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Jitiya Vrat 2025: इन 10 नियमों के पालन बिना अधूरा है जितिया व्रत, जानें क्या करें और क्या नहीं?

Jitiya Vrat Niyam: 13 सितंबर 2025 को नहाय-खाय के साथ जितिया व्रत का आरंभ हो गया है, जो अगले दो दिन तक चलेगा. 14 सितंबर को निर्जला व्रत रखा जाएगा, जिसका पारण अगले दिन सूर्य देव को अर्घ्य देकर होगा. हालांकि, इन तीनों दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है. चलिए जानते हैं जितिया व्रत के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं?

Author Written By: Nidhi Jain Author Published By : Nidhi Jain Updated: Sep 13, 2025 09:17
Jitiya Vrat Niyam
Credit- News 24 Gfx

Jitiya Vrat 2025 Niyam: जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका और जिउतिया व्रत भी कहा जाता है, उससे संतानवती महिलाओं की खास आस्था जुड़ी है. ये व्रत माताएं अपने बच्चे की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और तरक्की के लिए रखती हैं. मुख्यतौर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और राजस्थान के कई शहरों में इस व्रत को रखने की परंपरा है. द्रिक पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जितिया व्रत रखा जाता है, लेकिन व्रत का आरंभ एक दिन पहले सप्तमी तिथि और पारण अगले दिन नवमी तिथि पर होता है.

इस बार 14 सितंबर 2025 को जितिया का मुख्य निर्जला व्रत रखा जाएगा, जिससे एक दिन पहले नहाय-खाय होगा. तीन दिनों तक चलने वाला ये व्रत काफी कठिन होता है, जिस दौरान कई नियमों का पालन करना होता है. चलिए जानते हैं जितिया व्रत के 10 जरूरी नियमों के बारे में.

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जितिया व्रत में क्या करें और क्या नहीं?

  • जितिया व्रत का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है, जिस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करके भोजन करती हैं.
  • नहाय-खाय के अगले दिन निर्जला व्रत रखा जाता है, जिसका आरंभ सूर्योदय से पहले और समापन अगले दिन सूर्योदय के बाद होता है. इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि कार्य करने के बाद ओठगन की रस्म करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं. फिर शाम में कुश के बने भगवान जीमूतवाहन की पूजा की जाती है. चील और सियार की गाय के गोबर से मूर्ति बनाई जाती है और उनकी पूजा होती है, जिसके बाद कथा सुनी व पढ़ी जाती है और तर्पण किया जाता है.
  • अगले दिन सूर्य देव को अर्घ्य देकर और सात्विक भोजन करके व्रत का पारण किया जाता है. व्रत पूर्ण होने के बाद जरूरतमंदों को दान जरूर देना चाहिए.

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जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त

Jitiya Vrat

जितिया व्रत के नियम

  1. स्नान आदि कार्य और सूर्य देव को अर्घ्य देने के पश्चात ही जितिया व्रत का आरंभ करना चाहिए.
  2. पहले दिन केवल एक बार ही सूर्योदय से पहले सात्विक भोजन करना चाहिए, जिसमें मरुवा की रोटी और नोनी का साग जरूर होना चाहिए.
  3. यदि आपने व्रत का संकल्प ले लिया है तो उसे बीच में न तोड़ें.
  4. यदि एक बार आपने व्रत रखना शुरू कर दिया है, तो उसके बाद हर साल व्रत रखना जरूरी होता है.
  5. तीसरे दिन व्रत का पारण रागी की रोटी, चावल, नोनी का साग और तोरई की सब्जी खाकर करना चाहिए और भूलकर भी इस दिन तामसिक चीजें न खाएं.
  6. तीन दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  7. व्रत के दौरान मन में गलत विचार न आने दें और नकारात्मक चीजों से दूर रहें.
  8. व्रत के दौरान ज्यादा बातचीत न करें और ध्यान लगाएं.
  9. इन तीनों दिन दोपहर के समय सोने से बचें.
  10. व्रती को इन तीनों दिन बिस्तर पर न तो बैठना चाहिए और न ही सोना चाहिए. भूमि पर दरी डालकर उस पर आप विश्राम कर सकती हैं.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Sep 13, 2025 09:15 AM

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