---विज्ञापन---

Religion

Mangalwar Ke Upay: मंगलवार के दिन करेंगे ये अचूक उपाय तो होगा मंगल ही मंगल, सभी दोष और बाधा से मिलेगी मुक्ति

Tuesday Remedies: मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने के साथ ही आप कई उपाय कर सकते हैं. इन उपायों को करने से मंगल दोष, कर्ज और बाधाओं से मुक्ति मिलती है.

Author Written By: Aman Maheshwari Author Published By : Aman Maheshwari Updated: Oct 13, 2025 20:04
मंगलवार के उपाय
Credit- Social Media

Tuesday Remedies: मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए विशेष होता है. हनुमान जी की कृपा से बल, बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद मिलता है इसके साथ ही आप मंगलवार को कई उपाय करने से शुभ परिणाम पा सकते हैं. इन उपायों को करने से मंलदोष और कर्ज से मुक्ति मिलती है. चलिए आपको मंगलवार के इन अचूक उपायों के बारे में बताते हैं जिन्हें करने से आपको लाभ मिलेगा.

मंगलवार को करें ये उपाय

---विज्ञापन---

मंगल दोष के उपाय

आपको मंगल दोष दूर करने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ कर लाल फूल अर्पित करना चाहिए. हनुमान जी को बूंदी के लड्डू या बूंदी का भोग लगाएं. आप “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” इस मंत्र का 108 बार जाप करें.

---विज्ञापन---

कर्ज मुक्ति के उपाय

कर्ज मुक्ति के लिए आपको मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में सिंदूर अर्पित करना चाहिए. इसे साथ ही 11 पीपल के पत्तों पर चंदन से श्रीराम लिखकर हनुमान जी को अर्पित करना चाहिए. हनुमान चालीसा का पाठ करें. इन उपायों से कर्ज से मुक्ति मिल सकती है.

कर्ज मुक्ति के लिए ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें

मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।।
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।।


अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।।
एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।


धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्।।
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।


अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।।
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।।


अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्।।
विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।


पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।।
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा।।
।। इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Oct 13, 2025 08:04 PM

संबंधित खबरें

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.