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Religion

Narasimha Jayanti 2025: वैशाख की यह तिथि है बेहद खास, भगवान विष्णु की पूजा से पूरी होगी आस; जानें मुहूर्त, विधि और मंत्र

भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह भगवान की जयंती हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। आइए जानते हैं, नरसिंह जयंती के दिन भगवान विष्णु के इस रूप की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खास मंत्र क्या हैं?

Author Edited By : Shyam Nandan Updated: Apr 24, 2025 09:46
Narsimha-Jayanti-2025

भक्त प्रह्लाद और अधर्म के विनाश के संदर्भ में बात की जाए, तो हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह भगवान का विशेष महत्व है। हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। वैशाख की यह तिथि बेहद खास मानी जाती है और इस तिथि को नरसिंह भगवान की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं, नरसिंह जयंती कब है, महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र क्या हैं?

नरसिंह जयंती का महत्व

नरसिंह जयंती बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस पर्व को भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद की रक्षा और असुर हिरण्यकश्यप के वध के लिए नरसिंह अवतार लेने के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के नरसिंह रूप की पूजा और व्रत करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। जीवन में आने वाले सभी संकटों का नाश होता है। इसके साथ ही, घर में सुख-समृद्धि आती है और ग्रह-दोष से मुक्ति मिलती है.

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नरसिंह जयंती 2025 कब है?

हिन्दू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 10 मई, 2025 को शाम में 5:29 PM बजे हो रहा है और तिथि का समापन 11 मई, 2025 को शाम 8:01 PM बजे होगा। पर्व, त्योहार और व्रत एक लिए मान्य उदयातिथि के आधार पर इस बार नरसिंह जयंती 11 मई, रविवार को मनाई जाएगी। वहीं, नृसिंह जयंती के दिन मध्याह्न संकल्प का समय सुबह 10:57 AM बजे से दोपहर 1:39 PM बजे तक रहेगा। बता दें, यह वह समय होता है जब व्रत का संकल्प लिया जाता है।

नरसिंह पूजा के शुभ मुहूर्त

नरसिंह भगवान सायंकाल पूजा का समय शाम 4:21 PM बजे से लेकर 7:03 PM बजे तक रहेगा, जिसकी कुल अवधि 2 घंटे 42 मिनट की होगी। यह समय भगवान नृसिंह की पूजा-अर्चना और उपवास की मुख्य अवधि मानी जाती है। इस व्रत का पारण अगले दिन, 12 मई को सुबह 5:32 AM बजे के बाद किया जाएगा, क्योंकि इस दिन चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी।

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नरसिंह भगवान की पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़ वस्त्र पहनें।
  • घर को साफ़ करके गंगाजल से छिड़कें।
  • चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान नरसिंह की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं।
  • भगवान को फल, फूल, धूप-दीप, चंदन, कुमकुम, अक्षत आदि अर्पित करें।
  • भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्रों का जाप करें।
  • भगवान के सामने घी का दीपक जलाएं।
  • नरसिंह भगवान की आरती करें।
  • पूजा के बाद भगवान को ठंडी चीज़ें जैसे दही, मक्खन, तरबूज़, सत्तू और ग्रीष्म ऋतुफल चढ़ाएं।
  • पूजा के बाद कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से नरसिंह भगवान के मंत्र का जाप करें।
  • और सबसे अंत में भगवान नरसिंह को प्रणाम करें, बंधु-बांधवों में प्रसाद वितरण करें।

नरसिंह भगवान की पूजा के मंत्र

भगवान नरसिंह की उपासना के लिए अनेक मंत्र, जिनमें से कुछ अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं, जो न केवल भक्तिभाव को सुदृढ़ करते हैं, बल्कि जीवन के विभिन्न संकटों से रक्षा भी प्रदान करते हैं। यहां ऐसे ही 5 मंत्र दिए गए है, जिससे नरसिंह भगवान की उपासना कर सकते हैं।

1. ‘ॐ नमो नृसिंहाय’

भगवान नरसिंह को समर्पित यह मंत्र एक अत्यंत सरल लेकिन शक्तिशाली मंत्र है। इसका अर्थ है ‘भगवान नरसिंह को मेरा नमन।’ यह मंत्र साधारण जप और भक्ति के लिए उपयुक्त है तथा भय, बाधा और संकट की स्थितियों में मानसिक शांति प्रदान करता है।

2. ‘ॐ नमो भगवते सुदर्शन नृसिंहाय’

इस मंत्र का अर्थ है ‘हे सुदर्शन स्वरूप नरसिंह भगवान, आपको मेरा प्रणाम।’ यह मंत्र विशेष रूप से भगवान नरसिंह की सुरक्षा देने वाली शक्ति को उजागर करता है और आत्म-संरक्षण की भावना को जागृत करता है।

3. ‘ॐ नमो भगवते तुभ्यं पुरुषाय महात्मने’

इस मंत्र का भाव है ‘हे पुरुषोत्तम महान आत्मा नरसिंह भगवान, आपको प्रणाम।’ यह मंत्र आत्मिक उन्नति, दिव्य ज्ञान और आध्यात्मिक जागरूकता के लिए सहायक होता है।

4. ‘ॐ उग्रं उग्रं महाविष्णुं सकलाधारं सर्वतोमुखम्’

मंत्र भगवान नरसिंह के उग्र स्वरूप को समर्पित है, जिसका अर्थ है ‘उग्र (भयंकर), महाविष्णु, संपूर्ण ब्रह्मांड के आधार और सर्वदिशा में व्याप्त भगवान को नमस्कार।’ यह मंत्र विशेष रूप से नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं से रक्षा करने में उपयोगी है।

5. नरसिंह गायत्री मंत्र: ‘ॐ उग्र नृसिंहाय विद्महे, वज्र-नखाय धीमहि। तन्नो नृसिंहः प्रचोदयात्।’

यह मंत्र भगवान नरसिंह के तेजस्वी और उग्र स्वरूप का ध्यान करता है। इसका अर्थ है, ‘हम उग्र नृसिंह भगवान को जानें, उनके वज्र जैसे नखों का ध्यान करें, वे नरसिंह हमें प्रबुद्ध करें।’ यह मंत्र विशेष रूप से ध्यान, साधना और मानसिक बल को प्रोत्साहित करने के लिए जपा जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Shyam Nandan

First published on: Apr 24, 2025 09:42 AM

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