोष माफ कर देते हैं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Aug 12, 2025 02:17 PM

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