Maa Kushmanda Devi Ki Aarti Lyrics in Hindi: शरदीय नवरात्रि की चौथी तिथि देवी कूष्मांडा को समर्पित है. देवी कूष्मांडा के बारे में माना जाता है कि उन्होंने दिव्य मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की. सिद्धियां और निधियां प्रदान करने की सारी शक्तियां उनकी जप माला में निहित हैं. माता कूष्मांडा देवी की आरती एक भक्तिमय भजन है जो देवी कूष्मांडा को समर्पित है.
मां कूष्मांडा देवी की आरती (Maa Kushmanda Devi Ki Aarti Lyrics in Hindi)
कूष्मांडा जय जग सुखदानी.
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली.
शाकंबरी मां भोली भाली॥लाखों नाम निराले तेरे .
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा.
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे.
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा.
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी.
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा.
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो.
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए.
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
मां का नाम कूष्मांडा क्यों पड़ा? (Mata Kushmanda History)
- अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है. संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं. बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है. इस कारण से भी मां कूष्मांडा कहलाती हैं.
मां कूष्मांडा देवी की कैसे करें पूजा (Mata Kushmanda Puja Vidhi)
- मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में चतुर्थ दिन इसका जाप करना चाहिए.
- या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..
इस दिन जहां तक संभव हो बड़े माथे वाली तेजस्वी विवाहित महिला का पूजन करना चाहिए. उन्हें भोजन में दही, हलवा खिलाना श्रेयस्कर है. इसके बाद फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान भेंट करना चाहिए, जिससे माताजी प्रसन्न होती हैं और मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है.
माता कूष्मांडा देवी का प्रिय रंग (Mata Kushmanda Ka Priya Rang)
- माता कूष्मांडा को नारंगी और पीले रंग प्रिय हैं, जिन्हें उनके स्वरूप और सूर्यमंडल में निवास से जोड़ा जाता है. नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा करते समय इन रंगों के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये रंग ऊर्जा, आशावाद और सकारात्मकता का प्रतीक हैं.
माता कूष्मांडा देवी की कथा (Mata Kushmanda Ki Katha)
- पौराणिक कथा के अनुसार, जब त्रिदेव ने सृष्टि की रचना करने की कल्पना की तो उस समय ब्रह्मांड में अंधेरा छाया हुआ था. इस दौरान ब्रह्मांड में सन्नाटा पसरा हुआ था. ऐसे में त्रिदेव ने मां दुर्गा से सहायता ली. मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की. मां कूष्मांडा के मुख मंडल पर मुस्कान से पूरा ब्रह्मांड में उजाला हो गया. इसी वजह से मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा कहा गया. सूर्य लोक में मां कूष्मांडा वास करती हैं.
माता कूष्मांडा देवी मंत्र (Mata Kushmanda Mantra)
- कुष्मांडा देवी के मुख्य मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम: और देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ हैं. ये मंत्र देवी को प्रसन्न करने और रोग, दोष व कष्टों से मुक्ति पाने के लिए जपे जाते हैं.