हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी मनाई होती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसे ‘चैत्र शुक्ल एकादशी’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह चैत्र नवरात्र के बाद आती है। यह एक बेहद फलदायी एकादशी है, जो हर प्रकार की कामनाओं को पूरा करती है। इस बार यह मंगलवार 8 अप्रैल, 2025 को पड़ रही है।
मान्यता है कि जो व्यक्ति कामदा एकादशी का व्रत रखते हैं, उनके जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है और पापों का नाश होता है। लेकिन कामदा एकादशी के दिन कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। यदि हम इस दिन कुछ गलतियां कर बैठते हैं, तो हमारा व्रत अपूर्ण रह सकता है, पुण्य की प्राप्ति में विघ्न आ सकता है और भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी भी रुष्ट हो सकती हैं। आइए जानते हैं, इस दिन कौन सी 5 गलतियां करने से बचना चाहिए?
तामसिक भोजन से बचें
कामदा एकादशी पर तामसिक भोजन जैसे मांस, मछली, प्याज, लहसुन और शराब का सेवन करना व्रत के पुण्य को नष्ट कर देता है। इस दिन केवल सात्विक आहार का सेवन करें, जैसे फल, दूध, और अन्य शुद्ध और पवित्र भोजन। तामसिक भोजन से शरीर और मन दोनों पर बुरा असर पड़ता है, जो व्रत के उद्देश्य को पूरा नहीं होने देता।
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तुलसी के पत्ते न तोड़ें
तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को प्रिय है। इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना या उनका कोई भी नुकसान करना विशेष रूप से निषिद्ध माना जाता है। भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्तों का उपयोग करना बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन खुद तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। यह व्रत के पुण्य को बढ़ाता है।
देर तक सोने से बचें
कामदा एकादशी पर देर तक सोने से बचना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा में भाग लेने से मानसिक शांति और पुण्य की प्राप्ति होती है। देर तक सोने से आपकी श्रद्धा और व्रत के प्रति समर्पण पर सवाल उठ सकते हैं। इसलिए समय पर उठकर व्रत की सही तरीके से पूजा करें।
काले रंग के वस्त्र न पहनें
इस दिन पूजा करते वक्त काले रंग के वस्त्र पहनना शुभ नहीं माना जाता है। काले रंग का प्रभाव नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन हल्के रंग के वस्त्र पहनने चाहिए, जैसे सफेद, पीला या गुलाबी। इससे पूजा के समय सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्रत का पुण्य भी बढ़ता है।
चावल का सेवन न करें
कामदा एकादशी पर चावल का सेवन न करना चाहिए। यह दिन उपवास और ध्यान का दिन होता है। चावल, विशेष रूप से एकादशी के दिन, भोजन के रूप में वर्जित होते हैं। इसलिए इस दिन केवल फलाहार ही करना चाहिए और चावल से दूर रहना चाहिए।
भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया है कि कामदा एकादशी का व्रत जीवन में पुण्य और समृद्धि लाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मनुष्य की इच्छाएं पूरी होती हैं। लेकिन, यदि हम ऊपर बताई गई गलतियों से बचें, तो हमारा व्रत पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ सफल हो सकता है और हमें इसका अधिकतम लाभ मिल सकता है।
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