Shani Jayanti 2025: शनि स्तोत्र और दान-पुण्य विशेष फलशनि भगवान को ऐसा देवता माना गया है, जो व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देते हैं। इस दिन श्रद्धालु विशेष रूप से शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए उपवास, हवन, तेल अर्पण और स्तुति करते हैं। उत्तर प्रदेश में कुछ ऐसे प्रसिद्ध शनि मंदिर हैं, जहां शनि जयंती के दिन विशेष पूजा-अर्चना और भव्य आयोजन होते हैं।
इसके साथ ही हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए एकत्र होते हैं। यहां किए गए मंत्र-जप, श्रीदायक माने जाते हैं। कहा जाता है कि इन पवित्र स्थलों पर शनि जयंती पर की गई आराधना से साढ़ेसाती, ढैय्या और अन्य शनि दोषों का प्रभाव कम होता है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने लगते हैं। इसलिए, यदि आप इस शनि जयंती पर शनिदेव का विशेष आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो इन पांच दिव्य मंदिरों में जाकर स्तुति और सेवा जरूर करें।
शनि मंदिर, प्रतापगढ़
प्रतापगढ़ जिले में स्थित यह मंदिर भक्तों के लिए एक आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां शनिदेव की प्रतिमा अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। इस मंदिर में शनि जयंती पर विशेष पूजा, तेल अभिषेक और हवन का आयोजन होता है, जिससे जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
शनि मंदिर, बरेली
यह शनि मंदिर बरेली में बहुत प्रसिद्ध है। यहां हर शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। शनि जयंती के दिन विशेष पूजा-पाठ और भंडारे का आयोजन होता है। भक्त यहां शनि स्तोत्र, दशरथ कृत शनि स्तुति और तेल चढ़ाकर कष्टों से मुक्ति की कामना करते हैं। यह मंदिर आस्था और विश्वास का प्रतीक भी माना जाता है।
कोकिलावन धाम, मथुरा
मथुरा के कोसीकलां के पास स्थित कोकिलावन धाम सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन शनि मंदिरों में से एक है। मान्यता है कि शनिदेव ने यहां तपस्या की थी और श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए थे। यहां शनि जयंती पर विशाल मेले और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
शनिचरा मंदिर, उरई (जालौन)
जालौन जिले के उरई में स्थित यह मंदिर साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे शनि दोषों से राहत दिलाने के लिए प्रसिद्ध है। शनि जयंती के दिन विशेष पूजा, दीर्घकालिक तेल अर्पण और हवन कराए जाते हैं। यहां की मान्यता है कि शनिदेव तुरंत कृपा करते हैं और सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
शनि मंदिर, आजमगढ़ (देवगांव)
आजमगढ़ जिले के देवगांव में स्थित यह मंदिर पूर्वांचल क्षेत्र में शनिदेव की आराधना का प्रमुख केंद्र है। यहां हर शनिवार को विशेष भीड़ होती है, लेकिन शनि जयंती पर हजारों भक्त पहुंचते हैं और तेल, दीप, और शनि स्तोत्र से भगवान को प्रसन्न करते हैं।
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