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Shani Pradosh Vrat 2025: आज है शनि प्रदोष व्रत, शनि के बुरे प्रभावों से बचने के लिए करें इन मंत्रों का जाप

Shani Pradosh Vrat 2025: अक्टूबर महीने में दो शनिि प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं. इनमें से एक शनि प्रदोष व्रत आज 4 अक्टूबर को है.शनि त्रयोदशी तिथि 4 अक्टूबर 2025 को शाम 05:09 बजे से शुरू होगी इस व्रत में प्रदोष काल का महत्व होता है ऐसे में शनि प्रदोष व्रत आज ही है.

Author Written By: Aman Maheshwari Author Published By : Aman Maheshwari Updated: Oct 4, 2025 14:35
Shani Pradosh Vrat 2025
Credit- News24 Graphics

Shani Pradosh Vrat 2025: शनि देव के बुरे प्रभाव के कारण व्यक्ति को जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. शनि की ढैया या साढ़ेसाती से जीवन में मानसिक तनाव, आर्थिक परेशानियां और रिश्तों में खटास की समस्या होती है. शनि के बुरे प्रभावों से मुक्ति के लिए आप शनि प्रदोष के दिन उपाय कर सकते हैं. आपको इन मंत्रों के जाप करने मात्र से ही शनि के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है. आप इन मंत्रों का जाप पूजा के समय या दिन में कभी भी कर सकते हैं. आप आज यहां बताए इन मंत्रों का जाप कर शनि दोष के प्रभाव को कम कर सकते हैं. आइये इन मंत्रों का बारे में आपको बताते हैं.

आज शनि प्रदोष के दिन करें इन मंत्रों का जाप

शनि देव मंत्र

आपको शनि देव के “ॐ शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए. इस मंत्र 108 बार जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है. यह जाप करने से आपको शनि दोष से मुक्ति मिलेगी.

शनि देव बीज मंत्र

“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” आपको शनि प्रदोष के दिन शनिदेव के इस बीज मंत्र का जाप करना चाहिए. इस मंत्र के जाप से व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में आने वाली समस्याएं से मुक्ति मिलती है.

शनिचर पुराणोक्त मंत्र

सूर्यपुत्रो दीर्घेदेही विशालाक्ष: शिवप्रिय:
मंदचार प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि:

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शनि का वेदोक्त मंत्र

ॐ शमाग्निभि: करच्छन्न: स्तपंत सूर्य शंवातोवा त्वरपा अपास्निधा:

श्री शनि व्यासवि‍रचित मंत्र

ॐ नीलांजन समाभासम्। रविपुत्रम यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्डसंभूतम। तम् नमामि शनैश्चरम्।।

शनि स्तोत्र का पाठ

नमस्ते कोणसंस्‍थाचं पिंगलाय नमो एक स्तुते
नमस्ते बभ्रूरूपाय कृष्णाय च नमो ए स्तुत
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो
नमस्ते मंदसज्ञाय शनैश्चर नमो ए स्तुते
प्रसाद कुरू देवेश दिनस्य प्रणतस्य च
कोषस्थह्म पिंगलो बभ्रूकृष्णौ रौदोए न्तको यम:
सौरी शनैश्चरो मंद: पिप्लदेन संस्तुत:
एतानि दश नामामी प्रातरुत्थाय ए पठेत्
शनैश्चरकृता पीडा न कदचित् भविष्यति

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Oct 04, 2025 02:35 PM

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