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Religion

Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा की एक सबसे आश्चर्यजनक घटना, जिसने भी सुना वो हो गया भौंचक

Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा बहुत चमत्कारी थे. पानी को घी में बदलना, खारे पानी के कुएं को मीठा बना देना, एक सैनिक को बुलेटप्रूफ कंबल देकर जान बचाना आदि उनके जीवन की कई चमकारिक घटनाएं है. लेकिन ट्रेन वाली एक घटना ऐसी है, जिसे जिसने भी सुना, भौंचक रह गया. आइए विस्तार से जानते हैं, क्या थी यह घटना?

Author Written By: Shyamnandan Author Published By : Shyamnandan Updated: Nov 4, 2025 10:29
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नीम करोली बाबा के प्रमुख आश्रम कैंची धाम (उत्तराखंड) और वृंदावन आश्रम (उत्तर प्रदेश) में है।

Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा भारत के वैसे दिव्य संत हैं, जिन्होंने अनगिनत लोगों को जीवन की सही राह दिखाई. यही कारण हैं कि उन्हें प्रेमपूर्वक महाराज जी कहते हैं. उनके बारे में भक्तों और लोगों का मानना है कि वे हनुमान जी का अवतार थे. लगभग सन 1900 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में जन्म लेने वाले नीम करोली बाबा बचपन से ही भक्ति और करुणा में डूबे रहते थे. उनकी शिक्षाएं अमर हैं और पूरी मानवता के लिए उनका सबसे बड़ा संदेश था- ‘सबको प्रेम करो, सबकी सेवा करो और भगवान का नाम लो.’

बड़े चमत्कारी थे नीम करोली बाबा

नीम करोली बाबा के जीवन से अनेक अद्भुत घटनाएं जुड़ी हैं. कहा जाता है कि उन्होंने एक भंडारे में पूरी तलने के लिए पानी को ही घी बना दिया था, एक गांव के प्यासे लोगों के लिए खारे पानी के कुएं को मीठे जल में बदल दिया था और एक सैनिक को कंबल देकर युद्ध में गोली लगने से चमत्कारिक रूप से बचाया था. कहते है, बाबा की दिव्य शक्ति ऐसी थी कि वे बिना कुछ कहे ही भक्तों की पीड़ा समझ लेते थे और उनकी समस्याएं मिटा देते थे. उनके चमत्कार आज भी श्रद्धालुओं के हृदय में आस्था की ज्योति प्रज्वलित करते हैं. लेकिन बाबा के जीवन की ट्रेन वाली एक घटना ऐसी है, जिसे लोग आज भी सुनते हैं, तो भौंचक हो जाते हैं.

जब बाबा के बिना नहीं चली ट्रेन

एक बार, युवा साधु लक्ष्मण दास, जो बाद में नीम करोली बाबा के नाम से जाने गए, बिना टिकट के फर्स्ट क्लास के डिब्बे में ट्रेन से यात्रा कर रहे थे. टिकट चेकर (टीटीई) ने उन्हें देखा और बिना टिकट यात्रा करने के कारण उन्हें ट्रेन से नीचे उतार दिया. बाबा चुपचाप ट्रेन से उतर गए और पास में एक पेड़ के नीचे बैठ गए. इस जगह का नाम नीब करौरी था, जो उनके पैतृक गांव के पास था.

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बाबा को ट्रेन से उतारने के बाद जब ट्रेन चलाने के लिए गार्ड ने सीटी बजाई और ड्राइवर ने ट्रेन चलाने की कोशिश की, लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी ट्रेन एक इंच भी नहीं हिली. रेलवे के इंजीनियरों और अधिकारियों ने तकनीकी खराबी की तलाश में पूरे इंजन और ट्रेन का निरीक्षण किया, लेकिन उन्हें कोई समस्या नहीं मिली. ट्रेन को चलाने के सभी प्रयास विफल रहे.

तब वहां मौजूद एक मजिस्ट्रेट, जो बाबा को पहचानते थे, ने अधिकारियों को सुझाव दिया कि यह सब उस साधु के कारण हो रहा है और यदि उन्हें वापस ट्रेन में बैठाया जाए, तो शायद ट्रेन चल पड़े. उन्होंने बाबा से माफी मांगने और उन्हें सम्मानपूर्वक ट्रेन में वापस बिठाने का अनुरोध किया. कई घंटों की मशक्कत के बाद, रेलवे अधिकारी बाबा के पास पहुंचे, उनसे माफी मांगी और उन्हें सम्मानपूर्वक वापस ट्रेन में बैठने का अनुरोध किया.

बाबा मुस्कराए और उन्होंने ट्रेन में बैठने के लिए दो शर्तें रखीं: पहली, नीब करौरी गांव में एक रेलवे स्टेशन बनाया जाए ताकि स्थानीय लोगों को सुविधा हो; और दूसरी, भविष्य में किसी भी साधु-संत के साथ अपमानजनक व्यवहार न किया जाए. अधिकारियों ने बाबा की शर्तें मान लीं. जैसे ही बाबा वापस ट्रेन में चढ़े, ट्रेन तुरंत चल पड़ी. इसी घटना के बाद, लोग उन्हें बाबा के गांव, नीम करोली के नाम से जानने लगे, और यह नाम “नीम करोली बाबा” के रूप में प्रसिद्ध हो गया.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Nov 04, 2025 10:23 AM

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