आज करवा चौथ का चांद देशभर में नजर आ गया है. सुहागिनों ने चांद के दर्शन कर और अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया. पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया गया करवा चौथ का पर्व संपन्न हुआ. आज चंद्रमा निकला और सुहागिनों ने व्रत का पारण किया. अब अगले साल 2026 में करवा चौथ का पर्व 29 अक्टबर को मनाया जाएगा.
Karwa Chauth 2025 Puja, Shubh Muhurat, Vrat Katha, Aaj Chand Kab Niklega Live Updates: हर साल कार्तिक माह में आने वाले कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इस बार ये व्रत आज यानी 10 अक्टूबर 2025, वार शुक्रवार को रखा जा रहा है. आमतौर पर ये व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल शादीशुदा जीवन के लिए रखती हैं, लेकिन बदलते दौर में अविवाहित कन्याएं भी ये व्रत रखती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, कुंवारी कन्याएं यदि ये व्रत रखती हैं तो उनकी शादी मनचाहे व्यक्ति से होती है. साथ ही लव लाइफ में खुशियां बनी रहती हैं. हालांकि, करवा चौथ का उपवास काफी कठिन होता है क्योंकि दिनभर न तो पानी पीना होता है और न ही किसी भी चीज का सेवन करना होता है यानी ये निर्जला व्रत होता है.
करवा चौथ के व्रत का आरंभ सूर्योदय से हो जाता है. सूर्योदय से पहले स्नान आदि कार्य करने के बाद नए कपड़े पहनकर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और सरगी खाती हैं, जिसके बाद निर्जला व्रत का संकल्प लिया जाता है. वहीं, शाम में गणेश जी, शिव जी, माता पार्वती, देवी करवा और चंद्र देव की पूजा की जाती है. साथ ही चंद्र देव को जल से अर्घ्य देकर छलनी से चांद को देखा जाता है, जिसके बाद महिलाएं उसी छलनी से अपने पति को देखती हैं और उनकी आरती करती हैं. इसके बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर उनका व्रत खोलते हैं.
करवा चौथ के व्रत की पूजा के शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, कथा, उपाय और अन्य जानकारी के लिए बने रहें News24 के साथ…..
चांद निकलने का समय | करवा चौथ शुभ मुहूर्त पूजा विधि | करवा चौथ की कथा
दिल्ली भाजपा सांसद मनोज तिवारी की पत्नी सुरभि तिवारी ने करवा चौथ पर चांद को देखकर व्रत खोला.
#watch दिल्ली: भाजपा सांसद मनोज तिवारी की पत्नी सुरभि तिवारी ने करवा चौथ पर चांद देखकर व्रत तोड़ने के बाद गीत गाया। https://t.co/o7XXtfTGyl pic.twitter.com/fr6a2q5FT7
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 10, 2025
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने निभाईं करवा चौथ की रस्में, चांद के दर्शन कर खोला अपना व्रत
#watch दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने #karwachauth की रस्में निभाईं और चांद देखने के बाद अपना व्रत खोला। pic.twitter.com/XocHDirVbj
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 10, 2025
करवा चौथ पर करवा माता और गणेश जी की आरती करनी चाहिए. इसके बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं. इसके साथ ही चंद्र दर्शन के साथ चंद्र देव की आरती अवश्य करें.
चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Aarti)
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।।
रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी।
दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी।।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि।।
योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा।।
वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी।।
शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे।।
विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें।।
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
कई बार खराब मौसम की वजह से चंद्रमा बादलों के पीछे छिप जाता है और दिखाई नहीं देता है. आपके शहर में चंद्रमा दिखने का समय हो गया है और चांद दिखाई नहीं दे रहा है तो क्या करना चाहिए. आइये आपको इसके बारे में बताते हैं. चांद नजर न आने पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. उनके मस्तक पर विराजमान चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य दें और पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करें. इस तरह से पारण करने पर व्रत पूर्ण और फलदायी माना जाएगा.
व्रत के पारण के बाद आपको करवे को घर में संभालकर रखना चाहिए. इसके बाद इसे बहते जल में प्रवाहित कर दें और अगले साल के करवा चौथ व्रत में नए करवे का प्रयोग करें. कई लोगों के घर में पुराने करवे को इस्तेमाल किया जाता है अगर आपके यहां ऐसा होता है तो इसे बहुत संभाल कर रखें.
करवा चौथ व्रत का पारण करने के लिए पूजा की थाली में जल, दीपक, छलनी और बाकी पूजन सामग्री रखें. चांद के दर्शन के लिए खुले आकाश के नीचे जाएं और चंद्रोदय की दिशा में मुंह करें. चंद्रमा को अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय चंद्र देव के मंत्र का जाप करें. छलनी में दीपक रखकर चंद्रमा के दर्शन करें और इसके बाद इसी छलनी में पति के दर्शन करें. पति का आशीर्वाद लें और पति के हाथों से पानी पीकर और मिठाई खाकर व्रत खोलें. इसके बाद घर के सभी बड़ों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें.
देश के कई हिस्सों में चंद्रमा के दर्शन हो गए हैं. दिल्ली नोएडा समेत कई जगहों पर चांद नजर आ गया है. अब सुहागिन महिलाएं चांद के दर्शन कर और चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा कर अपना व्रत खोल सकती है. अगर आपके यहां खराब मौसम की वजह से काफी देर तक चांद नजर नहीं आता है तो ऐसे में भगवान शिव के सिर पर सुशोभित चंद्रमा को देखकर व्रत का पारण कर सकते हैं. आप चांदी के सिक्के को लेकर दर्शन कर व्रत को पूरा किया जा सकती हैं.
थोड़ी ही देर में निकलने चांद
करवा चौथ का चांद थोड़ी ही देर में निकलने वाला है. आप करवा चौथ पर चंद्र दर्शन कर और चांद को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करें. सभी शहरों में कुछ समय के अंदर चांद नजर आ जाएगा.
करवा चौथ की पूजा में करें इन मंत्रों का जाप
आपकी पत्नी की क्या राशि है उसके हिसाब से आपको अपनी पत्नी को गिफ्ट देना चाहिए. आप शाम को व्रत के पारण के समय अपनी पत्नी को गिफ्ट देकर खुश कर सकते हैं. चलिए जानते हैं कि, राशि के अनुसार पत्नी को क्या गिफ्ट देना सही रहेगा.
मेष राशि - गजरा या सुगंधित फूल
वृषभ राशि - पीले रंग के कपड़े
मिथुन राशि - सोने के आभूषण
कर्क राशि - इलेक्ट्रिकल सामान
सिंह राशि - पढ़ाई से जुड़ी चीज
कन्या राशि - पीले रंग के कपड़े
तुला राशि - चॉकलेट गिफ्ट करें
वृश्चिक राशि - चांदी के आभूषण
धनु राशि - गजरा या फूल
मकर राशि - रत्न की अंगूठी
कुंभ राशि - लाल रंग के कपड़े
मीन राशि - घर में रोजाना इस्तेमाल की कोई चीज
गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
- करवा चौथ पर चांद की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए, गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है. आप सबसे पहले विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा करें.
- महिलाओं को चंद्र दर्शन सीधे नहीं करना चाहिए. छलनी से ही चांद के दर्शन करें. आप थाली में पानी भरकर चांद की परछाई के दर्शन कर सकती हैं. चांद के दर्शन सीधे करने से बचना चाहिए.
- चंद्र दर्शन के दौरान खाली हाथ नहीं होना चाहिए. हाथ में फल का कोई प्रसाद लेकर ही चंद्र दर्शन करें. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें, दीप दिखाएं और फूल-मिठाई अर्पित करें.
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम्।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम्
करवा चौथ पर शाम को पूजा के लिए आप राशि अनुसार, कपड़ों का रंग चुनें. इससे आपको अखंड सौभाग्य का भी आशीर्वाद मिलेगा. चलिए जानते हैं कि, आप कौन से रंग के कपड़े पहनें.
आप करवा चौथ पर पूजा की थाली और लोटे को सजाएं. सजे हुए सुंदर थाली और लोटे को देख हर कोई आपकी तारीफ करेगा. आप करवा चौथ की थाली को लेस और लाल कपड़े से सजा सकती हैं. इस तरह सजाने से थाली का लुक सुंदर लगेगा फोटो में भी थाली और लोटा बहुत ही सुंदर दिखेंगे. अगर अब आपके पास थाली सजाने का समय नहीं है तो सुंदर डिजाइन वाले कपड़े को थाली में रखें और इसके ऊपर पूजा की सामग्री रखें.
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक गांव में एक नेत्रहीन बुढ़िया रहती थी. बुढ़िया नियमित रूप से गणेश जी की पूजा किया करती थी. बुढ़िया की भक्ति से खुश होकर एक दिन गणेश जी ने उसे दर्शन दिए और कहा मनचाहा वरदान मांगने को कहा. यदि आप इसके आगी की कहानी के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करें.
Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Kahani: आज करवा चौथ पर पढ़ें गणेश जी की ये कथा, हर इच्छा होगी पूरी
यदि आपसे गलती से करवा चौथ का व्रत टूट जाता है तो सबसे पहले भगवान शिव, देवी पार्वती और चंद्र देव से क्षमा मांगें. इसके बाद व्रत का दोबारा संकल्प लें और शाम में नियम अनुसार पूजा करें.
महिलाओं को चांद को अर्घ्य देते समय 'ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:' मंत्र का तीन बार जाप करना चाहिए. इससे आपको नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलेगा और चंद्र देव भी खुश होंगे.
आज करवा चौथ के शुभ दिन शाम 05:31 मिनट से लेकर रात 8:20 मिनट तक विडाल योग और शाम 05:41 मिनट से लेकर 11 अक्टूबर की दोपहर 02:06 मिनट तक व्यातीपात योग रहेगा. द्रिक पंचांग के अनुसार, आज विडाल योग और व्यातीपात योग का बनना मेष राशि, मिथुन राशि और कुंभ राशिवालों के लिए अच्छा नहीं रहेगा.
यदि आप इन तीनों राशियों के राशिफल के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करें.
द्रिक पंचांग के अनुसार, आज करवा चौथ के शुभ दिन सुबह 1 बजकर 22 मिनट पर चंद्र देव ने वृषभ राशि में गोचर कर लिया है. इससे पहले वो मेष राशि में गोचर कर रहे थे. करवा चौथ पर चंद्र गोचर से वृषभ राशि, कर्क राशि और तुला राशिवालों को लाभ होने की संभावना अधिक है.
प्राचीन काल में इन्द्रप्रस्थपुर नामक शहर में वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था, जिसकी शादी लीलावती से हुई थी. वेदशर्मा और लीलावती के सात पुत्र और वीरावती नाम की एक पुत्री थी. वीरावती सात भाइयों की एक बहन थी, जिसके कारण वह माता-पिता के साथ-साथ अपने भाइयों की भी लाड़ली थी.
जब वीरावती विवाह योग्य हो गई तो वेदशर्मा और लीलावती ने उसकी शादी एक ब्राह्मण युवक से करवा दी. शादी के बाद वीरावती कुछ समय के लिए अपने मायके आई, जहां पर उसने अपनी भाभियों को देखकर करवा चौथ का व्रत रखा. लेकिन व्रत का पारण करने से पहले ही वीरावती भूख सहन न करने के कारण बेहोश हो गई.
सभी भाइयों से अपनी बहन की ऐसी हालात देखी नहीं जा रही थी, लेकिन वो ये भी जानते थे कि वीरावती अपना व्रत नहीं तोड़ेगी. ऐसे में भाइयों ने एक योजना बनाई कि वो घर से दूर वट के वृक्ष पर हाथ में छलनी और दीपक लेकर चढ़ जाएंगे, जिससे वीरावती को लगेगा की चांद्र निकल आया है. वीरावती जब मूर्छित अवस्था से जागी तो उसके भाई उसे छत पर लेकर गए और उससे कहां कि चांद निकल आया है.
वीरावती ने कुछ दूर वट के वृक्ष पर छलनी के पीछे दीपक को देख विश्वास कर लिया कि चांद वृक्ष के पीछे निकल आया है. वीरावती ने जल्दी से चंद्र देव की पूजा की और व्रत का पारण कर लिया. लेकिन जैसे ही वीरावती ने जब भोजन करना आरंभ किया, उसे अशुभ संकेत मिलने लगे. पहले कौर में उसे बाल मिला, दूसरें में उसे छींक आ गई, जबकि तीसरे कौर में उसे अपने ससुराल वालों से वापस आने का निमंत्रण मिला.
ससुराल पहुंचने के बाद उसने अपने पति के मृत शरीर को देखा, जिसे देखकर वो रोने लगी और करवा चौथ के व्रत के दौरान अपनी किसी भूल के लिए खुद को दोषी ठहराने लगी. वीरावती को बिलख-बिलखकर रोते देख इन्द्र देवता की पत्नी देवी इन्द्राणी उसे सान्त्वना देने के लिए पहुंची.
वीरावती ने देवी इन्द्राणी से पूछा कि करवा चौथ के दिन ही उसके पति की मृत्यु क्यों हुई. साथ ही उसने अपने पति को जीवित करने की विनती की. वीरावती का दुःख देखकर देवी इन्द्राणी ने कहा कि उसने चन्द्रमा को अर्घ अर्पण किए बिना ही व्रत तोड़ा था, जिसके कारण उसके पति की असामयिक मृत्यु हो गई. इसके बाद देवी इन्द्राणी ने वीरावती को करवा चौथ के व्रत के साथ-साथ पूरे साल में हर माह की चौथ को व्रत करने की सलाह दी और उसे आश्वासित किया कि ऐसा करने से उसका पति जीवित लौट आएगा.
इसके बाद वीरावती ने पूरे सच्चे भाव से व्रत रखें. अन्त में उन सभी व्रतों से मिले पुण्य के कारण वीरावती को उसका पति पुनः वापस मिल गया. इसी के बाद से देशभर में करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा शुरू हो गई.

यदि आप करवा चौथ के अन्य संदेशों के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें.
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।ओम जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।ओम जय करवा मैया।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।ओम जय करवा मैया।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।ओम जय करवा मैया।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।ओम जय करवा मैया।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।ओम जय करवा मैया।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।ओम जय करवा मैया।
करवा चौथ के व्रत का आरंभ सूर्योदय से हो गया है. सूर्योदय से पहले महिलाएं नए कपड़े पहनकर व सोलह श्रृंगार करके सरगी खाती हैं, जिसके बाद निर्जला व्रत का संकल्प लिया जाता है.
वहीं, शाम में गणेश जी, शिव जी, माता पार्वती, देवी करवा और चंद्र देव की पूजा की जाती है. साथ ही करवा चौथ के व्रत की कथा सुनी या पढ़ी जाती है. इसके बाद पूजा की थाली तैयार की जाती है, जिसमें छलनी, लोटे में पानी, रोली, अक्षत, मिठाई, घी का दीपक और फूल रखे जाते हैं.
चांद निकलने के बाद महिलाएं सबसे पहले छलनी से चंद्रमा को देखती हैं, जिसके बाद उसी छलनी से पति को देखा जाता है और उनकी आरती की जाती है. इसके बाद पति पत्नी को पानी पिलाकर और मिठाई खिलाकर उनका व्रत खोलते हैं.
द्रिक पंचाग के अनुसार, आज 10 अक्टूबर 2025 को करवा चौथ के शुभ दिन रात 08 बजकर 13 मिनट के आसपास चांद निकलेगा. इसके बाद महिलाएं चंद्र देव की पूजा करने के बाद अपना व्रत खोल सकती हैं.
आज प्रातः काल 06 बजकर 19 मिनट तक करवा चौथ के व्रत की सरगी खाने का शुभ मुहूर्त था, जिसके बाद से निर्जला व्रत का आरंभ हो गया है.










