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Raja Parba 2025: तीन दिन नंगे पैर! जानिए लड़कियों के लिए क्यों खास है ओडिशा का ‘राजा पर्व’

Raja Parba 2025: राजा उत्सव ओडिशा राज्य में मनाया जाता है। यह त्योहार नारित्व यानी वूमेनहूड को समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दौरान धरती माता को पीरियड्स होते हैं यानी कि रजस्वला होती हैं। रजस्वला नाम पर ही त्योहार का नाम राजा रखा गया है। आइए जानते हैं इस त्योहार के बारे में।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Jun 14, 2025 13:22
Raja Parab 2024

Raja Parba 2025: भारत विविधताओं का देश है। यहां हर राज्य की अपनी खासियत है और उनकी अपनी कुछ परंपराएं भी हैं। जैसे कि बिहार में मनाया जाने वाला उत्सव छठ और असम का बिहू। वैसे ही पूर्वी भारत के राज्य ओडिशा में भी एक त्योहार मनाया जाता है, जो वहां के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक होता है। इस त्योहार को राजा पर्व कहते हैं। राजा पर्व चार दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार है, जिसका महिलाओं के पीरियड्स से खास संबंध है। राजा त्योहार ओडिशा में महिलाओं के बीच अधिक प्रचलित भी है। कहा जाता है कि इन 4 दिनों में धरती माता को पीरियड्स होते हैं। आइए जानते हैं इस त्योहार के बारे में।

राजा पर्व क्यों मनाते हैं?

राजा पर्व महिलाओं को होने वाले पीरियड्स को समर्पित त्योहार है। लोग जहां, पीरियड्स को दर्दनाक और मुश्किल मानते हैं। वहीं, ओडिशा में पीरियड्स की धूमधाम से खुशियां मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा पर्व इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इन दिनों में पृथ्वी मां को मासिक धर्म, जिसे रजस्वला और आम भाषा में पीरियड्स कहते हैं। राजा पर्व ओडिशा का पारंपरिक त्योहार है, जो 4 दिनों तक मनाया जाता है। यह त्योहार आमतौर पर 13 जून से 16 जून के बीच हर साल मनाया जाता है।

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चार दिनों का उत्सव

पहला दिन

पाहिली राजा या इस दिन को ओडिशा में सोजो-बाजों कहते हैं, से त्योहार की शुरुआत होती है। 13 जून के दिन महिलाएं और लड़कियां स्नान करके नए कपड़े पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, पैरों में आलता लगाती हैं और खूब सजती हैं।

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दूसरा दिन

राजा संक्रांति, जो 14 जून को मनाया जाता है। यह पर्व का मुख्य दिन होता है। माना जाता है कि धरती मां इस दिन रजस्वला होती हैं। वे पीरियड्स में होती हैं। इस दिन महिलाएं झूला झूलती हैं, पारंपरिक खेल खेलती हैं जैसे कि ताश और चौसर आदि। इस दिन विशेष व्यंजन जिसमें राजा पोडो पीठा बनता है, राजा पन्ना (एक स्पेशल समर ड्रिंक) और भी कई पकवान बनते हैं। दूसरे दिन लड़कियां एक-दूसरे को पान भी खिलाती हैं।

तीसरा दिन

इस दिन सभी महिलाएं थोड़ा आराम करती हैं क्योंकि इस समय वे थक चुकी होती हैं। इस दिन लोग अपने घरों में पखाल खाते हैं और घर में खेल खेलते हैं।

बासी राजा

बासी राजा के दिन पर्व के समापन के लिए लड़कियां नहा-धोकर खुद को शुद्ध करती हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं या बाहर घूमने जाते हैं। इस तरह त्योहार का समापन होता है।

नंगे पैर क्यों रहती हैं महिलाएं?

इस पर्व की खास बातों में महिलाएं का चारों दिनों तक नंगे पैर रहना शामिल होता है। दरअसल, इसका कारण यह है कि धरती मां को उनकी रजस्वला के समय कोई चोट न पहुंचे, क्योंकि माना जाता है कि वे इन दिनों में कष्ट और तकलीफ में होती हैं। वहीं, हर किसी के घरों के आंगन में या पेड़ों पर झूले भी लगाए जाते हैं, ताकि लड़कियां उन पर बैठकर आराम करें और पारंपरिक गीत गाते हुए झूला झूलें।

क्यों खास है लड़कियों के लिए?

ओडिशा भारत का इकलौता राज्य है, जो यह पर्व मनाता है। यह त्योहार स्त्री शक्ति और उनकी प्रजनन क्षमता के सम्मान के लिए मनाया जाता है। इन दिनों लड़कियों को कोई भी घरेलू काम नहीं करना होता, वे इस समय सिर्फ विश्राम, सजना-संवरना और खुशियां मनाती हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 14, 2025 01:22 PM

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