---विज्ञापन---

Ramayan Story: रामायण काल के 5 मायावी राक्षस, जिनका दिवाली से पहले प्रभु श्री राम ने किया था वध

Ramayan Story: ये तो हम सभी जानते हैं कि दिवाली, प्रभु राम के अयोध्या वापस आने की खुशी में मनाई जाती है। लेकिन इस लेख में हम आपको बताएंगे कि प्रभु श्री राम, लक्ष्मण जी और हनुमानजी ने दिवाली से पहले किन पांच मायावी राक्षसों का वध किया था।

Edited By : Nishit Mishra | Updated: Oct 18, 2024 16:49
Share :
ramayan story ramayan kal ke mayavi rakshas

Ramayan Story: रामायण काल में पृथ्वी लोक पर रावण का अत्याचार बढ़ा हुआ था। रावण ने अपनी शक्ति से तिनोलोकों को जीत लिया था। माता सीता के हरण के बाद जब युद्ध हुआ तो रावण प्रभु श्री राम के हाथों मारा गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण के आलावा भी कई राक्षस और दैत्य भी इस युद्ध में या इससे पहले मारे गए थे। ये सभी राक्षस बड़े ही मायावी हुआ करते थे।

कबंध

प्रभु श्री राम जब लक्ष्मण जी के साथ माता सीता की खोज कर रहे थे तभी, दंडक वन में उन्हें एक दैत्य दिखा। उस दैत्य के सिर नहीं थे लेकिन उसकी एक आंख दिख रही थी। वह बड़ा ही भयानक दिख रहा था। श्री राम और लक्ष्मण जब तक कुछ समझ पाते उससे पहले ही उसने उन दोनों को पकड़ लिया। उसके बाद राम और लक्ष्मण जी ने उसकी भुजाएं काट डाली। उसके बाद वह धरती पर गिर गया और पूछा आप दोनों कौन हैं? तब श्री राम ने अपना परिचय दिया। फिर श्री राम के पूछने पर उसने बताया मेरा नाम कबंध है। मैं दनु का पुत्र हुआ करता था परन्तु, दैत्यों का रूप धारण कर मैं ऋषियों को डराता था। ऋषियों के श्राप के कारण ही मेरा ये हाल हो गया। आपका मैं आभारी हूं,आपने मुझे उस श्राप से मुक्त कर दिया। उसके बाद कबंध की मृत्यु हो गई।

---विज्ञापन---

कालनेमि

कालनेमि लंका नरेश रावण का सबसे विश्वासपात्र सेनापति था। वह रूप बदलने में माहिर था। सीता हरण के बाद जब राम-रावण युद्ध हो रहा था तो, एक दिन लक्ष्मण जी मेघनाद के शक्ति बाण के लगने से मूर्छित हो गए। फिर वैद्य के कहने पर प्रभु श्री राम ने हनुमानजी को संजीवनी बूटी लाने के लिए भेजा। यह बात जब रावण को पता चला तो उसने अपने सबसे विश्वासपात्र कालनेमि को अपने पास बुलाया। रावण ने कहा, तुम रास्ते में हनुमान का रास्ता रोकने का काम करोगे। चाहे जो करना पड़े हनुमान द्रोणागिरी पर्वत तक पहुंच न पाए। उसके बाद कालनेमि ने अपनी माया से एक ऋषि का रूप धारण कर लिया।

ये भी पढ़ें-Diwali Special Story: जानिए अयोध्या में कैसे मनाई गई थी पहली दिवाली? लोगों ने ऐसे किया था प्रभु श्री राम का स्वागत?

---विज्ञापन---

फिर हनुमान जी के रास्ते में अपनी माया से एक सुन्दर उद्यान बना दिया। उस उद्यान में फूल, फल और तालाब भी थे। जब हनुमान जी की नजर उस उद्यान पर पड़ी तो वह उसकी सुंदरता पर मोहित हो गए। उसके बाद वो जैसे ही उद्यान के तालाब में उतरे, एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया। उसके बाद हनुमान जी ने उस मगरमच्छ का वध कर दिया। यह देख कालनेमि क्रोधित हो उठा और वह अपने असली रूप में आ गया। फिर हनुमान जी से युद्ध करने लगा। काफी देर युद्ध करने के बाद हनुमान जी ने प्रभु श्री राम का स्मरण कर कालनेमि का भी अंत कर दिया।

कुंभकर्ण

कुम्भकर्ण राक्षस राज रावण का भाई था। ब्रह्माजी जी के वरदान के कारण कुम्भकर्ण छह महीने पर एक दिन के लिए जागता था। कुम्भकर्ण भी बड़ा ही मायावी राक्षस था। प्रभु श्री राम से युद्ध के दौरान रावण के कहने पर कुम्भकर्ण युद्ध करने गया। कुम्भकर्ण को देखते ही वानर सेना इधर-उधर भागने लगी। कुम्भकर्ण ने अपने पैरों से ही हजारों वानरों को मौत के नींद सुला दिया था। यह देख श्री राम ने कुम्भकर्ण को युद्ध के लिए ललकारा। उसके बाद प्रभु श्री राम और कुम्भकर्ण में भीषण युद्ध हुआ। फिर अंत में प्रभु श्री राम ने कुम्भकर्ण का वध कर दिया।

अहिरावण

त्रेतायुग में अहिरावण एक असुर हुआ करता था। वह लंकेश रावण का मित्र था। युद्ध के दौरान एक दिन रावण के कहने पर अहिरावण ने प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी का अपहरण कर लिया। अहिरावण, प्रभु श्री राम के शिविर में विभीषण के भेष में आया था। अपहरण के बाद अहिरावण प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी को पाताललोक ले गया। वहां वह देवी को उन दोनों की बलि चढ़ाना चाहता था। यह बात जब हनुमाजी को पता चला तो वे पाताललोक पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात मकरध्वज से हुई। ऐसा माना जाता है कि मकरध्वज हनुमान जी का ही पुत्र था। मकरध्वज अहिरावण के द्वारपाल हुआ करते थे।

ये भी पढ़ें-Vishnu Puran Story: श्रापित होने के बाद भी महर्षि व्यास ने क्यों कहा था कलियुग को युगों में सर्वश्रेष्ठ?

फिर हनुमानजी को मकरध्वज से युद्ध करना पड़ा। जब मकरध्वज हनुमाजी से हार गया तो, उसने अहिरावण की मृत्यु का रहस्य हनुमानजी को बताया। मकरध्वज ने कहा यदि आपको अहिरावण का वध करना है तो, पहले इन पांच दीपकों को एक साथ बुझाना होगा। उसके बाद हनुमानजी ने पंचमुखी रूप धारण कर उन दीपकों को बुझाया। दीपकों के बुझते ही अहिरावण का भी अंत हो गया। उसके बाद श्री राम और लक्ष्मण अहिरावण के कैद से मुक्त हो गए।

मारीच

रामायण के अनुसार मारीच रावण का मामा था। जब शूर्पणखा ने रावण को माता सीता के बारे में बताई तो वह सीता हरण की योजना बनाने लगा। सीताहरण के उद्देश्य से रावण ने मारीच को एक सुन्दर हिरण का रूप धारण करने को कहा। मारीच तो मायावी था ही उसने हिरण का ऐसा रूप धारण किया कि वह सोने का हिरण लगने लगा। फिर वह उस वन में चला गया। उस मायावी हिरण को देखकर माता सीता मोहित हो गई और श्री राम से हिरण लाने को बोली।

पहले तो श्री राम मना करते रहे, लेकिन सीताजी के बार-बार कहने पर वह उस हिरण को लाने चले गए। उसके बाद जब श्री राम काफी देर तक नहीं लौटे तो सीता जी ने लक्ष्मण जी को भी प्रभु श्री के पास भेज दिया। इसके बाद रावण एक ऋषि का भेष धारण कर माता सीता के पास आया और उनका हरण कर लिया। उधर मारीच प्रभु श्री राम के हाथों मारा गया।

ये भी पढ़ें- Ramayan Story: कितना शक्तिशाली है प्रभु श्री राम का नाम? हनुमानजी की इस गलती में छिपा है इसका रहस्य!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है

HISTORY

Written By

Nishit Mishra

First published on: Oct 18, 2024 04:12 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें