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नाम कीर्तिमुख, काम का दानवों का, खुद को भी खा डाला…फिर भी देवताओं से है ऊंचा दर्जा, जानें पूरी कहानी

Shiv Kirtimukha Story: कीर्तिमुख की कथा भी ऐसे दानव की दास्तान है, जो अपनी निष्ठा और तत्परता से भगवान शिव की कृपा पाने में सफल हुआ था। पवित्र माह सावन शुरू होने वाला है, आइए इस मौके जानते हैं, शिव कृपा से देवताओं से भी ऊंचा दर्जा पाने वाले कीर्तिमुख की रोचक कहानी।

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Jul 21, 2024 07:25
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Shiv Kirtimukha Story: हिन्दू धर्म के ग्रंथों में एक से बढ़कर एक रहस्यमय और गूढ़ कथाएं भरी पड़ी हैं। यहां देवी-देवताओं, असुरों, यक्षों, नागों और रहस्यमय प्राणियों की कहानियों का अथाह भंडार है। जिस कथा की यहां बात हो रही है, उसका सामान्य हिन्दू जन-जीवन से भी गहरा संबंध है। यह कथा एक ऐसे विकराल दानव की है, जिसका नाम कीर्तिमुख था और इसका स्थान देवताओं से भी ऊंचा है। आइए जानते हैं, कीर्तिमुख दानव का हमारे जीवन से क्या लेना-देना है और इसकी कहानी क्या है?

ऐसे हुई कीर्तिमुख दानव की उत्पत्ति

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार असुरों के राजा जलंधर ने महादेव शिव को चुनौती देने के लिए राहु ग्रह को ये आदेश दिया कि वो भगवान शिव के मस्तक पर सुशोभित चंद्रमा को निगल ले यानी अपना ग्रास बना ले। जैसे ही राहु ने चंद्रमा को ग्रास करने की कोशिश की, महादेव क्रोधित हो गए। उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी। इस आंख से एक भयानक दानव उत्पन्न हुआ।

भयभीत राहु ने ली भोलेनाथ की शरण

महादेव ने इस दानव को राहु को खा जाने का आदेश दिया। अपने विकराल रूप में वह दानव राहु को निगलने के लिए आगे बढ़ा, जिसे देखकर राहु भयभीत हो उठा। उसने तुरंत स्वयं ने महादेव शिव की शरण ले ली और अपनी गलती की क्षमा मांगी। भगवान शिव ठहरे भोलेनाथ उन्होंने राहु को क्षमा कर दिया और दानव को उसे खाने से रोक दिया।

भगवान शिव ने दिया कीर्तिमुख नाम

इसके बाद दानव ने पूछा कि अब मैं क्या करूं, आपने मुझे बनाया ही राहु को खाने के लिए था, अब मैं क्या खाऊं? तब महादेव ने कहा कि तुम खुद को खा लो। तब उस दानव ने अपना ही शरीर खाना शुरू कर दिया। उसने अपना पूरा शरीर खा लिया था, केवल दो हाथ और चेहरा यानी मुख ही बचा था। लेकिन उसकी भूख खत्म नहीं हुई थी, उसने महादेव से पूछा कि अब मैं क्या खाऊं? भगवान शिव उसके भक्ति, निष्ठा और तत्परता देख बहुत प्रसन्न हुए और बोले कि तुम एक यशस्वी मुख हो। आज से तुम कीर्तिमुख के नाम से जाने जाओगे। तुम्हारा स्थान देवताओं से भी ऊपर होगा और अब से तुम इस संसार और लोगों में व्याप्त पाप, लोभ और बुराई इन सबको खाओगे।

इसलिए घर और मंदिर पर टंगा होता दानव का चेहरा 

तब से कीर्तिमुख को मंदिर और घर के द्वार पर और भगवान की मूर्ति ऊपर दानव मुखरूपी कीर्तिमुख को स्थापित किया जाता है। वह तब से इस संसार में व्याप्त सभी प्रकार की बुराइयों को निगलता आ रहा है। हमारे घरों के ऊपर लगा दानव का चेहरा एक नजरबट्टू नहीं है, बल्कि हमारे अंदर शुभता और अच्छाई को बढ़ावा देने का माध्यम है, जो भगवान शिव ने हमें प्रदान किया है। साथ ही यह इस बात का संकेत देता है कि यदि भगवान से मिलना है, तो क्रोध, लोभ और बुरी नियत को छोड़ना होगा।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jul 21, 2024 07:25 AM

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