Narak Chaturdashi 2024: पांच दिवसीय दीपोत्सव 2024 का आज दूसरा दिन हैं। इसे छोटी दिवाली, नरक चतुर्दशी, रूप चौदस और यम चौदस भी कहते हैं। आज कालिका माता, भगवान यम और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती हैं। मान्यता है, दिन दोनों देवों की पूजा से अकाल मृत्यु टल जाती है, पापों का नाश होता है और यमलोक में दी जाने वाली नर्क की यातना से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं, नरक चतुर्दशी के मौके पर छोटी दिवाली क्यों मनाते हैं और आज कौन-से खास उपाय करने से व्यक्ति मृत्यु और नर्क आदि हर प्रकार से भय से मुक्त हो जाता है?
क्यों मनाई जाती है छोटी दीवाली?
हिन्दू धर्म में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली मनाते हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, आज के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक दुर्दांत राक्षस का वध किया था। नरकासुर ने राक्षस अपने अत्याचारों से तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था। देवता, यक्ष, किन्नर, गंधर्व, मनुष्य सभी त्रस्त थे।
कहते हैं, नरकासुर ने स्वर्गलोक पर आक्रमण कर देवताओं को बंदी बना लिया और पृथ्वी पर सैकड़ों राजाओं की पुत्रियों और पत्नियों का अपहरण कर लिया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्ति किया था। नरकासुर की कैद में बंद सभी देवताओं सहित लगभग 16,000 स्त्रियों को मुक्त कराया था।
कहते हैं कि नरकासुर के वध और उसकी कैद से हजारों लोगों के मुक्त कराने के बाद जब भगवान द्वारिका लौटे, तो लोगों लोगों ने दीपक जलाकर अपनी उनका स्वागत किया और खुशी जाहिर की। मान्यता है कि तभी से छोटी दिवाली मनाई जाता है।
छोटी दीवाली पर करें ये उपाय
1- छोटी दिवाली के दिन यमराज की पूजा का विधान है। यम देव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त होता है।
2- आज भगवान कृष्ण और मां कालिका की आराधना अवश्य करें, इससे जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर होती हैं।
3- आज के दिन तेल से मालिश कर स्नान करने से मृत्यु का भय समाप्त होता और और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
4- आज के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा करने से व्यक्ति के बल में वृद्धि होती है और जीवन में खुशियां आती हैं।
5- छोटी दिवाली के दिन 14 दीपक जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसलिए आज घर और घर के बाहर विभिन्न स्थानों पर 14 दिए जलाने चाहिए। पहला दीया भगवान यमराज को समर्पित किया जाता है और घर के बाहर सुनसान में दक्षिण दिशा में जलाया जाता है।
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