---विज्ञापन---

Religion

पंच केदार धाम का रहस्य जहां पांडवों ने की थी खेती, आज भी बर्फीली भूमि पर अपने आप उगती है धान की फसल

उत्तराखंड में पंच केदारधाम यात्रा के रास्ते में स्थित पांडव सेरा न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह रहस्यमयी घटनाओं का केंद्र भी है। आइए जानते हैं, पांडव सेरा की ऐतिहासिकता क्या है और किस प्रकार से हर साल यहां की बर्फीली भूमि पर अपने आप धान की फसल उग आती है?

Author Edited By : Shyam Nandan Updated: Apr 16, 2025 17:36
panch-kedar-dham-pandav-sera-uttarakhand-tourism

पांडव सेरा, मदमहेश्वर धाम और नंदीकुंड के बीच का रास्ता है, जो एक प्रसिद्ध ट्रेकिंग रूट भी है। यह स्थान हिमालय की सुंदरता को दर्शाता है। यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में नंदीकुंड के रास्ते में 4800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पांडुसेरा के नाम से फेमस यह जगह एक ऐतिहासिक और रहस्यमयी स्थल है, जो पांडवों के इतिहास से जुड़ा हुआ है। यह जगह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां की अनोखी प्राकृतिक घटनाओं ने भी इसे एक रहस्यमयी स्थल बना दिया है।

madmahehwar-dham

पंच केदार के रास्ते में मदमहेश्वर धाम

पांडवों से है ऐतिहासिक संबंध

पांडव सेरा को पांडवों के निवास स्थान के रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पांडवों ने यहां अपनी निर्वासन की अवधि में खेती की थी और इस जगह को अपने निवास के रूप में चुना था। ‘पांडव’ शब्द पांच भाइयों का प्रतीक है, और ‘सेरा’ का मतलब है ‘पानी वाली खेती की भूमि’।

---विज्ञापन---

इस तरह, पांडव सेरा का नामकरण हुआ और आज भी यह जगह पांडवों के इतिहास और उनके द्वारा की गई खेती के प्रमाण के रूप में जानी जाती है। आपको बता दें, उत्तराखंड में सेरा जैसे खेती की जमीन को को स्यारा या सियारा भी कहते हैं।

pandav-sera

‘सेरा’ का मतलब है ‘खेती वाली जमीन’

ये भी पढ़ें: घर के मुख्य द्वार की ये 8 गलतियां पड़ सकती हैं भारी, रुक सकती है घर की बरकत; जानें आसान उपाय

---विज्ञापन---

अद्भुत है इतनी ऊंचाई पर धान होना

पांडव सेरा का एक अन्य रहस्य इसके अजीब और अद्भुत प्राकृतिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। इस क्षेत्र में सर्दियों के दौरान बर्फ की मोटी परत जमा हो जाती है, लेकिन जैसे ही बर्फ पिघलती है, यहां बिना बीज बोए धान की फसल उग आती है। यह घटना न केवल रहस्यमयी है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए एक आश्चर्य का विषय बन चुकी है। पांडव सेरा में धान का अपने आप उगना किसी चमत्कार से कम नहीं है, और यह घटना आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती बनी हुई है।

pandav-sera-4

4800 मीटर की ऊंचाई पर पानी के साथ धान की खेती आश्चर्यजनक है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां उगने वाली धान की किस्म सदियों पुरानी है। फसल के पकने के बाद, धान के बीज झरकर बर्फ और पानी में सुरक्षित हो जाते हैं। फिर जब सही समय आता है, ये बीज फिर से उग आते हैं। यह प्राकृतिक घटना पांडव सेरा को एक विशेष स्थान प्रदान करती है, जो न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि इसमें बायोलॉजिकल और प्राकृतिक रहस्यों का संगम भी है।

pandav-sera

पांडव सेरा से ऐसी दिखती है हिमालय की सुंदरता

पांडवों के अस्त्र-शस्त्र और नंदीकुंड

पांडव सेरा में पांडवों के अस्त्र-शस्त्र होने की मान्यता भी है। माना जाता है कि यहां पांडवों द्वारा इस्तेमाल किए गए अस्त्र-शस्त्र आज भी मौजूद हैं और इनका पूजन किया जाता है। इसके पास स्थित नंदीकुंड नामक पवित्र सरोवर भी है, जिसे धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां स्नान करने से शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है।

pandav-sera-6

पांडव सेरा ट्रेकिंग रूट पर है नंदीकुंड नामक पवित्र सरोवर

पांडवों के नहर में अब भी बहता है पानी

कहते हैं, पांडवों के समय में यहां एक महत्वपूर्ण निर्माण कार्य किया गया था, वह था एक नहर का निर्माण, जो आज भी मौजूद है। इसमें आज भी जलप्रवाह निरंतर चलता रहता है। यह नहर पांडवों की तकनीकी समझ और कृषि कार्यों में उनकी विशेषज्ञता को दर्शाती है। यह स्थान न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जलवायु और भूमि की उपयुक्तता को भी साबित करता है, जो पांडवों के लिए कृषि कार्यों में सहायक थी।

ये भी पढ़ें: गजब के इंटेलिजेंट होते हैं इन 3 तारीखों में जन्मे लोग, लेकिन लव के मामले में हैं थोड़े अनलकी

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Edited By

Shyam Nandan

First published on: Apr 16, 2025 05:35 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें