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Kalashtami 2024: 21 या 22 नवंबर, कब है कालाष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Kalashtami 2024: प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। हालांकि इस बार अष्टमी तिथि को लेकर थोड़ा कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं साल 2024 में 21 नवंबर या 22 नवंबर, किस दिन कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Nov 19, 2024 11:49
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Kalashtami 2024

Kalashtami 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए कालाष्टमी के दिन का खास महत्व है। ये शुभ दिन काल भैरव बाबा को समर्पित है। यदि कालाष्टमी तिथि के दिन कोई साधक सच्चे मन से भगवान शिव के रौद्र रूप भैरव बाबा की पूजा करता है, तो उसे ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर-परिवार में सुख, शांति, खुशहाली, धन और वैभव का वास होता है। कुछ लोग भैरव बाबा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कालाष्टमी के दिन व्रत भी रखते हैं।

हर वर्ष मार्गशीर्ष माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है, जिसे कालभैरव जंयती भी कहा जाता है। चलिए जानते हैं साल 2024 में नवंबर माह में किस दिन कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। इसी के साथ आपको भैरव बाब की पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में भी पता चलेगा।

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2024 में कालाष्टमी कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 22 नवम्बर को शाम 06 बजकर 07 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन 23 नवम्बर 2024 को प्रात: काल 07 बजकर 56 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर इस बार कालाष्टमी का व्रत 22 नवंबर 2024, दिन शुक्रवार को रखना शुभ रहेगा। 22 नवम्बर को प्रात: काल 6 बजकर 50 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा का शुभ मुहूर्त है।

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22 नवंबर 2024 के शुभ मुहूर्त

  • सूर्योदय- सुबह 6:53
  • राहुकाल- सुबह 10:48 से लेकर दोपहर 12:07
  • अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:46 से लेकर दोपहर 12:28
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 05:18 से लेकर 06:06

काल भैरव की पूजा विधि

  • व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। स्नान आदि कार्य करने के बाद नीले रंग के शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • भगवान शिव और काल भैरव दोनों की पूजा करें।
  • व्रत का संकल्प लें।
  • भैरव बाबा को काले तिल, सरसों का तेल और उड़द की दाल अर्पित करें।
  • सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Written By

Nidhi Jain

First published on: Nov 19, 2024 11:49 AM

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