Ganga Snan: हिन्दू धर्म ग्रंथों में माघ मास को कार्तिक के समान पुण्यमास कहा गया है। यही कारण है कि इस मास में भी गंगा तट पर साधक और भक्त एक महीने तक तक कुटी बनाकर गंगा स्नान और ध्यान करते हैं। इसे कल्पवास भी कहते हैं। इस मास की अमावस्या के दिन भक्त पूरे दिन एक भी शब्द नहीं बोलते हैं यानी मौन मौन व्रत धारण करते हैं और एक दिवसीय उपवास करते हैं। इसलिए इस अमावस्या को ‘मौनी अमावस्या’ कहते हैं।
अनंत पुण्यदायी है माघ अमावस्या स्नान
धर्म ग्रंथों में ही माघ मास की अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि यह अमावस्या योग पर आधारित एक महाव्रत है। इसे मौनी अमावस्या कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। कहते हैं, इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है। शास्त्रों में कहा गया है सतयुग में जो पुण्य तप से मिलता है, द्वापर में हरि भक्ति से, त्रेता में ज्ञान से, कलियुग में दान से, लेकिन माघ मास में संगम स्नान हर युग में अनंत पुण्यदायी होगा।
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इसलिए अमृतमय हो जाता है गंगाजल
संगम में स्नान के संदर्भ में एक कथा है कि जब सागर मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए, उस समय देवताओं और असुरों में अमृत कलश के लिए खींच-तान शुरू हो गयी। इससे अमृत की कुछ बूंदें छलक कर प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में जा गिरीं। यही कारण है कि यहां की नदियों में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। प्रयागराज के बारे में मान्यता है कि यह घटना माघ मास की पूर्णिमा को हुई थी। कहते हैं, इसदिन यहां का जल अमृतमय हो जाता है।
कब है मौनी अमावस्या?
साल 2025 की मौनी अमावस्या की तिथि मंगलवार 28 जनवरी 2025 को शाम 07 बजकर 35 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसका समापन 29 जनवरी, 2025, बुधवार को शाम 06 बजकर 05 मिनट पर होगा। इस प्रकर इस वर्ष मौनी अमावस्या बुधवार को 29 जनवरी, 2025 को पड़ रही है।
मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन दान, स्नान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। इस तिथि पर गंगा जल अमृतमय माना जाता है। कहा जाता है कि गंगा में स्नान करने से सभी पाप और कष्ट समाप्त हो जाते हैं, और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। इसी विश्वास और श्रद्धा के कारण मौनी अमावस्या का दिन गंगा स्नान के लिए अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। मौनी अमावस्या के दिन स्नान, पूजा और दान का शुभ मुहूर्त नोट कर लें।
ब्रह्म मुहूर्त: 04:58 AM से 05:50 AM तक
प्रातः सन्ध्या: 05:24 AM से 06:42 AM तक
विजय मुहूर्त: 02:01 PM से 02:45 PM तक
गोधूलि मुहूर्त: 05:38 PM से 06:04 PM तक
संध्या मुहूर्त: 05:40 PM से 06:58 PM तक
अमृत काल: 09:19 PM से 10:51 PM तक
निशिता मुहूर्त: 11:45 PM से 12:37 PM तक (30 जनवरी)
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