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Religion

रावण की बेटी ने चुरा लिए थे राम सेतु के पत्थर, रोचक प्रसंग का थाईलैंड-कम्बोडिया की रामकथा में जिक्र

Ramayana Story: रामायण के अनेकों ऐसे प्रसंग और कथाएं हैं, जिनका वाल्मीकीय रामायण या तुलसीकृत रामचरितमानस से कोई संबंध नहीं है। ऐसी ही एक कथा रावण की पुत्री सुवर्णमत्‍स्‍य या सुवर्णमछा से जुड़ा है, जिसे हनुमान जी से प्रेम हो गया था, जानें पूरा प्रसंग...

Author Edited By : Shyamnandan Updated: May 31, 2024 19:40
Ramayana-Story

Ramayana Story: वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास जी के रामचरितमानस में रावण की बेटी का कोई जिक्र नहीं है। उसकी केवल एक ही पत्नी थी मंदोदरी और उन दोनों का एक ही पुत्र था मेघनाद। लेकिन रामायण की कथाएं भारत से बाहर भी बहुत प्रचलित हैं। श्रीलंका, कम्बोडिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया आदि देशों में रामायण के कई वर्जन मिलते हैं। इन्हीं में से थाईलैंड की ‘रामकियेन’ रामायण और कंबोडिया की ‘रामकेर’ रामायण में रावण की बेटी की एक कथा है।

स्वर्ण जलपरी सुवर्णमत्‍स्‍य

रामकियेन रामायण और रामकेर रामायण के मुताबिक रावण की तीन पत्नियां थी, जिनसे कुल 8 संतान हुए, 7 बेटे और एक बेटी। रावण की बेटी का नाम था, सुवर्णमत्‍स्‍य या सुवर्णमछा। कहते हैं, सुवर्णमत्‍स्‍य देखने में बहुत सुंदर थी। उसे रावण ने सागर पर अधिकार दे रखा था, जहां वह अठखेलियां करती थी, इसलिए उसे स्‍वर्ण जलपरी भी कहा जाता है।

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रावण ने दिया यह काम

जब भगवान राम और लक्ष्मण समुद्र पार कर लंका जाने के लिए राम सेतु का निर्माण करवा रहे थे, तब नल और नील ने हनुमान जी को बताया कि जो पत्थर वे समुद्र में डाल रहे हैं, वे गायब हो रहीं हैं। तब हनुमान जी ने समुद्र में उतरकर इसकी जांच की, तो पाया कि सागर के भीतर रहने वाले लोग नल-नील द्वारा डाले गए पत्थरों को कहीं ले जा रहे हैं। हनुमान जी ने उनका पीछा किया, तो देखा कि यह काम एक स्वर्ण जल कन्या के कहने पर किया जा रहा है। वह रावण-पुत्री सुवर्णमत्‍स्‍य थी, जिसे रावण ने राम सेतु के काम में बाधा डालने का आदेश दिया हुआ था।

सुवर्णमत्‍स्‍य को हुआ हनुमानजी से प्रेम

रामकियेन रामायण और रामकेर रामायण की कथा के मुताबिक सुवर्णमत्‍स्‍य ने जब हनुमानजी को देखा, तो उसे हनुमान जी को देखते ही उनसे प्रेम हो गया। हनुमान जी उसकी दशा समझ जाते हैं। परिचय-पात्र के बाद, हनुमान जी उसे बताते हैं कि रावण ने क्या गलत किया है? हनुमान जी के समझाने पर उनके प्रेम में पड़ी सुवर्णमत्‍स्‍य, चुराई गई सभी पत्थर और चट्टान वापस कर देती हैं और तब जाकर रामसेतु का निर्माण समय पर पूरा हुआ। सुवर्णमत्‍स्‍य या स्वर्णमछा को यदि हनुमान जी से प्रेम न हुआ होता, तो राम सेतु बनने की कहानी कुछ और होती। रावण की बेटी सुवर्णमत्‍स्‍य का हनुमान जी से प्रेम होने का यह प्रसंग भारतीय स्रोतों में कहीं उल्लिखित नहीं है, लेकिन थाईलैंड की ‘रामकियेन रामायण’ और कंबोडिया की ‘रामकेर रामायण’ में इसका स्पष्ट जिक्र किया गया है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: May 31, 2024 07:40 PM

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