Ishwara Mahadev Temple Morena: अगर किसी मंदिर को रहस्य से जोड़ा जाए, तो वह है ईश्वरा महादेव का मंदिर। मान्यता है कि इस मंदिर में हर रोज ब्रह्म मुहूर्त के समय कोई अज्ञात शक्ति आती है और भगवान महादेव का अभिषेक करके चली जाती है। वह कौन है? कैसा दिखता है? कहां से आता है? यह आज तक कोई नहीं जान सका। यह अद्भुत धाम मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की कैलारस तहसील से करीब 25 किलोमीटर दूर पहाड़गढ़ गांव में स्थित है।
अनसुलझा रहस्य
प्रकृति की गोद में बसे इस मंदिर का रहस्य सदियों से अनसुलझा है। कहा जाता है कि इस रहस्य को जानने के लिए कई प्रयास किए गए, लेकिन हर कोशिश असफल रही। गुफा के आकार के पहाड़ के नीचे स्थापित शिवलिंग पर एक प्राकृतिक झरने का जलाभिषेक लगातार होता रहता है। कहा जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त में यहां कोई सिद्ध शक्ति आती है और उपासना करके चली जाती है, लेकिन उसकी पहचान आज भी एक गूढ़ पहेली बनी हुई है।
मंदिर के आसपास बेलपत्र के अनोखे पेड़
ईश्वरा महादेव मंदिर के आसपास बेलपत्र के अनोखे पेड़ देखे जा सकते हैं, जो इसे और भी रहस्यमय बनाते हैं। आमतौर पर बेल की पत्तियां तीन समूह में होती हैं, लेकिन यहां पांच, सात और ग्यारह समूह वाली पत्तियां देखी गई हैं। कहा तो ये भी जाता है कि कई बार शिवलिंग पर 21 के समूह वाली बेलपत्र भी चढ़ी हुई दिखाई दीं। यह अद्भुत दृश्य भक्तों को चमत्कारिक अनुभव का अहसास कराता है और उन्हें शिव की शक्ति में और अधिक विश्वास दिलाता है।
रहस्य को सुलझाने की कोशिश नाकाम
ईश्वरा महादेव मंदिर का रहस्य वर्षों से अनसुलझा है और इसे सुलझाने की हर कोशिश अब तक नाकाम रही है। यह बात लोगों को हैरान करती है कि घने जंगल के बीच स्थित इस मंदिर में हर रोज कोई अनजान शक्ति आती है, शिव का अभिषेक करती है और चुपचाप चली जाती है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस रहस्यमय उपासना को न तो आज तक कोई कैमरा कैद कर सका और न ही इसे अपनी आंखों से देखने का सौभाग्य किसी को मिला। कहा जाता है कि जब तक पूजा चलती है, तब तक मंदिर के आसपास मौजूद हर व्यक्ति को नींद आ जाती है। कई बार साधु-संतों ने इस रहस्य को जानने की कोशिश की, लेकिन हर बार उनकी कोशिशें असफल हो गईं।
सावन के महीने में चमत्कार
मंदिर के पुजारी के अनुसार, यह अदृश्य शक्ति सालभर नियमित रूप से ब्रह्म मुहूर्त में पूजा नहीं करती, लेकिन सावन के पवित्र महीने में यह चमत्कार अवश्य होता है। पुजारी के अनुसार, वह स्वयं इन रहस्यमय घटनाओं के साक्षी रहे हैं। वे बताते हैं कि इस रहस्य को जानने के लिए कई न्यूज चैनलों ने मंदिर परिसर में अपने कैमरे लगाकर ब्रह्म मुहूर्त की रिकॉर्डिंग करने की कोशिश की, लेकिन चमत्कार यह हुआ कि ठीक पूजा शुरू होने से पहले उनके कैमरे अपने आप बंद हो गए।
राजा ने लगवाया पहरा फिर भी हो गई पूजा
पुजारी के अनुसार, पहाड़गढ़ के राजा पंचम सिंह ने पूजा का रहस्य जानने के लिए मंदिर के चारों ओर पहरा लगवाया था और स्वयं भी ब्रह्म मुहूर्त में वहां मौजूद रहे। लेकिन जैसे ही पूजा का समय आया, सभी पहरेदार और स्वयं राजा गहरी नींद में सो गए। जब उन्होंने आंखें खोलीं, तो पूजा हो चुकी थी। एक बार एक शख्स ने इस रहस्य को जानने का दुस्साहस किया और ब्रह्म मुहूर्त में शिवलिंग के ऊपर हाथ रख दिया। तभी अचानक तेज हवा चली, जिससे उसका हाथ कुछ देर के लिए हट गया और इसी बीच अदृश्य शक्ति ने पूजा संपन्न कर दी।
मंदिर परिसर में ही है पवित्र जलकुंड
मंदिर परिसर में स्थित पवित्र जलकुंड इस स्थान की पवित्रता और आकर्षण को और बढ़ाता है। इस जलकुंड में निरंतर पानी बहता है, जो पहाड़ की कंदराओं से निकलता है। भक्त इस जलकुंड के पानी को पवित्र मानते हैं और इसे अपने साथ ले जाते हैं। यह जलकुंड श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र है। मंदिर के दूसरी ओर एक खूबसूरत झरना पहाड़ी से नीचे गिरता है, जो प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत उदाहरण है। इस झरने का विहंगम दृश्य पर्यटकों और भक्तों को अपनी ओर खींचता है। लोग यहां ईश्वरा महादेव के दर्शन के साथ-साथ पिकनिक मनाने भी आते हैं, जहां अध्यात्म और प्रकृति का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है।