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Mata Temple Story: राजा के चिता पर बना एक अनोखा मंदिर, जिसमें होती है मां काली की पूजा!

Mata Temple Story: हिन्दू धर्म में शमशान भूमि को शुभ कार्यों के लिए अनुचित माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्मशान में भगवान शिव ही निवास कर सकते हैं। लेकिन आपको आज में बिहार के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहा हूं, जहां राजा की चिता पर मंदिर बना हुआ है। यहां विवाह जैसे शुभ कार्य भी होते हैं। नवत्रात्रि में यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है। इस मंदिर में आरती के समय भक्त जो भी मांगता है वह पूरी हो जाती है।

Edited By : Nishit Mishra | Updated: Oct 6, 2024 14:16
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shyama mai mandir darbhanga
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Mata Temple Story: बिहार के दरभंगा जिले में माता काली का एक मंदिर है। यह मंदिर रामेश्वरी श्यामा माई मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह माता काली के बहुत बड़े भक्त हुआ करते थे। जब उनकी मृत्यु हो गई तो यहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया था। बाद में उस स्थान पर माता काली को समर्पित एक मंदिर का निर्माण करवाया गया। इस मंदिर का वर्णन मिथिला रामायण में भी पढ़ने को मिलता है।

कहां है ये अनोखा मंदिर?

यह मंदिर दरभंगा के यूनिवर्सिटी कैंपस में स्थित है। यहां रोज हजारों की संख्या में माता का दर्शन करने आते हैं। लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि नवरात्रि के दौरान यहां जो भी भक्त माता की पूजा अर्चना करता है, उसकी सारी मुरादें पूरी हो जाती है। यहां सदियों से माता को पशु की बलि दी जाती है। ऐसी मान्यता है कि माता पशुबलि से प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सारे कष्ट दूर कर देती हैं। यह मंदिर पहले तंत्र साधना के लिए भी प्रसिद्ध हुआ करता था। लेकिन बाद में यहां तंत्र साधना को वर्जित कर दिया गया।

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चिता पर बना है ये मंदिर

इतिहासकारों का मानना है कि मां काली को समर्पित यह मंदिर महाराजा रामेश्वर सिंह की  चिता पर बनाया गया है। उस समय यह स्थान श्मशान भूमि हुआ करता था। इस श्मशान भूमि में दरभंगा राजघराने के लोगों का मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार किया जाता था। सबसे हैरानी की बात यह है कि शास्त्रों में श्मशान घाट में कोई भी शुभ काम करना वर्जित बताया गया है, लेकिन इस मंदिर में शादी, मुंडन और उपनयन जैसे शुभ कार्य सालों भर होते हैं।

श्यामा माई से जुड़ी कथा

दरभंगा स्थित श्यामा माई मंदिर का वर्णन मिथिला रामायण में पढ़ने को मिलता है। मिथिला रामायण में बताया गया है कि सहस्रानन रावण का बड़ा भाई था। रावण वध के पश्चात माता सीता ने प्रभु श्री राम से कहा, स्वामी अभी ये युद्ध समाप्त नहीं हुआ है। जब तक आप सहस्रानन का वध नहीं कर देते तब तक आप विजेता नहीं हो सकते। माता सीता के कहने पर श्री राम सहस्रानन से युद्ध करने निकल पड़ते हैं। युद्ध में सहस्रानन के बाण से प्रभु श्री राम घायल हो जाते हैं। यह देख माता सीता क्रोधित होकर सहस्रानन का अंत कर देती है।

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मिथिला रामायण में बताया गया है कि क्रोध से माता सीता का रंग काला हो गया था। सहस्रानन के वध के बाद भी जब सीता जी का क्रोध शांत नहीं हुआ तो, भगवान शिव उनके पास आते हैं और उन्हें शांत होने को कहते हैं। परन्तु माता सीता काली रूप में भगवान शिव के सीने पर अपना पैर रख देती हैं। इसके बाद माता सीता शांत हो जाती है। माता सीता के इसी रूप की पूजा दरभंगा के श्यामा माई मंदिर में की जाती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है

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Written By

Nishit Mishra

First published on: Oct 06, 2024 02:16 PM

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