Sawan 2025: बेलपत्र को बिल्व पत्र भी कहा जाता है। इसको हिंदू धर्म में पवित्र माना गया है। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। सामान्य रूप से बेलपत्र तीन पत्तियों वाला होता है, जो त्रिदेव ‘ब्रह्मा, विष्णु और महेश’ का प्रतीक माना जाता है। वहीं, तीन से भी अधिक पत्तियों वाले बेलपत्र भी पाए जाते हैं, जो अत्यंत दुर्लभ और शुभ माने जाते हैं। ये बेलपत्र अपनी विशेषता और आध्यात्मिक महत्व के कारण बेहद खास स्थान रखते हैं।
कितनी पत्ती वाले होते हैं बेलपत्र
बेलपत्र कई प्रकार के होते हैं, जिनमें पत्तियों की संख्या के आधार पर इन्हें बांटा जाता है।
चार पत्ती वाला बेलपत्र
यह बेलपत्र चार वेदों ‘ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद’ का प्रतीक माना जाता है। यह अत्यंत दुर्लभ होता है और इसे भगवान शिव को अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि सावन में अगर इस बेलपत्र को शिवलिंग पर अर्पित किया जाए तो पूरे महीने का फल एक साथ मिल जाता है। इसे गंगा जल के साथ शिवलिंग पर अर्पित करने से आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है और घर में वास्तु दोष दूर होते हैं। इस बेलपत्र पर ‘राम’ नाम लिखकर शिवजी को चढ़ाने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
पांच पत्ती वाला बेलपत्र
यह बेलपत्र पंचदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश और माता पार्वती) के साथ ही पांचों तत्वों पृथ्वी, जल, आकाश, वायु का प्रतीक होता है। यह बेलपत्र शिव पूजा में सर्वोच्च माना जाता है। से अर्पित करने से भगवान शिव तुरंत प्रसन्न होते हैं और भक्त को समस्त सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। 108 पांच पत्ती वाले बेलपत्रों को चंदन में डुबोकर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र के साथ अर्पित करने से विवाह में आ रही बाधाएं और स्वास्थ्य समस्याएं दूर होती हैं। पूर्णिमा के बाद वाले सोमवार को अपनी आयु के बराबर पांच पत्ती वाले बेलपत्र दूध में डुबोकर शिवलिंग पर चढ़ाने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
6 पत्तों वाला बेलपत्र
इसे छहमुखी बेलपत्र भी कहा जाता है। यह छह मुख वाले भगवान कार्तिकेय का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय के प्रतीक इस बेलपत्र को भोलेनाथ पर अर्पित करने से जीवन की हर समस्या का समाधान हो जाता है।
7 पत्तियों वाला बेलपत्र
सात पत्ती वाला बेलपत्र सप्त ऋषियों, सात लोकों और सात चक्रों का प्रतिनिधित्व करता है। इसको अर्पित करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है। इसके साथ ही असाध्य रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
11 पत्ती वाला बेलपत्र
11 पत्तियों वाला बेलपत्र 11 रुद्रों का प्रतीक हैं। इसको अर्पित करने से जन्म-जन्मांतरों के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
21 पत्ती वाला बेलपत्र
यह बेलपत्र बेहद ही दुर्लभ है। इसको भगवान शिव के 21 अवतारों का प्रतीक माना जाता है। ऐसा बेलपत्र भगवान शिव को अर्पित करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
25 पत्ती वाला बेलपत्र
यह बेलपत्र शिव के 25 महाभूतों का प्रतीक होता है। यह व्यक्ति को हर बंधन से मुक्त कर देता है। ऐसा व्यक्ति हर इच्छा को पूरी करता है। हालांकि छह, सात, नौ, 11 और 21 और 25 पत्ती वाला बेलपत्र अत्यंत दुर्लभ हैं और इन्हें पाना परम सौभाग्य माना जाता है। कुछ स्थानों पर 13, 19 पत्ती वाले बेलपत्र भी मिलने की बात कही गई है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों या तीनों लोकों का प्रतीक माने जाते हैं।
रंग भी होता है अलग
बेलपत्र का रंग अवमूमन हरा होता है। वहीं, सफेद रंग का भी बेलपत्र होने का उल्लेख कई जगहों पर मिलता है। इसको अत्यंत दुर्लभ माना जाता है। इसे अर्पित करने से व्यक्ति के अंदर अलौकिक शक्ति का संचार होता है।
बेलपत्र अर्पित करने के लाभ
इन बेलपत्रों को घर के मुख्य द्वार पर फ्रेम कराकर रखने या पूजा स्थल पर रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता बढ़ती है। इन बेलपत्रों को धार्मिक ग्रंथों में रखने या तिजोरी में संग्रह करने से आध्यात्मिक और आर्थिक उन्नति होती है।
क्या कहते हैं शास्त्र?
शिव पुराण में बेलपत्र को भगवान शिव का प्रिय माना गया है। इसमें कहा गया है कि बेलपत्र की पत्तियों, फूलों, फलों और जड़ों में विभिन्न देवी-देवताओं का वास होता है। विशेष रूप से पांच पत्ती वाला बेलपत्र पंचदेवों और शिव परिवार का प्रतीक है। इसे अर्पित करने से भगवान शिव तुरंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
स्कंद पुराण में बेलपत्र की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। यह कहा गया है कि माता पार्वती के पसीने की बूंदों से मंदार पर्वत पर बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। बेल के पेड़ की जड़ों में मां गिरिजा, शाखाओं में मां दक्षयायनी, पत्तियों में मां पार्वती, फूलों में मां गौरी और फलों में मां कात्यायनी, तने में मां महेश्वरी का वास होता है। तीन से अधिक पत्ती वाले बेलपत्र को दुर्लभ और शुभ माना गया है।
पद्म पुराण के अनुसार बेलपत्र का दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है और तीन से अधिक पत्ती वाले बेलपत्र को शिवलिंग पर अर्पित करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है।
बेलपत्र अर्पित करने के नियम
बेलपत्र को गंगा जल से शुद्ध करके चढ़ाएं। पांच पत्ती वाले बेलपत्र पर चंदन से ‘राम’ या ‘सीता राम’ लिखना शुभ माना जाता है। बेलपत्र की चिकनी सतह को शिवलिंग की ओर करके चढ़ाएं। कटे-फटे या छिद्रयुक्त बेलपत्र नहीं चढ़ाने चाहिए। बेलपत्र अर्पित करते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करके भी आप बेलपत्र अर्पित कर सकते हैं।
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम्
त्रिजन्मपाप संहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
इस दिन न तोड़ें बेलपत्र
बेलपत्र को कभी भी महीने की चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रांति तिथि के साथ ही सोमवार को नहीं तोड़ना चाहिए।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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