Surya ke Upay: वैदिक ज्योतिष में नौ ग्रह बताए गए हैं और सूर्य को इन सभी ग्रहों का राजा माना गया है। सनातन धर्म के पंचांग के अनुसार रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य सबसे अधिक ऊर्जा लिए होते हैं। यही कारण है कि रविवार को सूर्य की उपासना और आराधना का विशेष दिन माना गया है।
ज्योतिष के अनुसार जिनकी कुंडली में सूर्य बलशाली होते हैं, वह व्यक्ति आजीवन मान-सम्मान पाते हैं। जिन व्यक्तियों का सूर्य बली होता है, वे ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र, प्रशासन और राजकाज में प्रतिष्ठित पदों पर आसीन होते हैं। सूर्य जिन पर मेहरबान होते हैं, वे लोग राजसी सुख भोगते हैं। शत्रु इनसे भयभीत रहते हैं।
सूर्य को प्रसन्न करने के उपाय
लेकिन यह भी देखा गया है कि जिनका सूर्य बली नहीं होता है, वे लोग मुश्किल से अपनी जिंदगी बसर कर पाते हैं। ऐसे लोगों को सूर्य को प्रसन्न करने के लिए विशेष प्रयास करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों में सूर्य को प्रसन्न करने के लिए अनेक उपाय बताए गए हैं, जिनका विधिवत पालन कर सूर्य दोष को ठीक किया जा सकता है। यहां कुछ आसान उपाय बताए गए हैं, जिनको अपनाकर सूर्यदेव की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
सूर्य को तांबे के पात्र से अर्घ्य दें
सनातन धर्म में सूर्य को जल, दूध और शहद से अर्घ्य देने की प्राचीन परंपरा है। मान्यता है कि इससे शरीर की इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ती है, सेहत और स्वास्थ्य उत्तम रहता है, रोग-शोक मिट जाते हैं। जो लोग सूर्य दोष से पीड़ित हैं, उनको रविवार की सुबह के साथ शाम को तांबे के पात्र से सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। जिन लोगों को यश और प्रतिष्ठा चाहिए, उनको रविवार की दोपहर में अर्घ्य देने के साथ सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए। ढलते सूर्य को जल का अर्घ्य देने और सूर्य आराधना से जीवन में शीघ्र ही संपन्नता आती है।
रविवार का व्रत करें
सूर्य दोष को ठीक करने के लिए धार्मिक आचार्य और ज्योतिषि रविवार को सूर्य-व्रत करने की सलाह देते हैं। सुख-समृद्धि में वृद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए रविवार के व्रत को श्रेष्ठ माना गया है। मान्यता है कि रविवार का व्रत करने से केवल सूर्यदेव ही प्रसन्न नहीं होते हैं, बल्कि अन्य ग्रह भी शुभ फल देने के लिए तत्पर हो जाते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जो लोग सूर्य दोष से पीड़ित होते हैं, उनको जीवन भर कष्ट बना रहता है। उनके जीवन में खुशहाली नहीं होती है। इसलिए रविवार के दिन सूर्य का व्रत रखने का महत्त्व बढ़ जाता है। यह व्रत एक वर्ष या 51 रविवार, 27 रविवार या कम-से-कम 12 रविवार तक करना चाहिए। यदि संभव हो, तो रविवार व्रत की कथा भी सुननी चाहिए।
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नमक से परहेज करें
जिनको जीवन में उच्च प्रतिष्ठा चाहिए, उनको रविवार को नमक खाने से परहेज करना चाहिए। सनातन वैष्णव परंपरा में वैसे भी रविवार को नमक का त्याग करने का प्राचीन रिवाज है। यदि पूरे दिन नमक नहीं छोड़ सकते हैं, तो कम-से-कम सूर्य के अस्त होने के बाद नमक न खाएं। विज्ञान ने भी यह सिद्ध किया है कि सप्ताह में एक दिन नमक का सेवन करने से बचना चाहिए। बता दें, जो लोग रविवार को नमक नहीं खाते हैं, वे चावल, दूध और गुड़ का सेवन करते हैं। इससे सूर्य के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
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रविवार को ये उपाय भी करें
- रविवार के दिन मस्तक पर लाल चंदन लगाएं। यदि लाल चंदन उपलब्ध न हो, तो हरि चंदन भी लगा सकते हैं।
- इस दिन एक लाल कपड़े में गेहूं या चावल को बांधकर किसी को दान करें। निर्बली सूर्य को मजबूत बनाने के लिए बहते पानी में चावल और गुड़ को मिश्रित कर प्रवाहित करें।
- एक तांबे के पात्र या लोटे में स्वच्छ जल लें, उसमें लाल चंदन, लाल फूल, अक्षत और दूर्वा (दूब घास की कोमल पत्तियां) मिलाएं और सूर्यदेव को जल अर्पित करें। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। यदि ये स्तोत्र याद न हो या उपलब्ध न हो, तो ‘ऊं सूर्याय नम:,’ ‘ऊं ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः,’ ‘ऊं घृणि: सूर्यादित्योम’ या ‘ऊं ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:’ मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।
- यदि रविवार के दिन कोई नया काम शुरू करने जा रहे हैं, तो कुछ मिष्टान्न जैसे गुड़, मिठाई या खीर खाएं, तब कार्य आरंभ करें।