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Religion

Siddheshwari Mandir: यहां एक साथ हैं महादेव के 5 मंदिर, तीन स्वरूपों में देते हैं दर्शन

Siddheshwari Mandir: पश्चिम बंगाल के आसनसोल शहर में सिद्धेश्वरी नामक मंदिर स्थित है, जहां पर भगवान शिव अपने भक्तों को 12 ज्योतिर्लिंग, पंचानन और त्रिदेव के रूप में दर्शन देते हैं। आज हम आपको इसी मंदिर से जुड़ी कई रोचक बातों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। पढ़ें अमर देव पासवान की रिपोर्ट...

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Jul 10, 2025 16:47
Siddheshwari Mandir
Credit- News24

Siddheshwari Mandir, West Bengal: साल 2025 में 11 जुलाई से सावन का पवित्र माह शुरू हो रहा है, जिसका समापन 09 अगस्त को रक्षा बंधन के दिन होगा। इस दौरान देश के अधिकतर शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। सावन के दौरान सिद्धेश्वरी मंदिर में भी भक्तों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है। ये मंदिर पश्चिम बंगाल के आसनसोल के बराकर में दामोदर नदी के किनारे स्थित है, जो कि सात सौ साल पुराना है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, सिद्धेश्वरी मंदिर में एक साथ भगवान शिव के तमाम रूपों की पूजा करने से सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशियों का वास होता है। चलिए जानते हैं इसी मंदिर की खासियत के बारे में।

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नहीं दिखाई देता पांचवां मंदिर

कोलकाता के पुरातत्व विभाग के अनुसार, सातवीं से लेकर नौवीं शताब्दी में पाल युग के समय सिद्धेश्वरी मंदिर को बनाया गया था, जिसमें पांच मंदिरों का जिक्र किया गया है। 4 मंदिर तो पूरे हैं, लेकिन पांचवां मंदिर अधूरा है।

मंदिर के पुजारियों के अनुसार, सिद्धेश्वरी मंदिर परिसर में बने चार मंदिर को किसी व्यक्ति के द्वारा बनाया नहीं गया है, बल्कि ये अपने आप बने हैं। जबकि पांचवें मंदिर का निर्माण कभी पूरा ही नहीं हो पाया और अधूरा रह गया। लेकिन इस मंदिर में लोग पूजा भी करते हैं, जिसे आज के समय में अदृश्य मंदिर कहा जाता है। हालांकि पांचवे मंदिर को लेकर लोगों की अलग-अलग धारणाएं हैं। पांचवें मंदिर की जगह श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा करते हैं। जबकि सिद्धेश्वरी मंदिर के चारों मंदिरों में कुल 12 शिवलिंग स्थापित हैं, जिसे भक्तजन 12 ज्योतिर्लिंग के तौर पर देखते हैं।

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इस मंदिर में तीन शिवलिंग स्थापित हैं

सिद्धेश्वरी मंदिर के मुख्य द्वार पर दो मंदिर स्थापित हैं, जिनमें एक साथ तीन-तीन शिवलिंग हैं, जिनको भक्त त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) या फिर त्रिपुरारी के रूप में पूजते हैं। प्रत्येक शिवलिंग एक देवता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि दो मंदिरों में एक मंदिर में भगवान शिव का एक शिवलिंग और दूसरे में एक साथ पांच शिवलिंग और मां गौरी स्थापित हैं। जिस मंदिर में एक साथ पांच शिवलिंग मौजूद हैं, उसे पुरातत्व विभाग ने मां गौरी का मंदिर और भक्त पंचानन मंदिर के नाम से जानते हैं।

पंचानन महराज को सद्योजात, वामदेव, अघोर, तत्पुरुष और ईशान के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव को ही पंचानन कहते हैं, क्योंकि पांच मुख हैं, जो उनके पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश यानी पांच तत्वों और सृष्टि, स्थिति, संहार, तिरोभाव और अनुग्रह यानी पांच कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

इस मंदिर को माना जाता है शिव का प्रतीक

मंदिर के मुख्य द्वार के ठीक सामने भगवान शिव का एक मंदिर है, जिसमें एक शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। बता दें कि शिवलिंग को भगवान शिव के निराकार रूप का प्रतीक माना जाता है, जो ब्रह्मांड की शुरुआत और अंत से परे है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jul 10, 2025 04:47 PM

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