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Religion

Shani Jayanti 2025: कब है शनि जयंती, जानें क्या है इस दिन की पूजा विधि और मुहूर्त?

Shani Jayanti 2025: ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन शनि देव का जन्म हुआ था। इस कारण ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। हालांकि इस दिन कई जगहों पर वट सावित्री भी रखा जाता है।

Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: May 15, 2025 19:54
Shani dev

Shani Jayanti 2025: हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि अमावस्या मनाई जाती है। इस दिन भगवान शनि का जन्म हुआ था। भगवान शनि देव सू्र्यदेव और छाया के पुत्र हैं। इस दिन शनि देव की पूजा के साथ ही व्रत रखने का विधान भी है।

माना जाता है कि शनि व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। अगर कोई अच्छे कर्म करता है तो शनि अच्छा और खराब कर्म वालों को खराब फल देते हैं। शनि को ज्योतिष में न्यायधीश बताया गया है। शनि की दृष्टि हर व्यक्ति के जीवन में एक न एक बार अवश्य पड़ती है। इसके साथ ही लोगों को समय-समय पर शनि की ढैय्या और साढ़े साती का भी सामना करना पड़ता है। उत्तर भारत में जहां शनि जयंती ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाई जाती है, वहीं दक्षिण भारत में यह वैशाख माह की अमावस्या पर मनाई जाती है।

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साल 2025 में कब है शनि जयंती?

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 26 मई 2025 की दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से शुरू होगी और यह 27 मई 2025 की सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषियों के अनुसार, उदयकालिक अमावस्या के कारण शनि जयंती 27 मई को मनाई जाएगी। वहीं, पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 01 मिनट से 10 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इस समय शनिदेव की पूजा और अभिषेक करना विशेष फलदायी माना जाता है।

बन रहे हैं शुभ योग

इस साल शनि जयंती पर कई शुभ योग बन रहे हैं। सुकर्मा योग रात 10 बजकर 54 मिनट तक रहेगा, जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 25 मिनट से 05 बजकर 32 मिनट तक होगा। इसके अलावा, शिववास योग भी सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक रहेगा, जिसमें भगवान शिव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान होंगे। पंचांग के अनुसार, सूर्योदय सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर, सूर्यास्त शाम 07 बजकर 12 मिनट पर, और चंद्रास्त शाम 07 बजकर 49 मिनट पर होगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 03 मिनट से 04 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।

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इस प्रकार करें पूजन

शनि जयंती पर भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शनि मंदिर में पूजा के लिए जाएं। शनिदेव की मूर्ति को सरसों का तेल अर्पित करें। इसके बाद काले तिल और नीले फूल करें। इस समय ‘नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्, छाया मार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्’ मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। भक्त शनि स्तोत्र का पाठ करते हैं और दान-पुण्य में काले कपड़े, काले तिल, और तेल का दान करें। इस दिन चीटिंयों को गुड़ और तिल का मिश्रण खिलाएं।

इन बातों का रखें ध्यान

शनि मंदिर में जाने पर शनिदेव की मूर्ति के सामने खड़े न हों। इसके साथ ही उनकी आंखों से आंखें न मिलाएं। शनिदेव को हाथ जोड़कर प्रणाम न करें। उनको हमेशा सिर झुकाकर और हाथ कमर के पीछे बांधकर प्रणाम करें। जैसे कोर्ट में जज को किया जाता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: May 14, 2025 02:19 PM

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