Keshav Dwadashi 2025 Date: मार्गशीर्ष मास हिन्दू परम्परा में बहुत पवित्र माना जाता है. यह वही महीना है जिसे श्रीकृष्ण ने गीता में अपना स्वरूप बताया है, इसलिए इस पूरे माह में हर तिथि शुभ फल देती है. इसी माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को केशव द्वादशी मनाई जाती है. यह दिन भगवान विष्णु के केशव रूप की भक्ति, आध्यात्मिक लाभ और शुभ ऊर्जा का विशेष अवसर प्रदान करता है. आइए जानते हैं, केशव द्वादशी 2025 कब है और क्यों मनाते हैं यह पर्व?
केशव नाम का दिव्य महत्व
‘केशव’ नाम भगवान विष्णु की शक्ति, सौम्यता और धर्म की रक्षा के संदेश को दर्शाता है. पुराणों में वर्णित है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने राक्षस केशी का वध किया था, जिसके बाद वे ‘केशव’ नाम से विख्यात हुए. यही कारण है कि इस दिन उनकी पूजा से मनुष्य को साहस, संकल्प शक्ति और नकारात्मकता पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है.
केशव द्वादशी 2025 की तिथि और समय
वर्ष 2025 में केशव द्वादशी का पवित्र व्रत 2 दिसंबर, मंगलवार को रखा जाएगा. द्वादशी तिथि 1 दिसंबर को शाम 7:01 बजे प्रारंभ होगी और 2 दिसंबर को दोपहर 3:57 बजे समाप्त होगी. पारण का समय 3 दिसंबर की सुबह 6:58 से 9:03 बजे तक रहेगा. इस दिन मत्स्य द्वादशी और अरण्य द्वादशी का समन्वय भी बनता है, जिससे यह दिन और अधिक शुभ फलदायी माना जाता है.
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3 नामों से जुड़ी 3 पवित्र परम्पराएं
केशव द्वादशी केवल एक व्रत नहीं बल्कि तीन धार्मिक मान्यताओं का संगम है. पहला रूप केशव द्वादशी का है, जिसमें भगवान विष्णु के केशव रूप की उपासना की जाती है और मन को शांति तथा पवित्रता प्राप्त होती है.
दूसरा रूप मत्स्य द्वादशी का है, जिसमें भगवान विष्णु के प्रथम अवतार, मत्स्य रूप की आराधना की जाती है और यह माना जाता है कि इस पूजा से संकट दूर होते हैं.
तीसरा रूप अरण्य द्वादशी का है, जिसके बारे में भविष्यपुराण में बताया गया है कि सीता माता ने वनवास के दौरान इस व्रत का पालन किया था. यह व्रत त्याग, संयम और जीवन के कठिन समय में धैर्य बनाए रखने का संदेश देता है.
ऐसे करें केशव द्वादशी पूजा
– केशव द्वादशी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर कर शुद्ध वस्त्र पहनें.
– अपने पूजा-स्थान में भगवान विष्णु या शालिग्राम की प्रतिमा स्थापित करें और गंध, पुष्प, धूप, दीप तथा नैवेद्य अर्पित करते हुए शांत मन से प्रार्थना करें.
– इस दिन ‘केशवाय नमः’ मंत्र का जप करना अत्यंत शुभ माना जाता है. यदि संभव हो तो घी और तिल की 108 आहुतियां अग्नि में समर्पित करें.
– शाम से रात तक पूजा का माहौल बनाए रखें, भजन-कीर्तन करें और जागरण रखें, इससे व्रत और अधिक फलदायी बनता है.
– अगले दिन त्रयोदशी को खीर, नारियल और दक्षिणा दान करें.
केशव द्वादशी व्रत के लाभ
– शास्त्रों में वर्णित है कि केशव द्वादशी का व्रत आठ पौंडरीक यज्ञों के समान फल प्रदान करता है.
– इस व्रत से मन की अशांति दूर होती है, घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है.
– यह व्रत कठिनाइयों से उबरने, मनोबल बढ़ाने और ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का सरल मार्ग माना जाता है.
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