Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा, जिन्हें ‘महाराजजी’ और ‘नीब किरोरी महराज’ भी कहा जाता है, आधुनिक भारत के प्रसिद्ध संत थे। उनका असली नाम लक्ष्मण दास शर्मा है, लेकिन नीम करोली में ट्रेन रोक देने के चमत्कार के कारण भक्त और लोग उन्हें नीम करोली बाबा कहने लगे। वे युवा अवस्था में ही वे सन्यास लेकर देशभर में घूमने लगे। वे चमत्कारी शक्तियों से संपन्न थे और प्रेम, सेवा और भक्ति का संदेश देते थे। उनकी शिक्षाओं में किताबी बातें कम और व्यावहारिक और सांसारिक बातें अधिक हैं। यही कारण है कि उनकी भक्ति और चमत्कारी कथाएं आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरित करती हैं।
नीम करोली बाबा का जीवन प्रेम, करुणा और भक्ति की मिसाल है। आपको बता दें कि स्टीव जॉब्स, मार्क ज़ुकरबर्ग और राम दास जैसे विदेशी लोग भी उनकी विचारों और शिक्षाओं से प्रेरित होकर इतिहास रच दिया। बाबा ने लोगों को गहरे आध्यात्मिक और व्यावहारिक जीवन के सहज सबक सिखाए। उन्होंने कहा कि जीवन में 4 ऐसे मौके आते हैं, जो हमारे सबसे बड़े शिक्षक होते हैं। ये हमें हमें जीवन को गहराई से समझने और अधिक प्रेम व करुणा के साथ जीने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं, क्या हैं ये 4 बातें?
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यह जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है!
दुख जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे बचना असंभव है। नीम करोली बाबा कहते थे कि जब हम दुखी होते हैं, तो हमें अपनी सीमाओं और कमजोरियों का एहसास होता है। यह हमें जीवन की सच्चाई से परिचित कराता है और यह सिखाता है कि हमें हर क्षण का आनंद लेना चाहिए।
दुख हमें भीतर से मजबूत बनाता है और हमें ईश्वर की याद दिलाता है। अक्सर, जब हम खुश होते हैं, तो हम अपनी आध्यात्मिकता को भूल जाते हैं, लेकिन जब दुख आता है, तो हम भगवान की ओर मुड़ते हैं। इस प्रकार, दुख हमें आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है और हमें अधिक सहनशील और दयालु बनाता है।
कोई कितना सह सकता है?
दर्द, चाहे शारीरिक हो या मानसिक, हमारी सहनशक्ति की परीक्षा लेता है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने भीतर धैर्य और शक्ति विकसित करनी चाहिए। जब हम दर्द से गुजरते हैं, तो हम समझते हैं कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है।
नीम करोली बाबा कहते थे कि दर्द का अनुभव करने से हमें दूसरों के दर्द को समझने में मदद मिलती है। जब हम किसी दर्दनाक स्थिति से गुजरते हैं, तो हमें दूसरों के प्रति अधिक सहानुभूति और करुणा का भाव आता है। यह हमें अपने अहंकार से मुक्त कर सकता है और हमें एक बेहतर इंसान बना सकता है।
शरीर बहुत नाजुक है!
बीमारी हमें यह एहसास कराती है कि हमारा शरीर नाजुक और अस्थायी है। हम अक्सर अपने शरीर को हल्के में लेते हैं, लेकिन जब हम बीमार होते हैं, तो हमें इसकी वास्तविकता का अहसास होता है।
नीम करोली बाबा कहते थे कि बीमारी हमें जीवन की अनमोलता को समझने का मौका देती है। यह हमें बताती है कि हमें अपने शरीर का ध्यान रखना चाहिए, अच्छी आदतें अपनानी चाहिए और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना चाहिए।
जब हम बीमार होते हैं, तो हमें अपने जीवन के बारे में सोचने और आत्मनिरीक्षण करने का अवसर मिलता है। यह हमें यह तय करने में मदद करता है कि हमें अपने शेष जीवन को कैसे जीना चाहिए और किन चीजों पर ध्यान देना चाहिए।
इससे मिलता है नया दृष्टिकोण!
मृत्यु एक अटल सत्य है जिसे कोई भी नहीं टाल सकता। नीम करोली बाबा का मानना था कि मृत्यु हमें जीवन की नश्वरता और क्षणभंगुरता की याद दिलाती है। यह हमें बताती है कि हमें अपने जीवन को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए और हर क्षण को पूरी तरह से जीना चाहिए।
जब हम किसी प्रियजन को खो देते हैं, तो हमें बहुत दुख होता है, लेकिन यह हमें जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण भी देता है। हम समझते हैं कि हमें अपने प्रियजनों से प्यार करना चाहिए, उनके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और हर दिन को एक उपहार की तरह देखना चाहिए।
नीम करोली बाबा की ये चार सीख बतलाती है दुख, दर्द, बीमारी और मृत्यु जीवन के सबसे बड़े शिक्षक हैं। ये हमें मजबूत बनाते हैं, हमें आत्म-जागरूकता देते हैं और हमें प्रेम और करुणा का महत्व सिखाते हैं। यदि हम इनसे सीखें, तो हम एक अधिक संतुलित, आनंदमय और अर्थपूर्ण जीवन जी सकते हैं। इसलिए, जब भी जीवन में कठिनाइयां आएँ, तो घबराने की बजाय उन्हें एक अवसर के रूप में देखें और अपने भीतर की शक्ति को पहचानें। यही नीम करोली बाबा की सबसे बड़ी सीख है।
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