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Jitiya Vrat 2024: छठ की तरह 3 दिनों तक महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Jitiya Vrat Puja Vidhi 2024: संतान की लंबी आयु के लिए माताएं जितिया व्रत रखती हैं जो बिहार, यूपी और झारखंड में छठ की तरह ही खास पर्व माना जाता है। आइए जितिया व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त जानते हैं।

Edited By : Simran Singh | Updated: Sep 23, 2024 14:19
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Jitiya Vrat shubh muhurat and puja vidhi
जितिया व्रत

Jitiya Vrat Puja Vidhi 2024: भक्ति और उपासना का सबसे कठिन व्रत जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत जो संतान की लंबी आयु सुख समृद्धि शांति के लिए किया जाता है। माताएं इस व्रत को निर्जला रखती हैं। ज्यादातर ये व्रत यूपी, बिहार और झारखंड में किया जाता है। छठ व्रत की तरह ही इसमें भी नहाए-खाए और खुर फिर पारण किया जाता है यानी तीन दिनों तक इस व्रत को किया जाता है। सप्तमी तिथि में नहाए-खाए, खुर, जितिया अष्टमी तिथि में और व्रत का पारण नवमी तिथि में किया जाता है। जितिया यानी निर्जला व्रत अष्टमी तिथि को रखा जाता है। धर्म-ज्योतिष पर अच्छी जानकारी रखने वालीं नम्रता पुरोहित ने जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताया है, आइए विस्तार से जानते हैं।

जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 24 सितंबर, मंगलवार को दोपहर 12:38 पर होगी तो वहीं तिथि की समाप्ति 25 सितंबर, बुधवार को दोपहर 12:10 पर होगी। उदया तिथि के अनुसार जितिया का व्रत 25 सितंबर को ही रखा जाएगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:35 से सुबह 5:22 तक है। अमृत काल 12:11 से 1:49 तक है। विजय मुहूर्त दोपहर 2:12 से दोपहर 3:00 तक है। शाम को 6:13 से शाम 7:25 तक भी मुहूर्त रहेगा। चौघड़िया का शुभ मुहूर्त शाम 4:45 से शाम 6:13 तक है।

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जितिया व्रत की पूजा विधि

अष्टमी तिथि के दिन स्नान आदि से निवृत होने के बाद भगवान भास्कर को जल अर्पण किया जाता है प्रदोष काल में जीमूतवाहन देवता की पूजा की जाती है। देवता जी को रोली, अक्षत,धूप-दीप,लाल और पीली रुई से सजाया जाता है। पेड़े का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्तियां बनाकर लाल सिंदूर लगाया जाता है। दूर्वा की माला, लौंग,इलायची, पान-सुपारी, श्रृंगार का सामान, गांठ का धागा, सरसों का तेल आदि पूजन की सामग्रियों को रखा जाता है फिर व्रत की कथा पढ़ी जाती है कथा आप खुद भी पढ़ सकते हैं या पंडित को बुलाकर भी सुन सकते हैं।

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परिवार की सुख समृद्धि और वंश वृद्धि की कामना के साथ बांस के पत्रों से भगवान की पूजा की जाती है। नहाए-खाए वाले दिन भी महिलाओं को सात्विक भोजन ही करना चाहिए। भोजन में  मंडवे की रोटी यानी रागी के आटे से बनी रोटी, नोनी का साग और झिंगनी की सब्जी को खाया जाता है। व्रत के पारण के दिन भी इस प्रकार सात्विक भोजन ही किया जाता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Written By

Simran Singh

First published on: Sep 23, 2024 02:19 PM

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