Krishna Pingala Sankashti Chaturthi Vrat 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह में आने वाली तृतीया तिथि से अगले दिन कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस खास दिन महादेव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश की आराधना की जाती है। साथ ही व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से व्रत रखता है और गणपति बप्पा की पूजा करता है, उसे मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के कष्टों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा उसके घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है। आइए जानते हैं इस बार कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का व्रत कब रखा जाएगा और इस दिन गणपति बप्पा की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
गणेश जी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष तिथि 25 जून 2024 को है यानी इसी दिन कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। वहीं इस दिन गणेश जी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 02:43 से 03:39 मिनट तक है। इसके अलावा इस दिन दो और शुभ मुहूर्त भी हैं। पहला गोधूलि मुहूर्त 25 जून को शाम 07:21 से लेकर 07:42 मिनट तक है। इसके बाद निशिता मुहूर्त का आरंभ होगा, जो देर रात 12:04 मिनट से लेकर 12:44 मिनट तक है।
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गणेश जी को लगाएं इस चीजों का भोगा
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने के साथ-साथ गणेश जी को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाना भी शुभ होता है। इस दिन आप गणपति बप्पा को उनके पसंदीदा मोदक का भोग लगा सकते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन बप्पा को मोदक का भोग लगाने से वो अति प्रसन्न होते हैं। साथ ही अपने भक्तों को सुख और सौभाग्य का विशेष आशीर्वाद देते हैं। मोदक के लिए आप उन्हें मोतीचूर के लड्डू, नारियल की बर्फी या बेसन के लड्डू भी अर्पित कर सकते हैं।
शिववास योग का बना दुर्लभ संयोग
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस बार कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का व्रत बेहद खास है, क्योंकि इस दिन कई साल बाद शिववास योग का अद्भुत संयोग का निर्माण हो रहा है। कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के खास दिन शिव जी देर रात 11:10 मिनट तक कैलाश पर विराजमान होंगे, जिसके बाद वह नंदी पर आसानी होंगे।
माना जाता है कि जो व्यक्ति महादेव के कैलाश और नंदी पर आसीन रहने के समय पूजा करता है, उसे अक्षय फल मिलता है। उस समय शिव जी के सामने प्रकट हुई मनोकामना जरूर पूरी होती है। इसके अलावा इस दौरान भगवान शिव और शिवलिंग का जल से अभिषेक करना भी शुभ होता है। इससे साधक को अपनी सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही महादेव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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