Janmashtami 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए भगवान कृष्ण को समर्पित जन्माष्टमी के पर्व का विशेष महत्व है। इस दौरान द्वारकाधीश की पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। जीवन में प्रेम, सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार 26 अगस्त 2024 को भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाया जाएगा। इस दिन रात्रि में कृष्ण जी पूजा का शुभ मुहूर्त 12:01 मिनट से लेकर 12:45 मिनट तक है।
जन्माष्टमी के पावन दिन कृष्ण जी की पूजा करने के साथ-साथ उन्हें उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है। इसलिए कई लोग जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जी को 56 व्यंजनों का भोग लगाते हैं। वहीं कुछ लोग उन्हें माखन-मिश्री का भी भोग लगाते हैं। लेकिन क्या आपको ये बात पता है कि कृष्ण जी को माखन-मिश्री इतनी प्रिय क्यों है? क्यों उन्हें हर साल जन्माष्टमी के मौके पर माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है? यदि नहीं, तो चलिए जानते हैं भगवान कृष्ण के पसंदीदा भोग में माखन-मिश्री क्यों आती है?
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बचपन से ही प्रिय थी माखन-मिश्री
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान कृष्ण को वैसे तो सभी तरह की मिठाई प्रिय हैं। लेकिन मक्खन से उनका बचपन से ही खास लगाव था। बालपन में कृष्ण जी एक शरारती बालक थे, जिनका स्वभाव काफी चंचल था। बचपन में उनकी माता उन्हें खाने के लिए ताजे मक्खन में चीनी मिलाकर देती थी, जिसे माखन-मिश्री कहा जाता है। बढ़ती उम्र के साथ उन्हें ये इतना अच्छा लगने लगा कि वो अपने आसपास के घरों से भी मक्खन चुराकर खाया करते थे, जिसके कारण उन्हें ‘माखन चोर’ के नाम से जाना जाने लगा।
इसलिए लगाया जाता है माखन-मिश्री का भोग
माखन-मिश्री के प्रति भगवान कृष्ण का प्यार कभी कम नहीं हुआ। बल्कि वक्त के साथ बढ़ता चला गया। इसी वजह से भगवान कृष्ण को हर खास मौके पर माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है। वृंदावन और मथुरा में मौजूद भगवान कृष्ण को समर्पित मंदिरों में तो रोजाना उन्हें माखन-मिश्री प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है।
प्रेम-श्रद्धा का भी है प्रतीक
माखन-मिश्री को भगवान कृष्ण के प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। जो केवल एक मिठाई नहीं है, बल्कि साधक का उनके प्रति प्रेम और श्रद्धा का भाव है। जब माखन-मिश्री खाते हैं, तो इससे मुंह में मिठास आती है। इससे अपने आप चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती है। इसके अलावा इससे एक प्यारा संदेश भी मिलता है। माखन में मिश्री जिस तरह आसानी से मिल जाती है, उसी तरह जीवन में भी प्रेम घुल जाना चाहिए।
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