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Magh Purnima 2025: 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के स्नान का खास महत्व, जानें ग्रहों की शांति के उपाय, दान और पूजा विधि 

Magh Purnima 2025: 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा स्नान का क्या खास महत्व है और कौन से उपाय ग्रहों की शांति के लिए किए जा सकते हैं? दान का क्या खास महत्व है, आइए इसके बारे में जानने के साथ ही माघ पूर्णिमा की पूजा विधि जानते हैं।

Edited By : Simran Singh | Updated: Feb 7, 2025 20:19
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माघ पूर्णिमा

Magh Purnima 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार माघ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत इस बार 11 फरवरी 2025 मंगलवार को शाम 6:55 पर होगी और पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 12 फरवरी 2025 बुधवार को शाम 7:22 पर होगी। उदया तिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा 12 फरवरी, बुधवार को मनाई जाएगी। धर्म की अच्छी खासी जानकारी रखने वाली नम्रता पुरोहित ने माघ पूर्णिमा के स्नान, दिन के महत्व, पूजा विधि, ग्रहों की शांति उपाय और दान पुण्य की जानकारी दी है, आइए विस्तार से जानते हैं।

माघ पूर्णिमा के स्वामी चंद्र देव

माघ पूर्णिमा पूर्णत्व की तिथि यानी पूर्णिमा, सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि को विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। हर तिथि के स्वामी होते हैं और पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव को है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक दूसरे से सम सप्तक होते हैं। इस दिन चंद्र देव के दर्शन पूर्ण रूप से किए जा सकते हैं। पूर्णिमा तिथि के दिन पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान करना विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन वातावरण में और जल में विशेष ऊर्जा होती है।

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माघ पूर्णिमा स्नान करने का महत्व

पूर्णिमा के दिन नदियों में स्नान करने से इस विशेष ऊर्जा की प्राप्ति मनुष्य को होती है। माघिन या माघ पूर्णिमा को स्नान ध्यान और दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। ऐसा संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल या किसी भी पवित्र नदी का जल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। माघ पूर्णिमा पर स्नान दान तप और कल्पवास का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन देवता गण पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने आते हैं। इसके साथ ही गंगा स्नान दान करने से देवगण प्रसन्न होते हैं। इस बार की पूर्णिमा तिथि इसलिए विशेष हो जाती है चूंकि महाकुंभ का संयोग भी भक्तों को मिल रहा है।

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माघ पूर्णिमा की पूजा विधि

माघ पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर संकल्प लेकर सूर्य को अर्घ दें। सूर्य भगवान की उपासना करें जल में काले तिल डालकर तर्पण करें। इसके बाद श्री हरि विष्‍णु, मां लक्ष्‍मी और भगवान भोलेनाथ का पंचामृत से अभिषेक करें। सत्यनारायण भगवान की कथा करें। पूरे दिन फल और जल लेकर उपवास रखें। संभव ना हो तो एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करें। शाम के समय लक्ष्मी कवच,लक्ष्मी स्त्रोत और विष्‍णु सहस्‍त्रनाम का पाठ करें। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को जल अर्पित करें। मघा नक्षत्र के नाम से माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति मानी गई है।

माना जाता है कि माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं और प्रयागराज में स्नान दान और जप करते हैं। इसलिए माघ पूर्णिमा पर प्रयागराज में गंगा स्नान करना सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करता है और मोक्ष की प्राप्ति देता है। इस साल महाकुंभ है इसलिए माघ पूर्णिमा का महत्व और विशेष हो जाता है।

आस्था की डुबकी से मिलेगी पापों से मुक्ति

प्रयागराज स्थित त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाकर स्वयं को पापों से मुक्ति दिलवाएं।

  1. तीन बार आचमन कर, तीन बार डुबकी जरूर लगाएं।
  2. सभी ग्रहों की  शांति चाहते हैं तो माघ पूर्णिमा पर उस ग्रह से संबंधित दान देकर ग्रहों की शांति की जा सकती है।
  3. इसी के साथ ही जो मनुष्य संतान सुख से वंचित है वे लोग इस दिन विशेष दान हवन और जप कर संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं।

हिंदू धर्म में माना गया है कि माघ पूर्णिमा के दिन श्री हरि विष्णु गंगा नदी में निवास करते हैं इसलिए गंगा स्नान का विशेष महत्व है, ऐसा भी माना जाता है कि श्री हरि विष्णु ने माघ पूर्णिमा के दिन ही मत्स्य अवतार लिया था बौद्ध धर्म के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध ने अपनी आसन्न मृत्यु का कथन किया था। इसलिए यह दिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Simran Singh

First published on: Feb 07, 2025 08:19 PM

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