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मेहनत या भाग्य, जीवन में सफल होने के लिए क्या है जरूरी? जानें प्रेमानंद महाराज से

आज के समय में हर व्यक्ति भरपूर मेहनत करता है और ऊंचाइयों तक पहुंचना चाहता है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग खूब मेहनत करने के बावजूद भी जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर पाते। आइये जानते है इस पर क्या बोले प्रेमानंद महाराज।

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Apr 23, 2025 16:26

Premanand Ji Maharaj Viral Video: एक भक्त ने संत प्रेमानंद जी महाराज से एक बहुत ही गूढ़ प्रश्न पूछा महाराज जी, कृपा करके बताइए जीवन में सफलता के लिए परिश्रम ज्यादा जरूरी है या भाग्य? क्या मेहनत ही सब कुछ है, या फिर जो भाग्य में लिखा है वही मिलेगा? क्या आपके मन में भी यही सवाल उठता है तो आइएं जानते है इस विषय पर क्या बोले संत प्रेमानंद महाराज।

संत प्रेमानंद महाराज मुस्कुराए और बड़े ही सहज भाव से उत्तर दिया भाग्य और परिश्रम दोनों जरूरी हैं। लेकिन याद रखोअगर आपका भाग्य भारी है तो कोई ताकत आपको सफलता प्राप्त करने से नहीं रोक सकती है और अगर आपको अपनी किस्मत चमकानी है तो वह सिर्फ एक चीज से हो सकती है वो है भगवान का नाम जप क्योंकि कई लोग ऐसे है जिन्होंने बहुत अधिक मेहनत की है लेकिन फिर भी उनके हाथ सफलता नहीं आई। दूजी और ऐसे लोग भी है जो कि अपने भाग्य की चमक से जीवन की सारी चीजें आसानी से प्राप्त कर ले जाते है।

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महाराज जी ने अपने भक्त को बड़े ही प्यार, भाव से समझाया कि जो कुछ तुम्हारे भाग्य में लिखा होगा बस वहीं तुमको मिलेंगा चाहे कोई भी कितनी मेहनत कर लें। क्योंकि भाग्य वो है जिससे कोई नहीं जीत सकता है। भगवान ने जो आपके खाते में लिख दिया वह तो आपको झेलना ही पढ़ेगा।

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अगर चाहते हो आपका भाग्य अच्छा हो तो सिर्फ एक चीज है जो आपके भाग्य को पूरी तरह बदल सकती है और वो है भगवान का नाम जप और श्रद्धा भाव से कीर्तन क्योंकि सच्चे मन से लिया गया भगवान का नाम ही कर्मों को बदल सकता है और आपके भाग्य को भी।

संत प्रेमानंद जी महाराज द्वारा कहे गए 6 अच्छे और प्रेरणादायक विचार-

  • मन को नियंत्रित कर लो तो संसार की कोई चीज़ तुम्हें हिला नहीं सकती। मन ही सुख-दुख का कारण है इसलिए सबसे पहले अपने मन को साधो।
  • हर किसी से प्रेम करो बिना किसी अपेक्षा के। निंदा, ईर्ष्या और द्वेष को छोड़कर प्रेम से जीवन बिताओ यही सच्चा भजन है।
  • संतोष सबसे बड़ा धन है। जो व्यक्ति संतुष्ट है वह राजा के समान जीवन जीता है, चाहे उसके पास कुछ भी न हो।
  • सेवा ही सच्ची पूजा है। ईश्वर मंदिर में नहीं, भूखे को भोजन देने दुखी का साथ देने और जरूरतमंद की मदद करने में मिलता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है

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News24 हिंदी

First published on: Apr 23, 2025 04:26 PM

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