Holashtak 2025: फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक की शुरुआत हो जाती है। साल 2025 में यह तिथि 7 मार्च को पड़ रही है। इस कारण इस दिन से ही होलाष्टक शुरु हो रहे हैं, जो होलिका दहन तक लगे रहेंगे। इन दिनों को काफी अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि भक्त प्रहलाद को इन 8 दिनों में कई यातनाएं दी गई थीं। इसके बाद उनकी बुआ होलिका उनको गोद में लेकर अग्नि में प्रवेश कर गई थीं। इसी कारण होलिका दहन मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार इन दिनों में कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है। इन दिनों में मांगलिक कार्यों को करना शुभ नहीं माना जाता है। एक मान्यता यह भी है कि होलाष्टक की शुरुआत के समय भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था, इसके बाद होली वाले दिन उनको दोबारा से जीवनदान दिया था। इस समय में सभी ग्रह उग्र रूप में होते हैं। इस कारण इन दिनों में शुभ कार्य नहीं होते हैं। इसके साथ ही नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके साथ ही काला जादू करने वाले भी सक्रिय हो जाते हैं।
नहीं होते हैं मांगलिक कार्य
होलाकाष्टक के दौरान विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। माना जाता है कि इस समय किए गए शुभ कार्यों में बाधाएं आती हैं और उनका फल सही नहीं होता है।
नई शुरुआत करने से बचें
इस समय नया व्यापार शुरू करना, नया मकान खरीदना या निर्माण कार्य करना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से आर्थिक नुकसान हो सकता है या कार्य में रुकावट आ सकती है।
वाहन या आभूषण न खरीदें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाकाष्टक में नया वाहन, आभूषण या महंगी चीजें नहीं खरीदनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दौरान लिए गए फैसले भविष्य में समस्याएं ला सकते हैं।
विवाह संबंधी बातचीत
इस समय नए रिश्ते तय करने, विवाह संबंध तय करने या किसी रिश्ते की शुरुआत करने से बचना चाहिए। मान्यता है कि इस दौरान तय किए गए रिश्ते लंबे समय तक स्थिर नहीं रहते हैं।
करने चाहिए ये काम
- इन दिनों में जन्म और मृत्यु के बाद के कार्यों को करने की छूट रहती है।
- भगवान विष्णु की पूजा करें।
- मंत्र जाप और हवन करें।
- जरूरतमंदों को दान दें, विशेष रूप से अन्न और वस्त्रों का दान अवश्य करें।
- सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए घर में साफ-सफाई करें और दीप जलाएं।
नकारात्मक शक्तियों का बढ़ जाता है प्रभाव
कुछ ग्रंथों, जैसे नारद पुराण और स्कंद पुराण, में बताया गया है कि होलाकाष्टक के दौरान नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय हो जाती हैं। इस कारण इस समय पूजा-पाठ और हवन करना लाभदायक होता है, ताकि नकारात्मक शक्तियों से बचाव हो सके। भगवान हनुमान की इन 8 दिनों में नियमित पूजा भी लाभदायक होती है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धर्मग्रंथों की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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