पंकज चौधरी, प्रयागराज:
Kumbh Mela 2025: साल 2012 के बाद 2025 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ लगने जा रहा है। इस बार 13 जनवरी 2025 को महाकुंभ मेला लगेगा, जो करीब 50 दिनों तक रहेगा। केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों बड़े पैमाने में महाकुंभ की तैयारी में जुटी हुए हैं। अक्सर संगम के लिए प्रयागराज चर्चाओं में रहा है। प्रयागराज में संगम के पास ही नागवासुकी मंदिर स्थित है। इस मंदिर का संबंध महाकुंभ से कैसे जुड़ता है, आइए विस्तार से जानते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के बाद नागराज वासुकी ने यही पर विश्राम किया था। सावन महीने में यहां पर बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। धर्म और आस्था की कुंभ नगरी प्रयागराज के संगम तट से उत्तर दिशा की ओर दारागंज के उत्तरी कोने पर अति प्राचीन नागवासुकी मंदिर स्थित है।
नागवासुकी के दर्शन के बिना प्रयागराज आना अधूरा
इस मंदिर में नागों के राजा वासुकी नाग विराजमान रहते हैं। मान्यता है कि प्रयागराज आने वाले हर श्रद्धालु और तीर्थयात्री की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक की वह नागवासुकी का दर्शन न कर लें।
ऐसा कहा जाता है कि जब मुगल बादशाह औरंगजेब भारत में मंदिरों को तोड़ रहा था, तो वह अति चर्चित नागवासुकी मंदिर को खुद तोड़ने पहुंचा था। जैसे ही उसने मूर्ति पर भाला चलाया, तो अचानक दूध की धार निकली और चेहरे के ऊपर पड़ने से वो बेहोश हो गया।
क्या है नागवासुकी मंदिर की कथा?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन में देवताओं और असुरों ने नागवासुकी को सुमेरु पर्वत में लपेटकर उनका प्रयोग रस्सी के तौर पर किया था। वहीं, समुद्र मंथन के बाद नागराज वासुकी पूरी तरह लहूलुहान हो गए थे और भगवान विष्णु के कहने पर उन्होंने प्रयागराज में इसी जगह आराम किया था। इस वजह से इसे नागवासुकी मंदिर कहा जाता है।
जो भी श्रद्धालु सावन मास में नागवासुकी का दर्शन पूजन करता है, उसकी सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है। नाग पंचमी के दिन दूर दराज से लाखों श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए यहां पहुंचते हैं।
क्या महाकुंभ से नागवासुकी मंदिर का संबंध?
कुंभ आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यह मंदिर महत्व रखता है। इस मंदिर का दर्शन पूजन करने के बाद भी कुंभ तीर्थ सफल माना जाता है। सरकार की ओर से यहां निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। इस मंदिर को बहुत ही सुंदर रूप दिया गया है। यहां दर्शन करने वाले दर्शनार्थियों की संख्या में हर साल इजाफा देखने को मिल रहा है।
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