Rudraksha Rules: सदियों से रुद्राक्ष का उपयोग जीवन की बाधाओं और स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार के होता आ रहा है। कहते हैं, रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुई थी। इसलिए यह बहुत शुभ और प्रभावशाली माना जाता है और अनेक उपायों के लिए काम में लाया जाता है। हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष को धारण करने के कुछ विशेष नियम हैं। मान्यता है कि इन नियमों का दृढ़ता से पालन करने से ही रुद्राक्ष पहनने का लाभ होता है, अन्यथा ये बेअसर सिद्ध होते हैं। आइए जानते हैं, रुदाक्ष धारण करने के 5 बहुत महत्वपूर्ण नियम, जो इसे पहनने से पहले जरूर ध्यान में रखना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
नियम 1: सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। रुद्राक्ष को सोमवार के दिन ही पूरी निष्ठा और विधि-पूर्वक धारण करनी चाहिए। सोमवार को भी इसे सुबह में धारण करना चाहिए। मान्यता है कि इससे रुद्राक्ष का असर बढ़ जाता है।
नियम 2: विशेष परिथितियों को छोड़कर रुद्राक्ष को शरीर से नहीं उतारना चाहिए। रुद्राक्ष को उतारने के बाद फिर से धारण करने से पहले 9 बार रुद्राक्ष मंत्र का जाप करना चाहिए, अन्यथा रुद्राक्ष धीरे-धीरे बेअसर हो जाता है।
नियम 3: यदि आप रुद्राक्ष की माला धारण कर रहे हैं, तो यह 27, 54 या 108 रुद्राक्षों से बनी होनी चाहिए। गले की माला का उपयोग भूल से भी जाप के लिए नहीं करना चाहिए, क्योंकि दोनों का उद्देश्य अलग-अलग होता है। बता दें, रुद्राक्ष धारण करने के बाद मांसाहार की मनाही होती है।
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नियम 4: श्मशान और प्रसूति गृह (जहां बच्चे का जन्म होता है) में जाने से पहले रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए। शव और अर्थी उठाने से पहले भी याद से यह काम कर लेना चाहिए। मान्यता है कि इन नियम का उल्लंघन करने से रुद्राक्ष दूषित होकर बेअसर हो जाते हैं।
नियम 5: रुद्राक्ष को कभी काला धागा में नहीं पहनना चाहिए। इसे लाल, पीले या सफेद धागे में पिरोकर पहनने से लाभ होता है। यदि धागा टूट जाए, तो उसे यहां-वहां नहीं फेंकना चाहिए। टूटे हुए धागे को पीपल की जड़ के पास जमीन में दबा देना चाहिए या उपयोग हो जाने के बाद फेंकी आने वाली पूजा-सामग्रियों के साथ जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।