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Teachings of Mahabharata: गांठ बांध लीजिए महाभारत की ये 3 सीख, नहीं देखना पड़ेगा कभी असफलता का मुंह

महाकाव्य महाभारत हमें सिर्फ एक युद्ध की कहानी नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला और कठिनाइयों से लड़ने का साहस भी देती है। यहां इस ग्रंथ की 3 शिक्षाओं की चर्चा की गई है, जिसे जिंदगी में उतारने से सफलता कदम चूमती है। आइए जानते हैं, क्या हैं ये अनमोल सीख?

Author Edited By : Shyam Nandan Updated: Apr 13, 2025 17:19
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महाकाव्य महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें न केवल युद्ध की गाथाएँ हैं, बल्कि जीवन जीने की कला और समझ भी दी गई है। इसमें हर पात्र, हर घटना और हर उपदेश जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है। अगर हम महाभारत से तीन महत्वपूर्ण शिक्षा लें तो जीवन में कभी असफलता का सामना नहीं करना पड़ेगा। आइए जानें महाभारत से मिलने वाली वो तीन शिक्षाएँ, जो हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन करती हैं:

संगति का प्रभाव

महाभारत में शकुनी मामा की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनकी कूटनीति और गलत मार्गदर्शन के कारण कौरवों का पतन हुआ। यही हमें एक महत्वपूर्ण शिक्षा देता है कि संगति का हमारे जीवन पर गहरा असर पड़ता है। अच्छा साथी ही हमारी सोच और कार्यों को सकारात्मक दिशा में मोड़ता है। अगर हम सही संगति में रहें, तो जीवन में सफलता की राह आसान हो जाती है। इसके विपरीत, यदि हम गलत संगति में फंसते हैं, तो हमारी ऊर्जा नकारात्मक दिशा में बह सकती है। इसलिए हमेशा अच्छे लोगों से घिरा रहें और सकारात्मक विचारों को अपनाएं। अच्छे लोग हमें प्रेरित करते हैं और हर कदम पर हमारे साथ खड़े रहते हैं।

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संघर्षों से सीखना

महाभारत में पांडवों को अपने जीवन के सबसे कठिन समय का सामना करना पड़ा। उन्हें 13 वर्षों का वनवास और बाद में एक भयंकर युद्ध भी लड़ना पड़ा। लेकिन इन्हीं संघर्षों ने उन्हें मजबूत और विजयी बनाया। यही शिक्षा हमें यह सिखाती है कि जीवन में आ रही कठिनाइयाँ हमें टूटने के बजाय उन्हें समझने और उनसे सीखने का मौका देती हैं। जब तक हम संघर्ष नहीं करेंगे, तब तक हम अपनी असली ताकत को नहीं पहचान पाएंगे। कठिनाइयाँ ही जीवन को जीने योग्य बनाती हैं और सफलता का असली स्वाद उसी में छुपा होता है। इसलिए मुश्किलें आएं तो घबराएं नहीं, उन्हें एक अवसर की तरह देखें और उनसे सीखने का प्रयास करें।

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संतुलन बनाना

महाभारत में धृतराष्ट्र जैसे पात्र ने अपने भावनात्मक फैसलों से बड़े कष्टों को जन्म दिया। उनका पुत्र मोह और अत्यधिक संवेदनशीलता उनके निर्णयों को प्रभावित करती थी, जिसका परिणाम कौरवों की हार के रूप में सामने आया। यह हमें यह सिखाता है कि जीवन में संतुलन बनाए रखना बेहद आवश्यक है। अगर हम अपनी भावनाओं को पूरी तरह से नियंत्रित कर लें और उसी समय उचित निर्णय लें, तो हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। अत्यधिक भावुकता कभी-कभी हमें निर्णय लेने में विवेकहीन बना देती है। इसलिए, अपने आप को शांत और संतुलित रखना चाहिए, ताकि हम किसी भी समस्या से निपटने में सक्षम हो सकें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Shyam Nandan

First published on: Apr 13, 2025 04:34 PM

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