Premanand Ji Maharaj: सनातन धर्म के लोगों के लिए दान का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि दान करने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है और पुण्य मिलता है। साथ ही कुंडली में कमजोर ग्रहों की स्थिति भी धीरे-धीरे मजबूत होने लगती है। इसी वजह से कुछ लोग किसी भी दिन किसी भी चीज का दान कर देते हैं। लेकिन प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि दान करने के भी कई नियम होते हैं, जिनका पालन प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए। नहीं तो उन्हें दान से लाभ होने की जगह आर्थिक नुकसान भी हो सकता है। आइए प्रेमानंद महाराज से जानते हैं कैसे और किन चीजों का दान करना शुभ होता है।
सामर्थ्य अनुसार करना चाहिए दान
प्रेमानंद महाराज ने प्रवचन के दौरान बताया था कि दान हमेशा प्रत्येक व्यक्ति को अपने सामर्थ्य अनुसार करना चाहिए। यदि पहले से ही आपको पैसों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, तो ऐसी परिस्थिति में दान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा दान सदा खुशी से करना चाहिए। किसी के कहने पर या दिखावे के चक्कर में दान नहीं करना चाहिए।
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दान किसको और कब देना चाहिए?
प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि रास्ते में अगर आपको कोई प्यासा दिख जाए, तो उसे पानी पिला दें। कोई व्यक्ति ठंड से कांप रहा है, तो उसे अपनी जैकेट या कंबल दे दें। कभी किसी बच्चे को पेट भर खाना खिला दें। अपनी कमाई का कुछ हिस्सा किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई के लिए दान कर दें। बेजुबान जानवरों का उपचार कराना या पक्षी को दाना खिलाना ही सच्चा दान होता है।
दान सदा उन लोगों को करना चाहिए, जिन लोगों को सही में उसकी जरूरत है। दान चाहे एक व्यक्ति को किया जाए या 50 लोगों को, जब तक आपकी नीयत सही नहीं है, तब तक उसका महत्व नहीं है। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, दूध, कपड़े, खाना, पानी और फलों का दान करना सबसे उत्तम होता है।
राधा रानी के भक्त हैं महाराज जी
प्रेमानंद महाराज श्री राधा रानी के परम भक्त हैं। जो वृंदावन में मौजूद आश्रम ‘राधा केली कुंज’ में प्रवचन देते हैं। महाराज के प्रवचन को सुनने के लिए रोजाना बड़ी संख्या में लोग वृंदावन जाते हैं। प्रवचन के जरिए प्रेमानंद महाराज लोगों को सनातन धर्म से जुड़े नियम और उपाय के बारे में बेहद ही सरल भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।