Dussehra 2025 Shastra Puja: हिंदू धर्म में पंचांग के मुताबिक, आश्विन महीने की शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है. यह दिन विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन रावण दहन किया जाता है और साथ ही शस्त्र पूजन का भी विधान है. दशहरे के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय हासिल की थी. यह दिन अस्त्र-शस्त्र, वाहन और औजार, तलवार, बंदूक आदि की पूजा की जाती है. चलिए आपको इसके महत्व के बारे में बताते हैं.
क्यों की जाती है शस्त्र पूजा?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवताओं ने देवी दुर्गा को महिषासुर के वध के लिए तमाम दिव्य अस्त्र भी प्रदान किये थे. देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और उसके बाद उन सभी दिव्य अस्त्रों की विशेष रूप से पूजा की गई. इस दिन अस्त्र पूजन के साथ ही औजारों, मशीनों और वाहनों की विशेष पूजा होती है. इस दिन भगवान राम ने भी रावण का वध किया था. शस्त्र पूजा का महत्व है कि, जो शस्त्र हमें शक्ति और सुरक्षा प्रदान करते हैं वह पूजनीय योग्य हैं.
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शस्त्र पूजा का शुभ मुहूर्त
दशमी तिथि की शुरुआत 1 अक्टूबर की शाम को 7 बजकर 01 मिनट पर हो रही है. जिसका समापन 2 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 10 मिनट पर होगा. सूर्य उदय तिथि के मुताबिक, दशहरा 2 अक्टूबर को है. इस दिन शस्त्र पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर को 2 बजकर 09 मिनट से 2 बजकर 56 तक है.
कैसे करें शस्त्र पूजन?
शस्त्र पूजा के लिए पूजा स्थान को साफ करके लाल कपड़ा बिछाएं. इसके बाद शस्त्र और अपने औजार रखें. इनके ऊपर गंगाजल छिड़के और रोली कुमकुम लगाएं. तिलक लगाकर धूप और दीपक जलाएं. इसके बाद मिठाई का भोग लगाकर इसे प्रसाद के तौर पर बांटे.
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.










