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पहली बार हरतालिका तीज करने वाली सुहागिनें जान लें व्रत के 10 नियम, एक भी चूक पड़ सकती है भारी!

Hartalika Teej 2024: भादो माह की हरतालिका तीज के नियम बहुत सख्त हैं। मान्यता है कि इन नियमों में चूक होने से अपशकुन होते हैं। पहली बार इस व्रत को करने वाली नव-नवेली दुल्हनों को इस तीज के 10 महत्वपूर्ण नियम जरूर जान लेने चाहिए।

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Aug 28, 2024 12:20
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Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज व्रत प्रत्येक साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं सहित कुंवारी लड़कियां भी करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन महिलाएं जहां इस व्रत को पति की लंबी आयु और पति के सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती हैं, वहीं कुंवारी महिलाओं को इस व्रत के पुण्य फल से अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। साथ ही इस व्रत को करने से उत्तम संतान सुख प्राप्त होता है और घर की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

हरिलातिका तीज 2024 कब है?

इस साल यह व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ 5 सितंबर, 2024 को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 6 सितंबर, 2024 को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट होगा। उदयातिथि के आधार पर हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर, 2024 को रखा जाएगा। वहीं, इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात:काल में 6 बजकर 1 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 32 मिनट तक है।

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हरिलातिका तीज व्रत के नियम बहुत सख्त हैं, साथ ही इन नियमों का पालन पूरी दृढ़ता से करना अनिवार्य है। मान्यता है कि व्रत के विधानों और नियमों को न मानने या उनका उल्लंघन करने से या किसी प्रकार से चूक से भारी अनिष्ट होने की आशंका रहती है। आइए जानते हैं, हरिलातिका तीज व्रत के नियम क्या है?

हरतालिका तीज के महत्वपूर्ण 10 नियम

1. एक बार हरतालिका तीज व्रत को रखना शुरू कर देने के बाद उसे जिंदगी भर रखना होता है। बीमार होने पर आपके बदले में पति या दूसरी महिला इस व्रत को रख सकते हैं।

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2. यह एक निर्जला व्रत है यानी इस व्रत में किसी भी प्रकार से अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता है। अगले दिन माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाया जाता है और ककड़ी या खीरा के साथ हलवे का भोग लगाया जाता है।

3. हरतालिका तीज पूजा में माता पार्वती को ककड़ी या खीरा के साथ हलवे का भोग लगाना अनिवार्य है।

4. हरतालिका पूजन प्रदोष काल यानी शाम के समय सूर्य के डूबने के समय और रात होने से पहले किया जाता है।

5. महिलाओं को रातभर जगराता कर भजन-कीर्तन करना चाहिए और जागकर मिट्टी के बनाए शिवलिंग की प्रहर अनुसार पूजा करनी चाहिए है। अगले दिन मां पार्वती की पूजा-आरती के व्रत का पारण ककड़ी या खीरा से किया जाता है।

6. व्रत के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा सुनना जरूरी है, अन्यथा व्रत को अधूरा माना जाता है।

7. हरतालिका तीज की पूजा और उपवास का संकल्प लेकर व्रत को शुरू करना चाहिए। व्रत के दिन मेहंदी सहित 16 श्रृंगार करना अनिवार्य है।

8. पूजा के लिए शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाकर पूजा करते हैं। अगले दिन सुबह इन्हें विधिवत विसर्जित करने के बाद पारण ही किया जाता है।

9. पूजा के समय सुहाग की सारी वस्तुएं सुहाग की पिटारी में रखकर माता पार्वती को अर्पित करते हैं और शिवजी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है।

10. इस व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाने के बाद ही तोड़ा जाता है। पूजा के बाद सुहाग की सामग्री को किसी ब्राह्मण स्त्री या गरीब विवाहित महिला को दे देना चाहिए। इस से व्रत का पुण्य फल बढ़ जाता है।

इन सबके अलावा हरियाली तीज के दिन काला कपड़ा धारण करने से बचें। व्रत के दिन सोना नहीं चाहिए, अन्यथा व्रत भंग हो जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Shyam Nandan

First published on: Aug 28, 2024 09:55 AM

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