Paush Month 2024: हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार, इस समय 9वां महीना चल रहा है, जिसे मार्गशीर्ष माह कहा जाता है। 15 दिसंबर 2024 को मार्गशीर्ष माह का समापन होगा, जिसके बाद 16 दिसंबर 2024 से 10वां माह ‘पौष’ शुरू हो जाएगा। साल 2025 में ‘पौष’ महीने का समापन 13 जनवरी को होगा।
‘पौष’ माह को पूष, मलमास, खरमास और काला महीना भी कहा जाता है। देश के कई राज्यों में ‘पौष’ माह को छोटा पितृपक्ष के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस महीने में पितरों की शांति के लिए दान और तर्पण किया जाता है। चलिए धर्म की अच्छी खासी जानकारी रखने वालीं नम्रता पुरोहित से जानते हैं ‘पौष’ माह के महत्व और इससे जुड़े नियमों के बारे में।
‘पौष’ माह का महत्व
‘पौष’ के महीने में सूर्य देव की उपासना खासतौर पर की जाती है, क्योंकि इस दौरान सूर्य अपने विशेष प्रभाव में रहते हैं। मान्यता है कि ‘पौष’ माह में सूर्य देव 11 हजार रश्मियों के साथ साधक को ऊर्जा और उत्तम सेहत प्रदान करते हैं। जो लोग सच्चे मन से इस माह में सूर्य देव की पूजा करते हैं, उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होती है। सालभर उनका स्वस्थ्य अच्छा रहता है। इसके अलावा इस महीने में हेमंत ऋतु का प्रभाव भी ज्यादा रहता है, जिसके कारण ठंड अधिक होती है।
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पौष मास में इन बातों का रखें खास ध्यान
- प्रात: काल गुनगुना या गर्म पानी पिएं।
- स्नान आदि कार्य करने के बाद रोजाना सूर्य देव को जल अर्पित करें। तांबे के पात्र से जल दें, जिसमें रोली, अक्षत और लाल पुष्प जरूर डालें।
- सूर्य देव की पूजा करने के बाद ‘ओम आदित्य नमः’ मंत्र का 108 बार जाप और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
- नियमित रूप से घर में कपूर जरूर जलाएं।
- दिन में कुछ समय के लिए सूर्य की रोशनी में बैठें।
- पौष माह में दही, घी और माखन जैसे स्निग्ध चीजें और सूखा मेवा खाएं।
- खाने में ज्यादा से ज्यादा अजवाइन, लौंग और अदरक का इस्तेमाल करें।
- नए अनाज, गुड़, तिल और गर्म कपड़ों का दान करें।
- लाल और पीले रंग का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करें।
- नियमित रूप से भगवत गीता, विष्णु सहस्त्रनाम, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
‘पौष’ माह में भूलकर भी न करें ये काम
- कम से कम नमक का सेवन करें।
- जरूरत से ज्यादा भोजन न खाएं।
- तली-भुनी चीजों से दूरी बनाकर रखें।
- खाने में तेल और घी का इस्तेमाल कम से कम करें।
- पौष मास में मध्य रात्रि की साधना विशेष फलदायी मानी जाती है। इसलिए रात में 11:00 बजे से लेकर प्रात: काल 1 बजे तक इष्ट देव, गुरु या देवी-देवताओं की उपासना करें।
- शादी, विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य न करें।
- किसी नए काम की शुरुआत न करें।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।